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Last Modified: रविवार, 16 जनवरी 2022 (17:36 IST)

डेढ़ लाख बच्चे हुए अनाथ, NCPCR ने सुप्रीम कोर्ट को दी जानकारी

डेढ़ लाख बच्चे हुए अनाथ, NCPCR ने सुप्रीम कोर्ट को दी जानकारी - Over 1.47 Lakh Children Lost Their Parents Due to Covid and Other Reasons Since April 2020: NCPCR to SC
नई दिल्ली। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि 1 अप्रैल, 2020 से अब तक कुल 1,47,492 बच्चों ने कोविड-19 और अन्य कारणों से अपने माता या पिता में से किसी एक या दोनों को खो दिया है।
 
कोविड-19 महामारी के दौरान माता-पिता को खो चुके बच्चों की देखभाल और सुरक्षा को लेकर स्वत: संज्ञान वाले मामले में एनसीपीसीआर ने कहा कि इसके आंकड़े राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अपने 'बाल स्वराज पोर्टल- कोविड केयर' पर 11 जनवरी तक अपलोड किए गए आंकड़ों पर आधारित हैं।
 
अधिवक्ता स्वरूपमा चतुर्वेदी के माध्यम से दायर हलफनामे में कहा गया है कि 11 जनवरी तक अपलोड किए गए डेटा से पता चलता है कि देखभाल और सुरक्षा की जरूरत वाले बच्चों की कुल संख्या 1,47,492 हैं, जिनमें अनाथ बच्चों की संख्या 10,094 और माता या पिता में से किसी एक को खोने वाले बच्चों की संख्या 1,36,910 और परित्यक्त बच्चों की संख्या 488 हैं। आयोग के अनुसार, लिंग के आधार पर 1,47,492 बच्चों में से 76,508 लड़के, 70,980 लड़कियां और चार ट्रांसजेंडर हैं।
 
हलफनामे में कहा गया है कि कुल बच्चों में से सबसे अधिक 59,010 बच्चे आठ से 13 साल आयु वर्ग के हैं, जबकि दूसरे स्थान पर चार से सात वर्ष के बच्चे हैं, जिनकी कुल संख्या 26,080 है।
 
आंकड़े बताते हैं कि 14 से 15 साल के बच्चों की कुल संख्या 22,763 और 16 से 18 वर्ष आयुवर्ग के बच्चों की कुल संख्या 22,626 है। आयोग ने बच्चों के आश्रय की वर्तमान स्थिति की भी जानकारी दी है, जिसके अनुसार अधिकतम बच्चे (1,25,205) माता या पिता में से किसी एक के साथ हैं, जबकि 11,272 बच्चे परिवार के सदस्यों के साथ और 8,450 बच्चे अभिभावकों के साथ हैं। हलफनामे में कहा गया है कि 1,529 बच्चे बाल गृहों में, 19 खुले आश्रय गृहों में, दो अवलोकन गृहों में, 188 अनाथालयों में, 66 विशेष गोद लेने वाली एजेंसियों में और 39 छात्रावासों में हैं।
अप्रैल 2020 से कोविड और अन्य कारणों से अपने माता या पिता या माता-पिता दोनों को खोने वाले बच्चों का राज्यवार विवरण देते हुए आयोग ने कहा कि ऐसे बच्चों की अधिकतम संख्या ओडिशा (24,405) से है, इसके बाद महाराष्ट्र (19,623), गुजरात (14,770), तमिलनाडु (11,014), उत्तर प्रदेश (9,247), आंध्र प्रदेश (8,760), मध्यप्रदेश (7,340), पश्चिम बंगाल (6,835) दिल्ली (6,629) और राजस्थान (6,827) का स्थान आता है।
 
आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि वह प्रत्येक राज्य/केंद्रशासित प्रदेश के एससीपीसीआर के साथ क्षेत्रवार बैठकें कर रहा है और उत्तर-पूर्वी राज्यों के साथ एक आभासी बैठक 19 जनवरी को होने वाली है।
 
(प्रतीकात्मक चित्र)
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