Story Of Robert Oppenheimer : दुनिया को कभी ना-उम्मीद नहीं होना चाहिए, इस उम्मीद की शुरूआत उस दिन से भी हो सकती है, जब दुनिया का सबसे खतरनाक परमाणु बम (Atom Bomb) बनाने वाले रॉबर्ट ओपेनहाइमर (Robert Oppenheimer) अमेरिकी राष्ट्रपति (Harry S Truman) हैरी एस ट्रूमैन को कहते हैं—
मेरे हाथों में खून लगा है।
ट्रूमैन अपनी जेब से रुमाल निकालते हैं और ओपेनहाइमर के सामने रखकर कहते हैं कि क्या आप अपने हाथ साफ करना चाहेंगे? ओपेनहाइमर का यह जवाब राष्ट्रपति ट्रूमैन के उस सवाल के लिए था, जिसमें ट्रूमैन पूछते हैं कि अमेरिका में ऐसे ही खतरनाक हथियार बनाने के बारे में आप क्या सोचते हैं? इस छोटी सी मुलाकात में राष्ट्रपति ट्रूमैन दुनिया के इस महान वैज्ञानिक ओपेनहाइमर से नाराज हो जाते हैं और कहते हैं--
इस आदमी से दोबारा कभी मेरी मुलाकात न कराई जाए।
यह मुलाकात न सिर्फ एक राष्ट्रपति और जापान के हिरोशिमा और नागासाकी को बर्बाद करने के लिए पहला एटम बम बनाने वाले वैज्ञानिक रॉबर्ट ओपेनहाइमर के बीच ही नहीं थी, बल्कि दो बिल्कुल विपरीत दृष्टि के बीच की मुलाकात थी। एक तरफ जापान को बर्बाद करने की चाह रखने वाले प्रेसीडेंट ट्रूमैन थे तो दूसरी तरफ ओपेनहाइमर के रूप में वो शख्स था, जिसने बर्बादी के लिए एटम बम तो बना दिया, लेकिन अब वो इस तबाही के लिए वो खुद के हाथों को खून से सना मानता है।
6 और 9 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए थे। इन हमलों में करीब 2 लाख से ज्यादा जापानियों की मौत हो गई थी। इन हमलों के बाद अमेरिका जश्न में डूबा था और परमाणु बम बनाने वाले रॉबर्ट ओपेनहाइमर की तस्वीर टाइम मैग्जीन (Time magazine) के कवर पर दमक रही थी, लेकिन ओपेनहाइमर खुद को एक ऐसे हारे हुए वैज्ञानिक के तौर महसूस कर रहे थे जिसके बनाए बम ने 2 लाख इंसानों की जान ले ली थी।
भारत के सिनेमा घरों में 22 जुलाई को क्रिस्टोफर नोलन (Christopher Nolan) की फिल्म 'ओपेनहाइमर' रिलीज हुई।
180 मिनट की इस फिल्म को इन दिनों हिंदू धार्मिक ग्रंथ गीता के एक श्लोक के साथ सेक्स दृश्य फिल्माने के विवाद के साथ देखा जा रहा है। मुझे यह फिल्म ओपेनहाइमर के जीवन में आई विरक्ति के तौर पर महसूस होती है। ठीक वही विरक्ति जो महाभारत के युद्ध के ठीक पहले अर्जुन को आई थी और भगवान श्रीकृष्ण ने उसे धर्म युद्ध बताकर अर्जुन का संशय दूर किया था। या शायद सम्राट अशोक को कलिंग युद्ध के बाद अपने आसपास जमीन पर पड़े लाशों के ढेर को देखकर जो वैराग्य जागा होगा।
हालांकि ओपेनहाइमर एक वैज्ञानिक थे और परमाणु बम के सफल परीक्षण को उन्होंने अपने लिए उपलब्धि माना था। हो सकता है वो एक ही समय में अपने देश के प्रति अपने धर्म और फिर तबाही के बाद आई विरक्ति को एक साथ झेल रहे हों।
दिलचस्प है कि ओपेनहाइमर ने भगवत गीता पढ़ी थी और 1960 के दशक में एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि एटम बम के धमाके के बाद उनके जेहन में हिंदू धर्म ग्रंथ गीता का एक श्लोक आया था। उन्होंने गीता के 11वें अध्याय के 32वें श्लोक का जिक्र किया था और कहा था—
काल: अस्मि लोकक्षयकृत्प्रविद्धो लोकान्समाहर्तुमिह प्रवृत्त:
अर्थात
‘मैं अब काल हूं जो लोकों (संसार) का नाश करता हूं’
हालांकि यही वो श्लोक है जो क्रिस्टोफर नोलन (Christopher Nolan) की फिल्म 'ओपेनहाइमर' में एक सेक्स दृश्य के दौरान पढा गया है और जिस पर विवाद हो गया है।
इस विवाद का भी कोई तर्क नजर नहीं आता। आमतौर पर होता यही है कि एक प्रेमी जोड़ा जब अपने नितांत अकेले क्षणों में होता है,ठीक इसी वक्त वो एक दूसरे की चीजों में दिलचस्पी ले सकता है। बात चाहे कविता की हो, संगीत या फिर कोई धार्मिक ग्रंथ ही क्यों न हो। आखिर जिन निजी क्षणों में श्लोक का अर्थ पूछा गया था वे क्षण भी तो सृजन के क्षण थे।
ओपेनहाइमर की गर्लफ्रेंड भी इन्हीं निजी क्षणों में एक किताब में अपनी दिलचस्पी जाहिर करती है और संस्कृत में लिखे श्लोक का अर्थ पूछती है। जिसके बारे में ओपेनहाइमर कहता है--
‘मैं अब काल हूं जो लोकों (संसार) का नाश करता हूं’। वही ओपेनहाइमर जो एटम बनाता है और यह भी महसूस करता है कि उसके हाथ खून से सने हैं।