रिजर्व बैंक ने नहीं बदली ब्याज दर, EMI में और राहत नहीं
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को उम्मीद के अनुसार प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 4 प्रतिशत पर बरकरार रखा। साथ ही केंद्रीय बैंक ने कोरोनावायरस के नए स्वरूप ओमिक्रॉन को लेकर चिंता के बीच मौद्रिक नीति के मामले में जबतक जरूरी हो, उदार रुख बनाए रखने का फैसला किया है। रिजर्व बैंक के इस फैसले से लोगों को EMI में कोई राहत नहीं मिलेगी।
यह लगातार 9वीं बार है, जब रिजर्व बैंक ने रेपो दर के मामले में यथास्थिति को बरकरार रखा गया है। इसके साथ रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत पर बना रहेगा।
मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि एमपीसी ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए जीडीपी वृद्धि दर लक्ष्य को 9.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा 2021-22 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के अनुमान को 5.3 प्रतिशत पर कायम रखा गया है। एमपीसी को 2 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत पर बरकरार रखने की जिम्मेदारी दी गई है।
मौद्रिक नीति की खास बातें...
-भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने रेपो दर और रिवर्स रेपो दर को स्थिर रखा।
-भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे बड़ी गिरावट से बाहर आ गयी है, हम कोविड-19 महामारी से निपटने के लिये बेहतर रूप से तैयार हैं
-RBI ने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति का अनुमान 2021-22 में 5.3 प्रतिशत पर बरकरार रखा।
-कच्चे तेल की कीमत नवंबर में नरम हुई, इससे घरेलू बाजार में लागत के स्तर पर दबाव कम होगा।
-मूल्य स्थिरता RBI का प्रमुख सिद्धांत है क्योंकि यह विकास, स्थिरता को बढ़ावा देता है।
-केंद्रीय बैंक वित्तीय स्थिरता को बनाये रखने के लिये नकदी का प्रबंधन करता रहेगा।
-RBI बैंकों को बिना उसकी पूर्व मंजूरी के विदेशी शाखाओं में पूंजी डलने और लाभ भेजने की अनुमति देगा।
-वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्थाएं खुल रही हैं, गतिविधियां कोविड-पूर्व स्तर पर पहुंच रही हैं
-भारतीय अर्थव्यवस्था पुनरुद्धार के रास्ते पर अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में है, लेकिन वैश्विक स्थिति से पूरी तरह से अलग नहीं हो सकती।