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Last Updated : सोमवार, 2 अगस्त 2021 (12:46 IST)

IT एक्ट की धारा 66A में दर्ज हो रहे मामले, Supreme Court ने राज्यों से मांगा जवाब

IT एक्ट की धारा 66A में दर्ज हो रहे मामले, Supreme Court ने राज्यों से मांगा जवाब - Supreme Court Issues Notices to All States and UTs on Cases Under Scrapped Sec 66A of IT Act
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आईटी एक्ट की धारा 66A के अंतर्गत दर्ज हो रहे मामलों पर राज्य सरकारों से जवाब मांगा है।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था कि आईटी एक्ट की धारा-66 ए प्रावधान को रद्द करने के बाद इसके तहत मामले दर्ज को बंद करना राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की जिम्मेदारी है। 
प्रावधान रद्द होने के बाद भी इसमें लगातार मामले दर्ज हो रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को भी नोटिस जारी किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक गैर सरकारी संगठन की उस याचिका पर राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और सभी उच्च न्यायालयों को नोटिस जारी किए जिसमें कहा गया है कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की रद्द हो चुकी धारा 66ए के तहत अब भी लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में एक फैसले में इस धारा को रद्द कर दिया था।
 
न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने कहा कि चूंकि पुलिस राज्य का विषय है, इसलिए यह बेहतर होगा कि सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित क्षेत्रों को पक्षकार बनाया जाए तथा “हम एक समग्र आदेश जारी कर सकते हैं जिससे यह मामला हमेशा के लिये सुलझ जाए।”
 
गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) पीयूसीएल की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने कहा कि इस मामले में दो पहलू हैं, पहला पुलिस और दूसरा न्यायपालिका जहां अब भी ऐसे मामलों पर सुनवाई हो रही है।
 
पीठ ने कहा कि जहां तक न्यायपालिका का सवाल है तो उसका ध्यान रखा जा सकता है और हम सभी उच्च न्यायालयों को नोटिस जारी करेंगे। शीर्ष अदालत ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख चार हफ्ते बाद तय की है।
 
सुप्रीम कोर्ट ने 5 जुलाई को इस बात पर “हैरानी” और “स्तब्धता” जाहिर की थी कि लोगों के खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66ए के तहत अब भी मुकदमे दर्ज हो रहे हैं जबकि शीर्ष अदालत ने 2015 में ही इस धारा को अपने फैसले के तहत रद्द कर दिया था।
 
सूचना प्रौद्योगिकी कानून की निरस्त की जा चुकी धारा 66ए के तहत भड़काऊ पोस्ट करने पर किसी व्यक्ति को 3 साल तक कैद और जुर्माने की सजा का प्रावधान था।
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