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Last Modified: बुधवार, 8 दिसंबर 2021 (23:00 IST)

राष्ट्रपति कोविंद ने किया सम्मान : नौसेना के 22वें मिसाइल बेड़े को 'प्रेसीडेंट स्टैंडर्ड', 1971 में पाकिस्तान के छुड़ाए थे छक्के

राष्ट्रपति कोविंद ने किया सम्मान : नौसेना के 22वें मिसाइल बेड़े को 'प्रेसीडेंट स्टैंडर्ड', 1971 में पाकिस्तान के छुड़ाए थे छक्के - President Ram Nath Kovind felicitates Missile Vessel Squadron
मुंबई। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को 22वीं मिसाइल वेसल स्क्वाड्रन को विशिष्ट सेवा के लिए 'राष्ट्रपति मानक' से सम्मानित किया। इसी इकाई ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तानी नौसेना के जहाजों पर बमबारी की थी और उन्हें डुबो दिया था।

राष्ट्रपति ने कहा कि यह सम्मान स्क्वाड्रन के पूर्व और वर्तमान अधिकारियों द्वारा की गई सेवाओं का प्रमाण है। यह वर्ष मिसाइल वेसल स्क्वाड्रन की स्थापना के पचास वर्षों का भी प्रतीक है। इस स्कवाड्रन को ‘किलर्स’ के रूप में भी जाना जाता है। इस स्क्वाड्रन ने पिछले पांच दशकों में समुद्र से विश्वसनीय आक्रामक युद्धक क्षमता बनाए रखी है।

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, इस पुरस्कार का समय इससे अधिक उपयुक्त नहीं हो सकता था क्योंकि हमारा देश ‘स्वर्णिम विजय वर्ष’ मना रहा है। मानक सम्मान प्रदान किया जाना हमारे देश के लिए इस स्क्वाड्रन के अतीत और वर्तमान के अधिकारियों और नाविकों द्वारा प्रदान की गई असाधारण सेवा का प्रमाण है।

मिसाइल वेसल स्क्वाड्रन ने ‘ऑपरेशन विजय’ और ‘ऑपरेशन पराक्रम’ में भाग लिया है और 2019 में पुलवामा हमले के बाद बढ़ाई गई सुरक्षा के दौरान पाकिस्तान तट से हमलों की आशंका के मद्देनजर जवाबी कार्रवाई के लिए भी इसकी तैनाती की गई।

अक्टूबर 1991 में मुंबई में 22वीं मिसाइल वेसल स्क्वाड्रन को औपचारिक रूप से दस वीर श्रेणी और तीन प्रबल श्रेणी की मिसाइल युक्त नौकाओं के साथ स्थापित किया गया था। हालांकि ‘किलर्स’ की शुरुआत वर्ष 1969 में हुई, जब भारतीय नौसेना की ताकत को बढ़ाने के लिए तत्कालीन यूएसएसआर (सोवियत संघ) से ओएसए एक श्रेणी मिसाइल पोत को शामिल किया गया था।

राष्ट्रपति ने कहा कि 22वीं मिसाइल वेसल स्क्वाड्रन पिछले पांच दशकों में लगातार आगे बढ़ती रही। उन्होंने कहा, पचास साल पहले, आठ दिसंबर को किलर स्क्वाड्रन जहाजों ने कराची बंदरगाह को आग लगा दी, दुश्मन के मनोबल को धराशायी कर दिया, कराची पर नाकाबंदी लागू कर दी और समुद्र में नियंत्रण हासिल कर लिया।

तथ्य यह है कि ये जहाज, मुख्य रूप से तट रक्षा के लिए गए थे। युद्ध में ये हमारी नौसेना के लिए सबसे शक्तिशाली आक्रामक स्ट्राइक फोर्स बन गए, जो हमारे नौसेना कर्मियों के शौर्य और बहादुरी का प्रतीक है।

राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि वह आत्मानिर्भर भारत के प्रति नौसेना की प्रतिबद्धता को छत्रपति शिवाजी महाराज को श्रद्धांजलि के रूप में देखते हैं, जिन्हें कई इतिहासकार 17वीं शताब्दी में भारत की युद्ध के लिए तैयार नौसेना बल के संस्थापक के रूप में मानते हैं।

उन्होंने कहा कि स्क्वाड्रन ने अदम्य वीरता और विशिष्ट सेवा के लिए कई सम्मान और पुरस्कार अर्जित किए हैं। इसमें महावीर चक्र, वीर चक्र और नौसेना पदक शामिल हैं, जो ‘किलर्स’ स्क्वाड्रन की बहादुरी का प्रमाण है।(भाषा)