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Last Modified: शनिवार, 29 अगस्त 2020 (00:22 IST)

राज्यों के अधिकार में नहीं अंतिम वर्ष की परीक्षा बिना छात्रों को प्रोन्नत करना : उच्चतम न्यायालय

राज्यों के अधिकार में नहीं अंतिम वर्ष की परीक्षा बिना छात्रों को प्रोन्नत करना : उच्चतम न्यायालय - Promotion of students without final year examination not in the authority of the states
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि कोई भी राज्य या विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के दिशानिर्देशों के अनुसार परीक्षाएं आयोजित किए बिना अंतिम वर्ष में छात्रों को प्रोन्नत नहीं कर सकता है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि आपदा प्रबंधन (डीएम) अधिनियम, 2005 के तहत अधिकार का इस्तेमाल करते हुए एसडीएमए या राज्य द्वारा अंतिम वर्ष और टर्मिनल सेमेस्टर परीक्षा 30 सितंबर तक आयोजित नहीं करने का निर्णय यूजीसी द्वारा निर्धारित समय सीमा के स्थान पर प्रभावी होगा।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आरएस रेड्डी और एमआर शाह की पीठ ने कहा कि यदि किसी राज्य/ केंद्रशासित प्रदेश ने यह निर्णय लिया है कि 30 सितंबर, 2020 तक अंतिम वर्ष/ टर्मिनल सेमेस्टर की परीक्षा आयोजित करना संभव नहीं है, तो वे तिथि को पुनर्निर्धारित करने के लिए यूजीसी को आवेदन कर सकते हैं।
पीठ ने कहा, राज्य और विश्वविद्यालय अंतिम वर्ष/ टर्मिनल परीक्षा के बिना अंतिम वर्ष/ टर्मिनल सेमेस्टर में छात्रों को प्रोन्नत नहीं कर सकते हैं। याचिकाकर्ताओं के अनुसार, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे कई राज्यों ने परीक्षाओं को रद्द करने और पिछले प्रदर्शनों के आधार पर छात्रों को प्रोन्नत करने का फैसला किया है।
पीठ ने अपने 160 पृष्ठ के फैसले में कहा, इस प्रकार, हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि राज्य या एसडीएमए का डीएम अधिनियम, 2005 के तहत पिछले प्रदर्शन या आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर छात्रों को प्रोन्नत करने संबंधी फैसला लेने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है।

पीठ ने कहा कि यदि किसी राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश ने डीएम अधिनियम के तहत अपने क्षेत्राधिकार में, एक निर्णय लिया है कि 30 सितंबर तक अंतिम वर्ष/ टर्मिनल सेमेस्टर परीक्षा आयोजित करना संभव नहीं है, तो हम ऐसे राज्य/ केन्द्र शासित प्रदेश को स्वतंत्रता प्रदान करते हैं कि वे 30 सितंबर की समय सीमा बढ़ाने के लिए यूजीसी से अनुरोध करे और इस पर यूजीसी द्वारा विचार किया जाएगा और जल्द से जल्द इस तरह के राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश को पुनर्निर्धारित तारीख के बारे में जाएगा।
पीठ ने छात्रों, निजी संगठनों और शिवसेना की युवा शाखा ‘युवा सेना’ द्वारा दायर याचिकाओं का निपटारा किया।याचिकाओं में यूजीसी के छह जुलाई के उस निर्देश को चुनौती दी गई थी कि जिसमें कहा गया था कि विश्वविद्यालय 30 सितंबर तक अंतिम वर्ष की परीक्षा आयोजित करेंगे।(भाषा)
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