हिन्दू संस्कृति का अपमान है तालिबान से RSS की तुलना, जावेद अख्तर पर शिवसेना भी जमकर बरसी
मुंबई। शिवसेना ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तालिबान से तुलना करने में गीतकार जावेद अख्तर पूरी तरह से गलत थे। शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में कहा गया है कि आप कैसे कह सकते हैं कि हिन्दू राष्ट्र की अवधारणा का समर्थन करने वाले तालिबानी मानसिकता के हैं? हम इससे सहमत नहीं हैं।
अख्तर ने हाल ही में एक समाचार चैनल से कहा था कि पूरी दुनिया में दक्षिणपंथियों में एक अनोखी समानता है। गीतकार ने आरएसएस का नाम लिए बिना कहा था कि तालिबान एक इस्लामी देश चाहता है। ये लोग एक हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहते हैं। 'सामना' के संपादकीय में उनकी टिप्पणी का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि भले ही जावेद अख्तर एक धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति हैं और कट्टरता के खिलाफ बोलते हैं, लेकिन उनका आरएसएस की तुलना तालिबान से करना पूरी तरह से गलत है।
'सामना' के संपादकीय में कहा गया है कि हिन्दू राष्ट्र का प्रचार करने वालों का रुख उदार है। इसमें कहा गया जिस विभाजन के कारण पाकिस्तान का निर्माण हुआ, वह धर्म पर आधारित था। जो लोग हिन्दू राष्ट्र का समर्थन करते हैं, वे बस यह चाहते हैं कि बहुसंख्यक हिन्दुओं को दरकिनार न किया जाए। हिन्दुत्व एक संस्कृति है और समुदाय के लोग इस संस्कृति पर हमला करने वालों को रोकने के अधिकार की मांग करते हैं।
शिवसेना के मुखपत्र में आगे कहा गया है कि हिन्दुत्व की तालिबान से तुलना करना हिन्दू संस्कृति का अपमान है। इसमें कहा गया कि एक हिन्दू बहुल देश होने के बावजूद हमने धर्मनिरपेक्षता का झंडा फहराया है। हिन्दुत्व के समर्थक केवल यही चाहते हैं कि हिन्दुओं को दरकिनार न किया जाए। इसमें कहा गया है कि आपका आरएसएस के साथ मतभेद हो सकता है, लेकिन उनके दर्शन को 'तालिबानी' कहना पूरी तरह से गलत है।
क्या कहा था जावेद अख्तर ने?: इस विवाद की शुरुआत तब हुई थी जब बॉलीवुड के प्रसिद्ध गीतकार, शायर व स्क्रिप्ट राइटर ने आरएसएस की तुलना तालिबान से कर दी थी और अब उनके घर के बाहर प्रदर्शन जारी है। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा था कि आरएसएस, वीएचपी और बजरंग दल जैसे संगठनों और तालिबान के मकसद में कोई अंतर नहीं है।(भाषा)