दुष्कर्म के दोषियों को फांसी की सजा देने का विधेयक पारित
भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा ने सोमवार को 12 साल की उम्र तक की बालिकाओं के साथ दुष्कर्म या सामूहिक दुष्कर्म करने के दोषियों को फांसी की सजा देने के प्रावधान वाला संशोधन विधेयक सर्वसम्मति से पारित कर दिया। इसके साथ ही महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वालों को सख्त सजा देने के उद्देश्य से इस प्रकार का विधेयक लाने वाला मध्यप्रदेश देश में पहला राज्य बन गया।
इस विधेयक में महिलाओं का पीछा करने जैसे मामलों में भी दोषियों को सख्त सजा देने की सिफारिश की गई है। प्रदेश के विधि एवं विधायी कार्यमंत्री रामपाल ने विधानसभा में दण्ड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक 2017 प्रस्तुत किया। इस पर पक्ष-विपक्ष के सदस्यों ने विस्तृत चर्चा के बाद सर्वसम्मति से पारित कर दिया।
हालांकि कांग्रेस विधायकों ने महिलाओं का पीछा करने के मामलों में सख्त सजा के प्रावधान करने की यह कहकर शंका प्रकट की है कि लोग अपने व्यक्तिगत विवादों में इसका दुरुपयोग भी कर सकते हैं। विधेयक के मुताबिक 12 साल तक की बालिकाओं के साथ दुष्कर्म के दोषियों को धारा 376 एए के तहत फांसी की सजा या अर्थदंड के साथ कम से कम 14 साल के कारावास का प्रावधान किया गया है। 12 साल तक की बालिकाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म के दोषियों को धारा 376 डीए के तहत फांसी की सजा या जुर्माने के साथ 20 साल के कारावास की सजा देने का प्रावधान किया गया है।
इसके साथ ही विधेयक में भादंवि की धारा 493 (ए) के तहत किसी व्यक्ति जो किसी स्त्री को विवाह का आश्वासन देकर उसके साथ सहवास करने का दोषी पाए जाने पर उसे तीन वर्ष के कारावास और जुर्माने से दंडित करने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा धारा 354 डी के तहत महिला का पीछा करने के आरोपी को पहली दफा दोषी पाया जाता है तो उसे तीन साल और दूसरी दफा दोषी पाएजाने पर सात साल तक कारावास और एक लाख रपए के जुर्माने की सजा का प्रावधान है।
धारा 354 बी के तहत विवस्त्र करने के आशय से स्त्री पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करने के पहली दफा दोषी पाने पर तीन से सात साल के कारावास और जुर्माना तथा दूसरी दफा दोषी होने पर सात से 10 साल तक कारावास और न्यूनतम एक लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
विधेयक पर बहस के दौरान कांग्रेस के विधायक रामनिवास रावत और गोविन्द सिंह ने इसके कुछ प्रावधानों के दुरुपयोग होने की शंका जाहिर करते हुए कहा कि कुछ महिलाएं अपने फायदे के लिए पीछा करने जैसे मामले पुरुषों के खिलाफ दायर कर सकती हैं। इसके साथ ही कांग्रेस सदस्यों ने आशंका जाहिर की है कि साक्ष्य मिटाने के लिए आरोपी बालिकाओं की दुष्कर्म की घटना के वक्त ही हत्या कर सकते हैं। इसके उत्तर में मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया कि यदि इसका दुरुपयोग हुआ तो सरकार उचित कदम उठाएगी।
चौहान ने कहा कि स्मार्टफोन और इंटरनेट से बच्चों और समाज में अश्लील फिल्मों को बढ़ावा मिल रहा है। सत्तापक्ष भाजपा और कांग्रेस सहित सभी विपक्षी सदस्यों के बीच विस्तृत चर्चा के बाद संशोधन विधेयक को सर्वसम्मति से सदन में पारित कर दिया गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधेयक के पारित होने पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि समाज में दंड विधान बनाया तो यह सोचकर ही बनाया कि कुछ लोग दंड से ही मानते हैं। इसलिए दंड को कड़ा किया गया है। दूसरी तरफ इस प्रकार के अपराधों के प्रति समाज को जागरूक करने के प्रयास भी किए जाएंगे और इस मामले में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।
प्रदेश के गृहमंत्री ने मीडिया से कहा, अब इसे स्वीकृति के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। उनकी स्वीकृति के बाद यह प्रदेश में कानून के तौर पर लागू हो जाएगा। महिलाओं के खिलाफ ऐसे अपराध करने वाले दोषियों को फांसी जैसी सख्त सजा देने के प्रावधान वाला यह विधेयक सदन में आज पारित हो गया है। आज का दिन मध्यप्रदेश के लिए ऐतिहासिक है।
उल्लेखनीय है कि एनसीआरबी के जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2017 में देश में 28,947 महिलाओं के साथ बलात्कार की घटना दर्ज की गई। इसमें मध्यप्रदेश में 4882 महिलाओं के साथ बलात्कार की घटना दर्ज हुई। इस मामले में मध्यप्रदेश देश के सभी राज्यों में पिछले कई सालों से लगातार पहले स्थान पर है। (भाषा)