नई दिल्ली/ तेल अवीव। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज इसराइल के लिए रवाना हो गए जहां वह अपने समकक्ष बेंजामिन नेतन्याहू के साथ आतंकवाद जैसी साझा चुनौतियों और आथर्कि संबंधों को बेहतर बनाने पर चर्चा करेंगे। किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली इस्राइल यात्रा है। मोदी छह जुलाई तक इस्राइल में रूकेंगे। वहीं से प्रधानमंत्री जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए जर्मनी के हैम्बर्ग रवाना होंगे।
मोदी की यात्रा को ऐतिहासिक बनाने के लिए इसराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने पलक पांवड़े बिछा दिए हैं और उन्होंने दोनों देशों के बीच सुरक्षा, कृषि, जल संसाधन और ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग को प्रगाढ़ बनाने का संकल्प व्यक्त किया है।
भारतीय प्रधानमंत्री के प्रथम इसराइल आगमन की पूर्वसंध्या पर नेतन्याहू ने कई ट्वीट किए और मोदी ने भी उनका इसी प्लेटफॉर्म पर जवाब दिया। नेतन्याहू ने मोदी को 'दोस्त' बताते हुए कहा कि इस ऐतिहासिक यात्रा से साबित हो जायेगा कि हमारे दोनों देशों के संबंध प्रगाढ़ होते जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, ' कल मेरे मित्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इजरायल आएंगे। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। सत्तर साल में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह इजरायल की पहली ऐतिहासिक यात्रा है। इससे इस तथ्य की पुष्टि होती है कि भारत के साथ हमारे रिश्ते निकटतम हो रहे हैं।'
इधर मोदी ने कहा कि वह पहले भारतीय प्रधानमंत्री के तौर इजरायल की इस अभूतपूर्व यात्रा पर उत्सुकता से इंतज़ार कर रहे हैं जो हमारे दोनों देशों एवं लोगों को और करीब लायेगी। उन्होंने कहा कि वह नेतन्याहू के साथ साझेदारी के सभी परस्पर लाभकारी विषयों पर विस्तार से बात करेंगे। उन्होंने कहा, 'हमें आतंकवाद जैसी बड़ी एवं समान चुनौतियों पर भी चर्चा करने का अवसर मिलेगा।'
नेतन्याहू ने कहा कि श्री मोदी की इस यात्रा से सुरक्षा, कृषि, जल, ऊर्जा सहित लगभग हर क्षेत्र में भारत एवं इजरायल का सहयोग अौर प्रगाढ़ होगा। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच सहयोग में वृद्धि उनकी और श्री मोदी की साझा पहल का नतीजा है। दोनों सरकारों और दोनों देशों के लोगों ने हमारी मैत्री को प्रगाढ़ बनाने में योगदान दिया है।
इजरायली प्रधानमंत्री ने कहा कि वह मोदी के अनेक कार्यक्रमों में साथ रहेंगे। मोदी तेल अवीव में भारतीय समुदाय को संबोधित करेंगे और हैफा में भारतीय शहीद सैनिकों के स्मारक पर श्रद्धासुमन अर्पित करने जाएंगे।
संयुक्त सचिव (पश्चिम एशिया एवं उत्तरी अफ्रीका) डॉ. बी. मालाभास्कर ने कहा कि प्रधानमंत्री की तेल अवीव यात्रा के पहले से ही दोनों देशों के नेताओं के बीच गहन आदान प्रदान जारी है। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने अक्टूबर 2015 में इसराइल एवं फिलीस्तीन की यात्रा की और नवंबर 2016 में इसराइली राष्ट्रपति नई दिल्ली आए थे।
डॉ. मालाभास्कर ने कहा कि इसराइल ने भारत के मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, नमामि गंगे और कृषि विकास के क्षेत्र में काम करने के लिये गहरी दिलचस्पी दिखाई है। उन्होंने कहा कि इजरायल के सहयोग से भारत में 25 सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किए गए हैं, जो उत्पादन वृद्धि, फसल प्रबंधन, आपूर्ति प्रणाली एवं उद्यानिकी के क्षेत्र में क्षमता बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं। भारत का प्रयास है कि इन सेंटरों को खेती के वाणिज्यिक रूप से व्यवहार्य मॉडल के तौर पर विकसित किया जाए।
दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को लेकर किसी अहम समझौते पर हस्ताक्षर होने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि रक्षा एवं आंतरिक सुरक्षा क्षेत्रों में सहयोग दोनों देशों के बीच एक सतत प्रक्रिया है और ज़रूरी नहीं है कि प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान ही किसी समझौते पर हस्ताक्षर हों। उन्होंने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ रहा है।
मोदी की इसराइल यात्रा से मुस्लिम देशों खासकर फिलीस्तीन में भारत की छवि मुस्लिम विरोधी बनने के खतरे के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि भारत के किसी देश से संबंध किसी अन्य देश के नज़रिये से संचालित नहीं होते हैं। इस वर्ष फिलीस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास भारत आए थे और वह इस बात को अच्छी तरह से समझते हैं। (वार्ता)