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Last Updated : रविवार, 27 जून 2021 (13:19 IST)

जन्म देने वाली माता और जन्मभूमि का गौरव स्वर्ग से भी बढ़कर होता है : राष्ट्रपति

जन्म देने वाली माता और जन्मभूमि का गौरव स्वर्ग से भी बढ़कर होता है : राष्ट्रपति - President Ram Nath Kovind's visit to Kanpur
कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर व कानपुर देहात के 3 दिवसीय दौरे पर पहुंचे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तय कार्यक्रम के अनुसार आज सुबह सबसे पहले अपने गृह जनपद कानपुर देहात के अपने गांव परौंख पहुंचे और उन्होंने गांव पहुंचते ही सबसे पहले पथरी देवी मंदिर में दर्शन कर पूजा-अर्चना की। उनके साथ उनकी पत्नी सविता कोविंद, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने भी मंदिर के दर्शन किए। बाद में राष्ट्रपति ने गांववालों का अभिनंदन स्‍वीकार करते हुए सभी का धन्यवाद किया।

उसके बाद तय कार्यक्रम के अनुसार, कानपुर देहात के परौंख गांव में जन अभिनंदन समारोह को संबोधित करते हुए उन्‍होंने कहा कि जन्मभूमि से जुड़े ऐसे ही आनंद और गौरव को व्यक्त करने के लिए संस्कृत काव्य में कहा गया है, 'जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी' अर्थात जन्म देने वाली माता और जन्मभूमि का गौरव स्वर्ग से भी बढ़कर होता है।

मैंने सपने में भी कल्पना नहीं की थी कि गांव के मेरे जैसे एक सामान्य बालक को देश के सर्वोच्च पद के दायित्व-निर्वहन का सौभाग्य मिलेगा। लेकिन हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था ने यह करके दिखा दिया।गांव में सबसे वृद्ध महिला को माता तथा बुजुर्ग पुरुष को पिता का दर्जा देने का संस्कार मेरे परिवार में रहा है, चाहे वह किसी भी जाति, वर्ग या संप्रदाय के हों।

आज मुझे यह देखकर खुशी हुई है कि बड़ों का सम्मान करने की हमारे परिवार की यह परंपरा अब भी जारी है।भारतीय संस्कृति में 'मातृ देवो भव', 'पितृ देवो भव', 'आचार्य देवो भव' की शिक्षा दी जाती है। हमारे घर में भी यही सीख दी जाती थी। माता-पिता और गुरु तथा बड़ों का सम्मान करना हमारी ग्रामीण संस्कृति में अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता है।

मैं कहीं भी रहूं, मेरे गांव की मिट्टी की खुशबू और मेरे गांव के निवासियों की यादें सदैव मेरे हृदय में विद्यमान रहती है। मेरे लिए परौंख केवल एक गांव नहीं है, यह मेरी मातृभूमि है, जहां से मुझे आगे बढ़कर देशसेवा की सदैव प्रेरणा मिलती रही है।मातृभूमि की इसी प्रेरणा ने मुझे हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट से राज्यसभा, राज्यसभा से राजभवन व राजभवन से राष्ट्रपति भवन तक पहुंचा दिया।

आज इस अवसर पर देश के स्वतन्त्रता सेनानियों व संविधान-निर्माताओं के अमूल्य बलिदान व योगदान के लिए मैं उन्हें नमन करता हूं। सचमुच में, आज मैं जहां तक पहुंचा हूं उसका श्रेय इस गांव की मिट्टी और इस क्षेत्र तथा आप सब लोगों के स्नेह व आशीर्वाद को जाता है।

अपने संबोधन के अंत में उन्होंने गांववालों से अपील की कि पूरे देश में और उत्तर प्रदेश में भी टीकाकरण का अभियान चल रहा है। वैक्सीनेशन कोरोना महामारी से बचाव के लिए कवच की तरह है। इसलिए मेरा सुझाव है कि आप सभी स्वयं तो टीका लगवाएं ही, दूसरों को भी वैक्सीनेशन के लिए प्रेरित करें।
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