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Last Modified: मंगलवार, 13 मार्च 2018 (17:36 IST)

संसद में गतिरोध पर कांग्रेस ने लगाया सरकार पर यह आरोप...

संसद में गतिरोध पर कांग्रेस ने लगाया सरकार पर यह आरोप... - Parliament session, Congress, central government
नई दिल्ली। कांग्रेस ने मंगलवार को सत्तारुढ़ भाजपा पर आरोप लगाया कि उसके सहयोगी दल ही संसद में गतिरोध उत्पन्न कर रहे हैं तथा सरकार की ओर से उन्हें मनाने तथा विपक्षी नेताओं के साथ बातचीत करने की कोई पहल नहीं की जा रही है। पार्टी ने यह भी कहा कि सरकार संसद में चर्चा से भाग रही है तथा विपक्ष को सदन में उसकी बात कहने का मौका नहीं दिया जा रहा है।


लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने आज कहा कि जब से संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण शुरू हुआ है, कांग्रेस पीएनबी घोटाला और उसके आरोपी नीरव मोदी से जुड़े मुद्दे को कार्य स्थगन प्रस्ताव के जरिए उठाने का प्रयास कर रही है। इसके लिए पार्टी की ओर से बराबर नोटिस भी दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि सरकार इसे नकार रही है और वह कार्य स्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा नहीं करना चाहती है। इससे यह जाहिर हो रहा है कि सरकार इस मुद्दे पर जनता का ध्यान बंटाने के लिए अलग-अलग विषयों को उठा है। उन्होंने कहा कि अन्य दलों द्वारा सदन में जो मुद्दे उठाए जा रहे हैं, जैसे तेदेपा द्वारा आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने का मुद्दा या अन्नाद्रमुक द्वारा कावेरी मुद्दा उठाया जाना, उनकी आड़ लेकर सरकार कह रही है कि सदन में कोई एक मुद्दा नहीं उठाया जा रहा है।

उन्होंने कहा, मैं खुले तौर पर यह कहना चाहता हूं कि यह सब सरकार की शह पर किया जा रहा है। खड़गे ने कहा कि कांग्रेस रेलवे, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, कृषि तथा युवा मामलों सहित छह मंत्रालयों की अनुदान मांगों पर चर्चा चाहती है। फिर अचानक हमें यह जानकारी मिलती है कि आज शाम पांच बजे इन छह मंत्रालयों की अनुदान मांगों का गिलोटिन होगा।

उन्होंने कहा कि जब वित्त विधएक या अन्य महत्वपूर्ण विधाई कामकाज ध्वनिमत से ही पारित करना है तो फिर संसद की क्या जरूरत है। उन्होंने सवाल किया कि सरकार इन महत्वपूर्ण विषयों पर संसद में चर्चा से भाग क्यों रही है?

उन्होंने कहा कि विपक्षी नेताओं ने आज लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन से मिलकर उन्हें एक ज्ञापन भी सौंपा है। हमने लोकसभा अध्यक्ष से कहा कि सदन में विपक्ष को उसकी बात रखने का मौका नहीं दिया जा रहा है। खड़गे ने कहा कि सरकार एक तरफ तो सदन में चर्चा से भाग रही है और वहीं वह बाहर आकर विपक्ष पर सदन की कार्यवाही बाधित करने का आरोप लगाती है। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र के लिए कलंक की बात है। उन्होंने कहा कि यदि विपक्ष चर्चा से भाग रहा होता तो वह कार्यस्थगन प्रस्ताव पर चर्चा का नोटिस क्यों देता?

उन्होंने कहा कि छह मंत्रालयों की अनुदान की मांगों को गिलोटिन करवाने का साफ मतलब है कि सरकार चर्चा से भाग रही है और वह लोकतंत्र में विश्वास नहीं करती। खड़गे ने कहा कि पूर्व में जब विपक्ष के नेता सदन में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे तो उन पर कार्रवाई की जाती थी, उन्हें निलंबित किया जाता था। किंतु आज सत्तारुढ़ दल के घटक दल के सदस्य ही विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, आसन के समक्ष तख्तियां लेकर खड़े हो जाते हैं, किंतु दो मिनट के भीतर सदन को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया जाता है।

उन्होंने कहा, यह क्या तरीका है? उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब लोकतंत्र को खत्म करने का तरीका है। प्रधानमंत्री कोई रुचि नहीं ले रहे हैं। सात दिन गतिरोध के हो गए हैं। उन्होंने संसदीय कार्यमंत्री को कोई निर्देश नहीं दिया है। विपक्ष के नेताओं के साथ कोई बैठक भी नहीं की जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार अपने सहयोगी दलों को क्यों नहीं मना रही है? उनसे बातचीत क्यों नहीं की जा रही है? (भाषा) 
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