संसदीय समितियों की हुई बैठक, 60 फीसदी सांसद ही हुए शामिल
Parliamentary committee meeting : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संसद की कार्यवाही और संसदीय समितियों में सांसदों को भागीदारी के लिए बार-बार प्रोत्साहित किए जाने के बावजूद समितियों की बैठकों में सदस्यों की भागीदारी पिछले करीब एक साल में औसतन 60 फीसदी ही रही है। लोकसभा की वेबसाइट से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, निचले सदन की 16 स्थाई समितियों की बैठकों में सदस्यों की उपस्थिति औसतन करीब 60 प्रतिशत रही। इस प्रकार 40 फीसदी सांसद अनुपस्थित रहे। संसद की स्थाई समिति में लोकसभा और राज्यसभा से 31 सदस्य होते हैं, जिनमें से 21 निचले सदन से और 10 उच्च सदन से होते हैं।
पिछले वर्ष सितंबर में संसद की सभी समितियों का पुनर्गठन किया गया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कई अवसरों पर संसदीय समिति एवं संसद की कार्यवाही में सदस्यों की सहभागिता के महत्व को रेखांकित कर चुके हैं। इस वर्ष 20 मई को डॉ. शशि थरूर की अध्यक्षता वाली विदेश मंत्रालय से संबद्ध स्थाई समिति की बैठक में केवल 13 सदस्य उपस्थित थे जबकि 11 मई की बैठक में जब समिति ने 2025-26 के लिए अनुदान की मांगों की रिपोर्ट का अनुमोदन किया तो केवल 18 सदस्य उपस्थित थे।
वहीं 19 मई को भारत-पाकिस्तान के संबंध में वर्तमान विदेश नीति विकास पर विदेश सचिव विक्रम मिसरी द्वारा ब्रीफिंग के लिए आयोजित बैठक में 31 में से केवल 24 सदस्य उपस्थित थे। आंकड़ों के अनुसार, देशी गौवंश की नस्ल के संरक्षण एवं विकास विषय पर 25 अप्रैल 2025 को चरणजीत सिंह चन्नी की अध्यक्षता वाली कृषि तथा पशुपालन एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय से जुड़ी स्थाई समिति की बैठक में केवल 16 सदस्य उपस्थित हुए तथा मत्स्य पालन क्षेत्र पर 18 मार्च को हुई इसी समिति की बैठक में 22 सदस्य उपस्थित रहे।
उर्वरक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) के विनिवेश से संबंधित विषय पर 9 मई को रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय से जुड़ी और कीर्ति आजाद की अध्यक्षता वाली समिति की बैठक में केवल 15 सदस्य शामिल हुए थे। इसी प्रकार औषधि क्षेत्र में दवाओं की कीमतों में वृद्धि जैसे महत्वपूर्ण विषय पर 7 जनवरी की संसदीय समिति की बैठक में मात्र 16 सदस्य शामिल हुए।
दूसरी ओर 8 मई को कोयला, खान एवं इस्पात मंत्रालय से संबद्ध स्टील स्क्रैप नीति विषय पर हुई संसदीय समिति की बैठक में केवल 15 सदस्यों ने भाग लिया। अनुराग सिंह ठाकुर इस समिति के अध्यक्ष हैं। आंकड़ों के अनुसार, 28 मई को राधा मोहन सिंह की अध्यक्षता वाली रक्षा मंत्रालय से सम्बद्ध स्थाई समिति की बैठक में केवल 15 सदस्य ही उपस्थित हुए, जिसका विषय पूर्व सैनिकों के लिए पुनर्वास नीतियों, स्वास्थ्य देखभाल की समीक्षा थी।
7 मई को संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से संबंधित एवं निशिकांत दुबे की अध्यक्षता वाली समिति की फर्जी खबरों पर अंकुश लगाने के लिए तंत्र की समीक्षा विषय पर हुई बैठक में केवल 15 सदस्य उपस्थित थे। रेलवे की भूमि के इष्टतम उपयोग विषय पर 23 अप्रैल को आयोजित रेलवे की स्थाई समिति की बैठक में 24 सदस्य उपस्थित थे जबकि 7 मार्च को हुई इसी समिति की बैठक में केवल 12 सदस्य उपस्थित थे।
इस वर्ष 16 मई को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना विषय पर ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्रालय से संबद्ध बैठक आयोजित की गई, जिसमें केवल 12 सदस्य ही उपस्थित हुए। लोकसभा की वेबसाइट के अनुसार, समिति के सदस्यों को बैठक में शामिल होने के लिए प्रतिदिन दो हजार रुपए भत्ता प्रदान किया जाता है लेकिन यह भत्ता उपस्थिति रजिस्टर में हस्ताक्षर करने पर ही देय होता है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसदीय समितियों के महत्व को रेखांकित करते हुए पिछले साल कहा था कि संसदीय समितियां वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कानून और नीतियां बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour