लखनऊ/ कानपुर। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को कहा कि उन्होंने सपने में भी कभी नहीं सोचा था कि वह देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होंगे। कोविंद ने कानपुर देहात जिले के परौंख गांव (अपनी जन्मस्थली) में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मुझे देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होने का सम्मान मिलेगा, लेकिन हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था ने ऐसा कर दिखाया।
राष्ट्रपति ने स्वतंत्रता सेनानियों और संविधान निर्माताओं को भी श्रद्धांजलि दी और कहा, आज मैं जहां भी हूं, उसका श्रेय इस गांव की मिट्टी, इस क्षेत्र और आपके प्यार एवं आशीर्वाद को जाता है। बुजुर्गों को माता-पिता की तरह सम्मान देना हमारे संस्कार है और मुझे खुशी है कि हमारे परिवार में बड़ों को सम्मान देने की यह परंपरा अब भी जारी है।
कोविंद ने अपने गांव परौंख के पास हेलीपैड पर उतरने के बाद गांव की मिट्टी को नमन किया और धरती को छूकर अपनी जन्मभूमि को प्रणाम किया। कोविंद ने कहा, मैं कहीं भी रहूं, मेरे गांव की मिट्टी की खुशबू और मेरे गांव के लोगों की यादें हमेशा मेरे दिल में बसी रहेंगी। परौंख गांव मेरी 'मातृभूमि' है, जहां से मुझे देशसेवा करने की प्रेरणा मिलती रही है।
राष्ट्रपति ने कहा, 'मातृभूमि' से मिली इस प्रेरणा ने मुझे उच्च न्यायालय से उच्चतम न्यायालय, उच्चतम न्यायालय से राज्यसभा, राज्यसभा से राजभवन और राजभवन से राष्ट्रपति भवन तक पहुंचाया है। कोविंद ने कहा कि इस कोविड काल में फिटनेस और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है, खुद भी टीका लगवाएं और दूसरों को भी प्रेरित करें।
कोविंद ने भरोसा दिलाया, मैं व्यक्तिगत रूप से ग्रामीणों के लिए राष्ट्रपति भवन देखने की व्यवस्था करूंगा, आप लोग आकर देख सकते हैं। उन्होंने कहा, इस बार मैं बहुत देर से गांव आया लेकिन मेरी इच्छा है कि भविष्य में ऐसा ना हो।
राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण का सौभाग्य प्राप्त हुआ और वहां बने सामुदायिक केन्द्र को देखकर खुशी मिली। उन्होंने बताया, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वादा किया है कि जल्द ही यहां बाबा साहेब की संगमरमर की भव्य प्रतिमा लगाई जाएगी।
राष्ट्रपति का स्वागत करते हुए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि राष्ट्रपति ने अनुसूचित समाज के लिए काफी काम किया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति संसदीय परंपराओं के बारे में काफी जानकार हैं और जीवनभर दलित लोगों के लिए संघर्ष करते रहे। उन्होंने कहा कि आदिवासी गांवों में क्षेत्र के विकास के लिए उन्होंने काफी काम किया है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राष्ट्रपति के पैतृक गांव पहुंचने पर वह राज्य के सभी नागरिकों की ओर से राष्ट्रपति का स्वागत करते हैं। योगी ने कहा, भारत की प्राचीन परंपराएं हमें आत्मनिर्भरता और अनुशासन के साथ आगे ले जाती हैं और हमें दुनिया में एक विशिष्ट पहचान देती हैं।
उन्होंने कहा, राष्ट्रपति की यादें इस जगह से जुड़ी हुई हैं। मैंने उन्हें करीब देखा है। जन्मस्थान के प्रति भी हमारी जिम्मेदारी होती है। राष्ट्रपति ने इस दायित्व को पूरा करते हुए अपने जन्मस्थान को बैठक केंद्र के रूप में दान कर दिया है। उन्होंने अपनी जीवनभर की बचत वीरांगना झलकारी बाई इंटर कॉलेज के निर्माण के लिए दान कर दी है। यही कारण है कि परौंख गांव देश के साथ-साथ दुनिया में भी अपनी एक खास जगह बना रहा है।
योगी ने कहा कि यह हमारे लिए सम्मान की बात है और हमने राष्ट्रपति के पैतृक गांव के विकास के लिए कुछ योजनाएं बनाई हैं। मुख्यमंत्री ने कानपुर देहात में मेडिकल कॉलेज बनाने की घोषणा की। राष्ट्रपति कोविंद रविवार सुबह परौंख गांव में अपने जन्मस्थान पहुंचे जहां प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनका स्वागत किया।
कानपुर देहात के पुलिस अधीक्षक के जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि पटेल और आदित्यनाथ ने कोविंद का उनके पैतृक गांव परौंख में स्वागत किया। कोविंद अपनी पत्नी और बेटी के साथ पथरी देवी मंदिर गए और पूजा-अर्चना की। उन्होंने राज्यपाल और मुख्यमंत्री के साथ परौंख गांव का दौरा किया। वह परौंख गांव के प्राथमिक स्कूल पहुंचे, जहां उन्होंने लोगों को संबोधित किया।
कोविंद अपने पुराने परिचितों, विधायकों और भाजपा पदाधिकारियों सहित जनप्रतिनिधियों से भी बातचीत करेंगे। वह पुखरायां जाएंगे, जहां वह 60 से अधिक लोगों से मुलाकात करेंगे। राष्ट्रपति 28 और 29 जून को लखनऊ रहेंगे।(भाषा)