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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शुक्रवार, 4 मार्च 2022 (14:19 IST)

Web Series पर कसेगा शिकंजा, वेबदुनिया से बोले NCPCR चेयरमैन प्रियंक कानूनगो, कानून की मर्यादा में रखने के लिए आयोग बना रहा गाइडलाइन

Web Series पर कसेगा शिकंजा, वेबदुनिया से बोले NCPCR चेयरमैन प्रियंक कानूनगो, कानून की मर्यादा में रखने के लिए आयोग बना रहा गाइडलाइन - Webdunia Impact: Guidelines will be made for web series
वेब सीरीज के समाज पर पड़ने वाले प्रभाव नकारात्मक प्रभाव को लेकर ‘वेबदुनिया’ की खबर का बड़ा असर हुआ है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो कहते हैं वेब सीरीज के निर्माता बच्चों के लिए देश में मौजूदा कानून का उल्लंघन कर रहे है और उनको कानून की मर्यादा में रखने के लिए आयोग एक गाइडलाइन बनाने जा रहा है। आने वाले एक से दो महीने में इसको लेकर गाइडलाइन बना दी जाएगी। भोपाल में आयोग की हो रही दो दिन की राष्ट्रीय कार्यशाला में गाइडलाइन को लेकर देश भर से राज्य बाल आयोग के प्रतिनिधियों से भी इनपुट लिए जाएंगे।
 
सामाजिक सरोकार की पत्रकारिता के तहत 'वेबदुनिया' ने “वेबसीरीज से बढ़ते अपराध, OTT के क्राइम कनेक्शन की पूरी पड़ताल” शीर्षक से प्रकाशित खबर में वेब सीरीज के समाज पर पड़ने वाले असर को रेखांकित किया। ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आने वाली वेब सीरीज में क्राइम  और सेक्सुअल कंटेट पर कोई रोक टोक नहीं होने के चलते बच्चों,युवाओं के साथ-साथ पूरे समाज पर क्या असर पड़ रहा है इसको वेबदुनिया ने प्रमुखता से अपनी खबर में उठाया था
 
Web Series के बढ़ते क्राइम कनेक्शन पर क्या थी कवर स्टोरी? 
बदलते दौर के साथ आज सिनेमा भी बदल रहा है। कोरोना काल में फिल्म इंड्रस्टी देखते ही देखते रूपहले पर्दे से ओटीटी प्लेटफॉर्म पर शिफ्ट हो गई। ओटीटी पर दिखाई जाने वाली वाली वेब सीरीज मनोरंजन के एक ऐसे साधन के रूप में स्थापित हुई जिसने देखते ही देखते रूपहले पर्दे को पीछे छोड़ दिया। यह कहना गलत नहीं होगा कि बहुत कम पैसों में आसानी से उपलब्ध वेब सीरीज की पहुंच आज घर-घर तक हो गई है।
 
वेब सीरीज का बाजार जैसे-जैसे बढ़ता जा रहा है वैसे-वैसे इसकी पहुंच भी अधिक होती जा रही है। फिल्म इंड्रस्ट्री के जानकार बताते है कि आज के दौर में क्राइम बेस्ड वेब सीरीज की डिमांड बहुत है। ऐसे में जब फिल्म और उसके किरदार हमेशा से लोगों पर अपनी गहरी छाप छोड़ते आए हैं तब वेब सीरिज और उसके किरदार भी समाज को प्रभावित कर रहे है।  
 
क्राइम बेस्ड वेब सीरीज में जिस तरह से अपराध और अपराधी को दिखाया जाता है वह किस तरह से समाज पर अपना घातक प्रभाव डाल रहा है इसको इन दो केस स्टडी से आसानी से समझा जा सकता है। 
 
केस-1- हैदराबाद में 27 साल के एक युवा ने क्राइम बेस्ड वेब सीरीज मनी हाइस्ट (Money Heist) से प्रेरित होकर अपहरण की वारदात को अंजाम देने के लिए एक गिरोह बनाया जिसमें एक महिला समेत कुछ युवाओं को भर्ती किया। पुलिस पूछताछ में मुख्य आरोपी ने बताया कि वेब सीरीज को देखकर वह अपहरण की वारदात को करने के लिए प्रेरित हुआ। जिसमें मुख्य किरदार कई आपराधिक वारदातों को अंजाम देने के लिए लोगों की भर्ती करता था।
 
केस-2-देश की राजधानी दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में तीन नाबालिगों ने क्राइम बेस्ड वेब सीरिज से प्रभावित होकर फिल्मी स्टाइल में एक शख्स की हत्या कर दी। पकड़े जाने पर पुलिस पूछताछ में उन्होंने बताया कि अपराध की दुनिया में वह मशहूर होना चाहते थे और वह क्राइम बेस्ड वेब सीरिज ‘पुष्पा’ से प्रभावित होकर वारदात को अंजाम दिया। आरोपियों ने पूछताछ के दौरान बताया कि वे 'पुष्पा' और 'भौकाल' जैसी फिल्मों और वेब सीरीज में दिखाए जाने वाले गैंगस्टरों के लाइफस्टाइल से प्रभावित थे।
 
इन दो घटनाओं ने ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आने वाले ऐसी वेब सीरीज के समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर बहस तेज कर दी है जिसको नियामक और नियंत्रण करने वाली कोई संस्था ही नहीं है। 
 
वेब सीरीज में अपराध का महिमामंडन घातक-मनोचिकित्सक डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि वेब सीरीज समाज में किस तरह से व्यावहरिक परिवर्तन ला रही है और समाज उसको कैसे धड़ल्ले से कॉपी कर रहा है इसको इन घटनाओं से आसानी से समझा जा सकता है। आज वेब सीरीज में जिस तरह से क्राइम ही क्राइम दिखाया जा रहा है उसको सीधा असर व्यक्ति की मानसिक स्थिति पर पड़ रहा है और क्राइम की घटनाएं भी तेजी से बढ़ रही है।
 
सत्यकांत आगे कहते हैं कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि वेब सीरीज से क्राइम बहुत तेजी से बढ़ रहा है। डॉक्टर सत्यकांत आगे कहते हैं कि वेब सीरिज में अपराध का महिमामंडन (GLORYFY) किया जा रहा है जो सही नहीं है। वेब सीरीज से इस समय बहुत ही घातक रोल प्ले कर रही है।
 
ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए लक्ष्मण रेखा जरूरी-फिल्म अभिनेता रजा मुराद कहते हैं कि वेब सीरीज से क्राइम बढ़ रहा है, इस पर एक हद तक मैं सहमत हूं। हलांकि यह भी सहीं है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आने वाली वेब सीरीज से ही केवल क्राइम बढ़ रहा है यह भी नहीं कहा जा सकता। अपराधी अपने गुनाह को छिपाने के लिए इस पर दोष मढ़ दे रहे है। 
 
रजा मुराद आगे कहते हैं कि ओटीटी प्लेटफॉर्म जिस तरह से बेलगाम हो गए है उन पर कहीं न कहीं लगाम कसना जरूरी है। बोल्डनेस के नाम पर अगर आप बिल्कुल नग्नता दिखा रहे है या महिलाओं को आप चरित्रहीन दिखा रहे है तो उसका भी असर पड़ता है। आज वेब सीरीज को भी कुछ सेंसरशिप करना जरूरी है। खुद एक लक्ष्मण रेखा खींचनी पड़ेगी कि हमें कहां तक दिखाना है और कहां तक नहीं दिखाना है और इसको खुद वेबसीरीज निर्माताओं को खुद डिसाइड करना होगा। 
 
वहीं सेंसर की भी कुछ गाइडलाइन आनी चाहिए कि अगर आपको सेंसर नहीं किया जा रहा है तो ऐसा नहीं है कि जो दिल चाहे आप दिखा देंगे। कुछ गाइडलाइन बनाई जानी चाहिए कि इसको आप को पार नहीं करना है। सरकार के भी कुछ नोटिफिकेशन होने चाहिए और उस पर अंकुश लगाना चाहिए। वरना इसकी तो कोई हद ही नहीं होगी, अगर आपको आजादी दी गई है तो उसका गलत फायदा नहीं उठाया।
 
कैसे बढ़ रही अपराध की मानसिकता?-मनोचिकित्सक डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी वेब सीरीज से अपराध बढ़ने के पीछे की मानसिकता को बताते हुए मनुष्य के मस्तिष्क में जो भावनाएं (emotions) होते है वह चैनेलाइज (channelize) नहीं होते है। जैसे अगर किसी व्यक्ति के अंदर गुस्सा और क्रोध है तो उसके दो बिहेवियर हो सकते है। पहला या तो वह गुस्से को व्यक्त (internalize) नहीं कर पाएगा जिसमें खुद को नुकसान पहुंचाने की प्रवृत्ति (जैसे आत्महत्या) देखी जाती है या दूसरा अपने व्यवहार में लाकर (externalize) कर जाएगा, जिसमें मारपीट, एसिड फेंकना, हत्या और रेप जैसी वारदात शामिल होती है। 
 
डॉक्टर सत्यकांत आगे कहते हैं कि आज जिस तरह से वेब सीरिज में नकारत्मकता दिखाई या कहे बेची जा रही है तो क्रोध और कुंठा से भरा व्यक्ति उससे सीधा अपना जुड़ाव महसूस करता है और उसको लगता है कि यह वाला बिहेरवियर ट्रैंड में है और उनके अवचेतन में एक स्वीकार्यता जैसी आ जाती है। वह कहते हैं कि वेब सीरिज में जो स्क्रिप्ट होती है उसमें ऐसा दिखाया जाता है कि जैसे हम-आप उसमें ही जी रहे है। वेब सीरिज इसलिए चलती है क्योंकि हमारे मन में नकारात्मक विचार चलते रहते है। वह नकारात्मक विचार जब घटना के रूप में परिणित होते दिखाई देते है तो हमको लगाता है कि हम भी कर सकते है जिसका सीधा असर समाज में परीलिक्षित हो रहा है और क्राइम की घटनाएं बढ़ रही है। 
 
समाज पर सिनेमा का प्रभाव- वहीं फिल्म अभिनेत्री श्र्वेता बसु प्रसाद कहती हैं कि सिनेमा हमेशा समाज का दर्पण होता है जो समाज में हो रहा होता है। उसका प्रभाव समाज पर  पड़ता है और कई बार सिनेमा का प्रभाव भी लोगों पर पड़ता है। समाज पर पड़ता है, देखने में आया है। अब प्रभाव किसी भी तरीके का हो सकता है। विजुअल आर्ट का हमेशा प्रभाव पड़ता है कि आप दर्शक हैं और आप देख रहे हैं। आप लोगों के भावनाओं को देख रहे हैं। दो लोगों के बीच के आपसी रिश्ते को भी देख रहे हैं। 
 
बतौर अभिनेता हम लोग परफॉर्म कर रहे होते हैं। लेकिन ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कई अलग अलग तरीके के शो है। कभी रॉकेट साइंस को लेकर बनाया जा रहा है। कहीं साइंटिस्ट को लेकर बनाया जा रहा है। अब यह हर शख्स की अपनी खुद की इच्छा है कि वह किस तरीके के शो देखना पसंद कर रहा है। मेरी फिल्म इकबाल की ही बात कर लीजिए। लोग देखते हैं और लोग उससे प्रेरणा लेते हैं। यह एक बहुत ही निजी मामला है कि कोई शख्स क्या और किस तरीके का शो देखना चाहता है और क्या वह उससे प्रभावित होकर अपने जीवन में बदलाव लाता है।