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Last Modified: शुक्रवार, 4 मार्च 2022 (17:39 IST)

रूस-यूक्रेन संकट से भारत में फूटेगा महंगाई बम, कई चीजों के बढ़ेंगे दाम...

रूस-यूक्रेन संकट से भारत में फूटेगा महंगाई बम, कई चीजों के बढ़ेंगे दाम... - Russia-Ukraine crisis will increase inflation in India
रूस और यूक्रेन के बीच पिछले 8 दिनों से जंग जारी है। युद्ध की यह आग करोड़ों भारतीयों को भी झेलनी पड़ सकती है। साथ ही देश में चुनाव हैं, जिससे पेट्रोल-डीजल समेत कई चीजों के दाम स्थिर हैं, हालां‍कि अब चुनाव खत्म होने में 4 दिन बाकी हैं, उसके बाद महंगाई बम फटने की संभावना है।

खबरों के अनुसार, रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। रूस और यूक्रेन के बीच जंग के कारण कच्चे तेल की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। लेकिन हमारे यहां चुनाव के कारण पेट्रोल-डीजल के दाम पिछले 3 महीने से नहीं बढ़ाए गए, लेकिन चुनाव के बाद बढ़ना तय है।

साथ ही इस दौरान उपयोगी वस्तुओं और खाद्य पदार्थों की कीमतों में भी तेजी आएगी। अप्रैल से प्राकृतिक गैस के दाम बढ़ना लगभग तय माना जा रहा है। इसका असर घरेलू गैस सिलेंडर के साथ ही सीएनजी और पीएनजी के दामों पर पड़ेगा।

खुदरा ईंधन विक्रेताओं को लागत वसूली के लिए पेट्रोल और डीजल के दाम 16 मार्च तक 12 रुपए प्रति लीटर से भी अधिक बढ़ाने की आवश्यकता है। उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने के कारण बीते चार महीने से ईंधन के दाम नहीं बढ़े हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें बृहस्पतिवार को 120 डॉलर प्रति बैरल के पार चली गईं थी जो बीते नौ वर्षों में सर्वाधिक हैं। हालांकि शुक्रवार को दाम थोड़े घटकर 111 डॉलर प्रति बैरल पर आ गए। इसके बावजूद तेल की लागत और खुदरा बिक्री दरों के बीच का अंतर बढ़ता जा रहा है।

आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने एक रिपोर्ट में कहा कि बीते दो महीनों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल के दाम बढ़ने से सरकारी स्वामित्व वाले खुदरा तेल विक्रेताओं को लागत वसूली के लिए 16 मार्च 2022 या उससे पहले ईंधन के दामों में 12.1 प्रति लीटर की वृद्धि करनी होगी। वहीं तेल कंपनियों के मार्जिन को भी जोड़ लें तो 15.1 रुपये प्रति लीटर की मूल्य वृद्धि की आवश्यकता है।

पेट्रोलियम मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) के मुताबिक, भारत जो कच्चा तेल खरीदता है उसके दाम तीन मार्च को 117.39 डॉलर प्रति बैरल हो गए। ईंधन का यह मूल्य वर्ष 2012 के बाद सबसे ज्यादा है।

पिछले साल नवंबर की शुरुआत में जब पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि पर रोक लगी थी, तब कच्चे तेल की औसत कीमत 81.5 डॉलर प्रति बैरल थी। ब्रोकरेज कंपनी जेपी मॉर्गन ने एक रिपोर्ट में कहा, अगले हफ्ते तक राज्यों के विधानसभा चुनाव समाप्त हो जाएंगे। अनुमान है कि इसके बाद ईंधन की दरें दैनिक आधार पर बढ़ सकती हैं।

रूस-यूक्रेन संकट के कारण विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में शुक्रवार को रुपया अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 22 पैसे की गिरावट के साथ 76.16 (अस्थाई) प्रति डॉलर पर आ गया। बाजार सूत्रों ने कहा कि विदेशी पूंजी की लगातार निकासी और घरेलू शेयर बाजार में कमजोर रुख से भी घरेलू मुद्रा पर दबाव बढ़ा है।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 76.06 प्रति डॉलर पर खुला। कारोबार के दौरान रुपया ऊंचे में 75.99 और नीचे में 76.22 तक गया। अंत में रुपया अपने पिछले बंद भाव के मुकाबले 22 पैसे की गिरावट के साथ 76.16 के स्तर पर बंद हुआ। इस बीच 6 मुद्राओं की तुलना में डॉलर का रुख दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.27 प्रतिशत मजबूत हो कर 98.05 पर पहुंच गया।
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