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Last Updated : सोमवार, 11 जुलाई 2022 (22:52 IST)

सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना मामले में माल्या को सुनाई 4 महीने की सजा

supreme court
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को अदालत की अवमानना के मामले में सोमवार को 4 महीने की सजा सुनाई। इसके साथ ही न्यायालय ने केंद्र को निर्देश दिया कि कारावास की सजा काटने के लिए भगोड़े कारोबारी की उपस्थिति वह सुनिश्चित करे जो 2016 से ब्रिटेन में है।
 
सर्वोच्च अदालत ने कहा कि माल्या (66) ने कभी भी अपने किए पर कोई पछतावा नहीं जताया और न ही अपने आचरण के लिए माफी मांगी। न्यायालय ने कहा कि कानून का प्रभुत्व बनाए रखने के लिए पर्याप्त सजा दी जानी चाहिए।
 
न्यायमूर्ति यू. यू. ललित की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने माल्या पर 2000 रुपए का जुर्माना भी लगाया। माल्या को अवमानना के लिए नौ मई 2017 को दोषी ठहराया गया था। सर्वोच्च अदालत ने 2017 के फैसले पर पुनर्वि4 के लिए माल्या की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका 2020 में खारिज कर दी थी। न्यायालय ने अदालती आदेशों को धता बताकर अपने बच्चों के खातों में 4 करोड़ अमेरिकी डॉलर भेजने को लेकर माल्या को अवमानना का दोषी ठहराया था। अदालत की अवमानना संबंधी कानून, 1971 के अनुसार, अदालत की अवमानना पर छह महीने तक की साधारण कैद या 2,000 रुपए तक का जुर्माने या दोनों सजा हो सकती है।
 
पीठ में न्यायमूर्ति एसआर भट्ट और न्यायमूर्ति पीएस नरसिह भी शामिल हैं। पीठ ने निर्देश दिया कि 4 करोड़ अमेरिकी डॉलर से संबंधित लेनदेन के लाभार्थी और माल्या आठ प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज के साथ संबंधित राशि 4 सप्ताह के भीतर वसूली अधिकारी के पास जमा कराएंगे।
 
पीठ ने कहा कि यदि राशि जमा नहीं की जाती है, तो संबंधित वसूली अधिकारी राशि की वसूली के लिए उचित कार्यवाही करने के हकदार होंगे और भारत सरकार तथा सभी संबंधित एजेंसियां पूर्ण सहयोग प्रदान करेंगी। माल्या पर 9,000 करोड़ रुपए से अधिक की बैंक ऋण धोखाधड़ी का आरोप हैं।
 
पीठ ने कहा कि रिकॉर्ड में दर्ज तथ्यों एवं परिस्थितियों और इस बात पर गौर करने के बाद कि अवमानना करने वाले ने अपने किए पर ना कोई पछतावा जताया और ना ही उसके लिए माफी मांगी, हम उसे 4 महीने की सजा सुनाते हैं और उस पर दो हजार रुपए का जुर्माना भी लगाते हैं।
 
पीठ ने कहा कि माल्या पर लगाया गया दो हजार रुपए का जुर्माना 4 सप्ताह के भीतर शीर्ष अदालत की 'रजिस्ट्री' में जमा किया जाए और राशि जमा होने के बाद उसे उच्चतम न्यायालय कानूनी सेवा समिति को हस्तांतरित कर दिया जाए। पीठ ने कहा कि जुर्माना राशि निर्धारित समय में जमा न करवाने पर, अवमानना करने वाले को अतिरिक्त दो महीने जेल में बिताने होंगे।(भाषा)
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