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Last Updated :नई दिल्ली , बुधवार, 18 दिसंबर 2024 (15:26 IST)

सुप्रीम कोर्ट ने आतंकवाद के मामलों में 6 आरोपियों को दिया 2 सप्ताह का समय

सुप्रीम कोर्ट ने आतंकवाद के मामलों में 6 आरोपियों को दिया 2 सप्ताह का समय - Supreme Court gives 2 weeks time to 6 accused in terrorism cases
Supreme Court News :  उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने आतंकवाद के 2 मामलों की सुनवाई जम्मू से नई दिल्ली स्थानांतरित करने की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की अर्जी पर जवाब देने के लिए प्रतिबंधित जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के प्रमुख यासीन मलिक और 5 अन्य को बुधवार को 2 हफ्ते का वक्त दिया।
 
एक मामला 25 जनवरी 1990 को श्रीनगर में गोलीबारी में 4 भारतीय वायुसेना कर्मियों की हत्या से संबंधित है, जबकि दूसरा मामला 8 दिसंबर 1989 को हुए तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण से संबंधित है।ALSO READ: सुप्रीम कोर्ट का महिलाओं को सुरक्षित माहौल देने के विषय में केंद्र से दिशा निर्देश तैयार करने का अनुरोध
 
न्यायमूर्ति एस ओका और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने बुधवार को इस तथ्य का संज्ञान लिया कि 6 आरोपियों ने सीबीआई की अर्जी पर अबतक जबाव नहीं दाखिल किया है। पीठ ने उनसे 2 हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा। शीर्ष अदालत ने अगली सुनवाई के वास्ते 20 जनवरी, 2025 की तारीख नियत की। पीठ ने कहा कि यदि मुकदमे को स्थानांतरित किया जाना है तो सभी आरोपियों को सुनना होगा। पीठ को बताया गया कि एक आरोपी मोहम्मद रफीक पहलू की मृत्यु हो चुकी है और उसके खिलाफ मुकदमा समाप्त हो जाएगा।
 
मलिक और पहलू के अलावा सीबीआई की याचिका में 10 लोगों को पक्षकार बनाया गया है। इनमें से 6 आरोपियों ने सीबीआई की याचिका पर अपना जवाब दाखिल नहीं किया है। 28 नवंबर को शीर्ष अदालत ने यासीन मलिक और अन्य से सीबीआई की याचिका पर जवाब मांगा था।ALSO READ: मंदिर-मस्जिदों का नहीं होगा सर्वे, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश, केंद्र से मांगा हलफनामा
 
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि अपहरण मामले में सुनवाई के लिए मलिक को जम्मू की अदालत में भौतिक रूप से (सशरीर) पेश करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि तिहाड़ जेल में वीडियो कॉन्फ्रेंस की सुविधा वाली अदालत है।
 
शीर्ष अदालत जम्मू की एक निचली अदालत के 20 सितंबर, 2022 के आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे मलिक को रूबैया सईद मामले में अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह करने के लिए शारीरिक रूप से पेश होने का निर्देश दिया गया था। सीबीआई ने कहा कि जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का शीर्ष नेता मलिक राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है और उसे तिहाड़ जेल परिसर से बाहर ले जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta