जहरीले कचरे पर पीथमपुर से इंदौर तक दहशत, लोगों को नहीं मिले सवालों के जवाब?
पीथमपुर बंद को समर्थन : पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड का कचरा चलाए जाने के विरोध में गुरुवार को इंदौर में भी प्रदर्शन हुआ। कहा जा रहा है कि इसका इंदौर और इसके आसपास के क्षेत्रों में भी जल संसाधन और खेती को भारी नुकसान पहुंचने का खतरा है। सरकार को जनभावनाओं का ध्यान रखते हुए फैसला करना चाहिए।
क्या है लोगों के सवाल : पीथमपुर में भोपाल के कचरे की पैकिंग करने गए अगले का पहले ब्लड टेस्ट कराया गया। इसके बाद इन लोगों से आधार कार्ड, समग्र आईडी लेकर उनका बीमा भी कराया गया। कंटेनर के ड्राइवर को हर घंटे के हिसाब से 5000 रुपए का भुगतान किया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि जब कचरा निस्तारण में लगे लोगों पर इतना ध्यान दिया जा रहा है तो स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य की अनदेखी क्यों की गई। प्रदर्शनकारियों का दावा है कि कचरे की सतही जांच हुई और उसमें कैंसर कारक मर्करी और लेड है।
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कांग्रेस ने भी किया विरोध : कांग्रेस भी खुलकर पीथमपुर में जहरीला कमरा जलाने का विरोध कर रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस मामले में लोकसभा की पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन से मुलाकात दी। उन्होंने कहा राजनीति से ऊपर उठकर इस मामले में सभी जनप्रतिनिधियों को एक साथ होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस कचरे की महामारी से इंदौर भी ग्रसित ना हो जाए। वहीं कांग्रेस विधायक भंवर सिंह शेखावत ने कहा कि यदि कचरे से कोई नुकसान नहीं है तो इसे उज्जैन में ही क्यों नहीं जलाया जाता?
क्या बोले सीएम : इधर सीएम मोहन यादव का कहना है कि कचरे का निस्तारण सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सावधानी से किया जा रहा है। कचरे का निपटान 40 साल बाद कर रहे हैं। अब इसके हानिकारक प्रभाव कम हो गए। इसमें मौजूद नेप्थाल का प्रभाव 25 साल बाद समाप्त हो जाता है।
edited by : Nrapendra Gupta