‘इंडिया’ का नाम बदलकर ‘भारत’ करने संबंधी याचिका, दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को दिया यह आदेश
case for changing name of India to Bharat : दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र से कहा है कि वह संविधान में संशोधन करने और इंडिया शब्द के स्थान पर भारत या हिंदुस्तान का इस्तेमाल करने के लिए अभ्यावेदन पर विचार करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश का शीघ्रता से अनुपालन करे। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने याचिकाकर्ता को इस संबंध में अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति भी दे दी। याचिकाकर्ता ने शुरू में उच्चतम न्यायालय का रुख किया था, जिसने 2020 में निर्देश दिया था कि याचिका को एक अभ्यावेदन माना जाए, जिस पर उपयुक्त मंत्रालयों द्वारा विचार किया जा सकता है।
बारह मार्च को पारित आदेश में कहा गया, कुछ सुनवाई के बाद, याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील ने उच्चतम न्यायालय द्वारा तीन जून 2020 को पारित आदेश के अनुसार याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन के निस्तारण के लिए संबंधित मंत्रालयों के साथ मामले को आगे बढ़ाने की अनुमति के साथ वर्तमान याचिका वापस लेने का अनुरोध किया है। वर्तमान याचिका वापस ली गई मानकर खारिज की जाती है।
इसमें कहा गया कि केंद्र के वकील को उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित आदेश के शीघ्र अनुपालन के लिए संबंधित मंत्रालयों को उचित रूप से अवगत कराना चाहिए। याचिकाकर्ता ने शुरू में उच्चतम न्यायालय का रुख किया था, जिसने 2020 में निर्देश दिया था कि याचिका को एक अभ्यावेदन माना जाए, जिस पर उपयुक्त मंत्रालयों द्वारा विचार किया जा सकता है।
इसके बाद याचिकाकर्ता नमहा ने वरिष्ठ अधिवक्ता संजीव सागर के माध्यम से उच्च न्यायालय में याचिका दायर करके प्राधिकारियों को उनके अभ्यावेदन पर निर्णय करने का निर्देश देने का अनुरोध किया। याचिका में कहा गया है, याचिकाकर्ता के पास वर्तमान याचिका के माध्यम से इस अदालत का रुख करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है, क्योंकि याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर लिए गए किसी भी निर्णय के बारे में प्रतिवादियों की ओर से कोई अद्यतन जानकारी नहीं दी गई है।
इसमें कहा गया है, अंग्रेजी नाम इंडिया देश की संस्कृति और परंपरा का प्रतिनिधित्व नहीं करता है और इसका नाम बदलकर भारत करने से नागरिकों को औपनिवेशिक बोझ से छुटकारा पाने में मदद मिलेगी। इसलिए याचिका में संविधान के अनुच्छेद 1 में संशोधन का अनुरोध किया गया है, जो संघ के नाम और क्षेत्र से संबंधित है।
तत्कालीन मसौदा संविधान के अनुच्छेद 1 पर 1948 की संविधान सभा की बहस का हवाला देते हुए, याचिका में कहा गया है कि उस समय भी देश का नाम भारत या हिंदुस्तान रखने के पक्ष में तेज लहर थी। इसमें कहा गया है, हालांकि अब देश को उसके मूल और प्रामाणिक नाम यानी भारत से पहचानने का समय आ गया है, खासकर तब जब हमारे शहरों का नाम बदला गया है, ताकि उनकी पहचान भारतीय लोकाचार से की जा सके। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour