नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत को कथित रूप से आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती और अन्य के खिलाफ पटना में दर्ज प्राथमिकी की जांच सीबीआई को सौंपने के बिहार सरकार के निर्णय को बुधवार को बरकरार रखा। शीर्ष अदालत ने कहा कि बिहार सरकार इस मामले को जांच के लिए सीबीआई को सौंपने में सक्षम है।
न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की एकल पीठ ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती की याचिका पर अपने फैसले में कहा कि राजपूत के पिता की शिकायत पर बिहार पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी सही है और इसे सीबीआई को सौंपना विधिसम्मत है।
रिया चक्रवर्ती ने पटना के राजीव नगर थाने में दर्ज इस मामले को मुंबई स्थानांतरित करने का अनुरोध करते हुए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी।
सुशांत सिंह राजपूत (34) 14 जून को मुंबई के उपनगर बांद्रा में अपने अपार्टमेन्ट में छत से लटके मिले थे। इस मामले की तभी से मुंबई पुलिस जाच कर रही है। मुंबई पुलिस ने इस मामले में सिने निर्माता आदित्य चोपड़ा, महेश भट और संजय लीला भंसाली सहित कम से कम 56 व्यक्तियों के बयान दर्ज किये हैं।
न्यायमूर्ति रॉय ने फैसला सुनाते हुये कहा कि राजपूत की मृत्यु के संबंध में अगर कोई अन्य मामला दर्ज है तो उसकी जांच भी सीबीआई ही करेगी।
न्यायालय ने कहा कि मुंबई पुलिस दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 174 के तहत जांच कर रही है जो बहुत ही सीमित है। यह धारा अस्वभाविक मृत्यु और आत्महत्या के मामलों की प्रक्रिया से संबंधित है। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले में सीबीआई की जाच विधिसम्मत है।
रिया चक्रवती की याचिका पर सुनवाई के दिन ही न्यायमूर्ति राय ने राजपूत को प्रतिभाशाली अभिनेता बताते हुये कहा था कि उसकी मौत की सच्चाई सामने आनी ही चाहिए।
न्यायमूर्ति राय ने रिया चक्रवर्ती की याचिका पर 11 अगस्त को सुनवाई पूरी की थी। इस दौरान उन्होंने रिया के साथ ही महाराष्ट्र और बिहार सरकार, केन्द्र सरकार और राजपूत के पिता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ताओं की दलीलों को सुना था।
इस मामले की सुनवाई के दौरान केन्द्र ने न्यायालय को सूचित किया था कि उसने पटना के राजीव नगर थाने में राजपूत के पिता द्वारा दर्ज कराए गए मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की बिहार सरकार की सिफारिश स्वीकार कर ली है और इस संबंध में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने आवश्यक अधिसूचना जारी कर दी है।
बिहार सरकार ने इस मामले में शीर्ष अदालत से कहा था कि राजनीतिक प्रभाव की वजह से मुंबई पुलिस ने अभिनेता राजपूत के मामले में प्राथमिकी तक दर्ज नहीं की है। दूसरी ओर, महाराष्ट्र सरकार की दलील थी कि इस मामले में बिहार सरकार को किसी प्रकार का अधिकार नहीं है।
रिया चक्रवर्ती के वकील का कहना था कि मुंबई पुलिस की जांच इस मामले में काफी आगे बढ़ चुकी है और उसने 56 व्यक्तियों के बयान दर्ज किये हैं। उनका कहना था कि राजपूत के पिता द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी का पटना में किसी अपराध से कोई संबंध नहीं है और इसे दर्ज कराने में 38 दिन का विलंब हुआ है।
इसके विपरीत, राजपूत के पिता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह का कहना था कि उनका महाराष्ट्र पुलिस में भरोसा नहीं है। उनका कहना था कि इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की पुष्टि की जाये और मुंबई में महाराष्ट्र पुलिस को इस मामले में सीबीआई को हर तरह से सहयोग करने का निर्देश दिया जाये।
बिहार सरकार का दावा था कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु को लेकर पटना में दर्ज करायी गयी प्राथमिकी विधि सम्मत और वैध है।
राज्य सरकार ने यह भी दावा किया था कि मुंबई पुलिस ने उसे न तो सुशांत सिंह राजपूत की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की प्रति उपलब्ध करायी और न ही उसने अभी तक इस मामले में कोई प्राथमिकी ही दर्ज की है।
केन्द्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि इस मामले में सिर्फ एक प्राथमिकी दर्ज हुई है जो पटना में कराई गई है और इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने भी जांच शुरू कर दी है।
राजपूत के पिता ने पटना में अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती और उनके परिवार के सदस्यों सहित 6 आरोपियों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने, गलत तरीके रोकने, मकान में चोरी करने, अमानत में खयानत और धोखाधड़ी के आरोप मे भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कराया है। (भाषा)