गुरुवार, 19 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. RSS branch will teach rituals to the child in the womb for the best child
Written By
Last Modified: सोमवार, 6 मार्च 2023 (14:30 IST)

उत्तम संतान के लिए RSS की शाखा सिखाएगी गर्भ में शिशु को संस्कार

उत्तम संतान के लिए RSS की शाखा सिखाएगी गर्भ में शिशु को संस्कार - RSS branch will teach rituals to the child in the womb for the best child
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध ‘संवर्धिनी न्यास’ ने शिशुओं को गर्भ में ही संस्कार एवं मूल्य सिखाने के उद्देश्य से गर्भवती महिलाओं के लिए ‘गर्भ संस्कार’ नाम से एक मुहिम शुरू की है।
 
न्यास की राष्ट्रीय संगठन सचिव माधुरी मराठे ने सोमवार को यह जानकारी दी। स्त्री रोग विशेषज्ञों, आयुर्वेदिक चिकित्सकों और योग प्रशिक्षकों के साथ मिलकर न्यास एक कार्यक्रम की योजना बना रहा है जिसमें ‘गर्भ में शिशुओं को सांस्कृतिक मूल्य प्रदान करने’ के लिए गर्भावस्था के दौरान गीता एवं रामायण का पाठ और योगाभ्यास किया जाएगा।
 
मराठे ने कहा कि यह कार्यक्रम गर्भ में मौजूद शिशु से दो साल की उम्र तक के बच्चों के लिए चलाया जाएगा और इसके तहत गीता के श्लोकों और रामायण की चौपाइयों के जाप पर जोर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि गर्भ में शिशु 500 तक शब्द सीख सकता है।
 
गर्भ में सीखेगा बच्चा : छत्रपति शिवाजी महाराज की मां का उदाहरण देते हुए मराठे ने बताया कि कैसे जीजाबाई ने एक राजा के जन्म की कामना की थी। माधुरी ने कहा कि सभी महिलाओं को इसी तरह प्रार्थना करनी चाहिए ताकि बच्चों में हिंदू शासकों के गुण आ सकें। 
 
इस अभियान का उद्देश्य एक ऐसा कार्यक्रम विकसित करना है जो यह सुनिश्चित करे कि बच्चा गर्भ में संस्कार सीख सके और यह प्रक्रिया तब तक जारी रहेगी, जब तक कि बच्चा दो साल का नहीं हो जाता। संघ की महिला शाखा संवर्धिनी न्यास की इस मुहिम के तहत कम से कम 1,000 महिलाओं तक पहुंचने की योजना है।
 
मराठे ने बताया कि इस अभियान के तहत न्यास ने रविवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में एक कार्यशाला आयोजित की, जिसमें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान-दिल्ली सहित कई अस्पतालों के स्त्री रोग विशेषज्ञों ने भाग लिया।
 
उल्लेखनीय है कि हिन्दू परंपरा के 16 संस्कारों में एक पुंसवन संस्कार भी है, जिसके माध्यम से गर्भवती माता को सकारात्मक विचार के साथ, सात्विक भोजन एवं परिवार की परंपरा के अनुसार संस्कारों का प्रत्यारोपण किया जाता है। इससे गर्भ में पल रहे शिशु को भी इन संस्कारों का लाभ मिलता है। यह स्वस्थ संतान सुनिश्चित करने से भी संबंधित है। 
 
ये भी पढ़ें
गाड़ी खरीदने की सोच रहे तो खरीदें इलेक्ट्रिक व्हीकल... टैक्स और रजिस्ट्रेशन फीस माफ, इतना फायदा