क्यों महाकुंभ में कुछ घाटों पर आम लोगों की भीड़ और कहीं आराम से वीडियो बनाते नजर आ रहे खास लोग?
भारत के प्रयागराज शहर में चल रहे महाकुंभ में 28 जनवरी की देर रात हुई भगदड़ में कम से कम 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। हालांकि मरने वालों की संख्या इससे ज्यादा हो सकती है। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग घायल भी हुए हैं। इस घटना ने कुंभ के इंतजाम के लिए जिम्मेदारों पर सवालिया निशान लगाए हैं। इस हादसे के बाद इस बात की भी काफी चर्चा है कि कुछ लोगों को वीवीआईपी ट्रीटमेंट दिए जाने की कोशिश ने चीजों को काफी ज्यादा खराब किया है।
अगर सोशल मीडिया की कुछ तस्वीरों और वीडियो पर नजर डालें तो साफ नजर आता है कि संगम के किनारे आम लोगों की भीड जुटी है तो वहीं कई घाटों पर लोग आराम से वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में शेयर कर रहे हैं।
आम लोग परेशान, खास लोग बना रहे वीडियो : बता दें कि सोशल मीडिया में ऐसी कई तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनमें साफ देखा जा रहा है कि प्रयागराज में कुछ घाट ऐसे पूरी तरह से खाली पड़े हैं और कुछ खास लोग वहां तफरी कर रहे हैं, वीडियो बना रहे हैं और रील्स बना रहे हैं। वहां लोगों की कहीं कोई भीड़ नजर नहीं आती। सवाल उठता है कि एक तरफ लाखों करोड़ों आम लोगों की भीड़ स्नान के लिए दिन रात पैदल चल रही है तो दूसरी तरफ कुछ लोग इतने इत्मिनान के साथ घाटों पर तफरी कैसे कर रहे हैं।
इमरान के लिए काबा में खुल गए थे दरवाजे : भारत में महाकुंभ में इस वीआईपी कल्चर को लेकर बहस चल रही है। सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है कि ये सिर्फ भारत में हो रहा है। हालांकि हादसे की ये कोई अकेली वजह नहीं है क्योंकि दुनिया के दूसरे बड़े धार्मिक आयोजनों में भी वीआईपी ट्रीटमेंट मिलता है। इसमें मक्का स्थित काबा भी शामिल है। इमरान खान ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहते हुए सऊदी अरब का दौरा किया था। साल 2018 के अपने दौरे के दौरान उन्होंने उमराह किया था। इस दौरान काबा के दरवाजे उनके लिए खोल दिए गए थे। यह खबर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी। उस वक्त सामने आई तस्वीरों में इमरान खान काबा में दाखिल होते दिख रहे हैं।
क्या होता है प्रोटोकॉल : बता दें कि प्रोटोकॉल का पूरा महकमा है। जिलों में इसके इंचार्ज एडीएम प्रोटोकॉल होता है। वही निर्धारित प्रक्रिया के मुताबिक राजनेताओं के लिए जिले में सरकार की ओर से व्यवस्था करता है। इसके तहत मंत्रियों, विधायकों को सरकारी गेस्ट हाउस या पात्र नेताओं को गाड़ी वगैरह दी जाती है। व्यवस्था के लिए कुंभ मेले को भी अलग जिला इकाई के तौर पर माना जाता है। लिहाजा वहां भी प्रोटोकॉल का जिम्मा एडीएम स्तर के अपर मेला अधिकारी के जिम्मे रहती है।
Edited by : Navin Rangiyal