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Last Modified: नई दिल्ली , गुरुवार, 9 अक्टूबर 2014 (19:55 IST)

कानूनी प्रणाली को संवेदनशील बनाने की आवश्यकता

कानूनी प्रणाली को संवेदनशील बनाने की आवश्यकता - Supreme Court judge
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश एवं नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपित एके सीकरी ने आपराधिक मामलों के लिए मानवीय एवं संवेदनशील न्याय प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता बताई है।
 
सीकरी यहां नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (एनएलयू) की ओर से आयोजित आपराधिक मामलों के न्याय के फैसलों में गलती विषयक कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। इस कार्यशाला का आयोजन नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की ओर से ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट इनीशिएटिव (सीएचआरआई) के साथ मिलकर किया गया था।
 
नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ने गुरुवार को यहां एक विज्ञप्ति में बताया कि इस कार्यशाला का उद्देश्य ऐसे  आपराधिक मामलों को साझा करना था जिसके निर्णय में कुछ गलत हुआ हो। कार्यशाला 6 और 7  अक्टूबर को नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में आयोजित की गई।
 
न्यायमूर्ति सीकरी ने कार्यशाला के दौरान बताया कि किस प्रकार से अक्सर आपराधिक मामलों में  आरोपी एवं पीड़ित न्याय के लाभ से वंचित रह जाते हैं। उन्होंने अनेक उदाहरण देकर कानूनी प्रणाली  को आधुनिक बनाने पर जोर दिया। 
 
कानून मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के सम्मेलनों एवं कार्यशालाओं का  आयोजन जरूरी हो गया है। उच्च न्यायालयों में इस तरह के कई मामले सामने आ रहे हैं। उन्होंने  कहा कि इस तरह के सम्मेलनों और चर्चाओं से न्यायधीशों को ऐसे मामलों में एक दूसरे के विचार  जानने का मौका भी मिलेगा। 
 
उल्लेखनीय है कि भोपाल स्थित राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी ने इस साल के अंत तक देश के सभी  24 उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के लिए कानून और प्रौद्योगिकी पर राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित  करने की योजना बनाई है। इसमें बौद्धिक संपदा अधिकार एवं साइबर कानून से जुड़े मुद्दे भी शामिल  होंगे। 
 
अकादमी अगले साल की शुरआत में इसी तरह का सम्मेलन जिला स्तर के न्यायधीशों के लिए भी  करने की योजना बना रही है। इस सम्मेलन में वाणिज्यिक और आर्थिक कानूनों पर चर्चा होगी।  राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी (एनजेए) एक स्वतंत्र सोसायटी है। भारत के मुख्य न्यायधीश इस अकादमी  की महापरिषद के चेयरमैन हैं। सोसायटी के लिए धन की व्यवस्था केन्द्र सरकार करती है।
 
नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के उपकुलपति प्रो. रणवीर सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय ने मृत्युदंड, ई-कोर्ट,  जुवेनाइल जस्टिस के प्रभाव और कैदियों के लिए सहायता कार्यक्रम जैसे अनेक विषयों पर शोध  किया है। शोध में पाया गया कि कानूनी प्रणाली को अधिक संवेदनशील और मानवीय बनाने की  आवश्यकता है।
 
यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड में अपराध विज्ञान के निदेशक एवं प्रोफेसर कैरोलेन हायले ने कहा कि  कानून एवं आपराधिक मामलों के शोध से कुछ बातें निकल सकती हैं जिससे कानून प्रणाली को  अधिक जिम्मेदार बनाया जा सकता है।
 
उल्लेखनीय है कि नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, बार कौंसिल ऑफ इंडिया की ओर से प्रस्तावित 5 वर्षीय  कानूनी पाठ्यक्रम संचालित करती है। नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी का देश के कानून विश्वविद्यालयों में  प्रमुख स्थान है। (भाषा)