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Last Updated : शुक्रवार, 3 मार्च 2017 (08:50 IST)

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी बोले, देश में 'असहिष्णु भारतीय' के लिए कोई जगह नहीं...

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी बोले, देश में 'असहिष्णु भारतीय' के लिए कोई जगह नहीं... - No room in India for intolerant Indians: President Pranab Mukherjee
कोच्चि। विश्वविद्यालय परिसरों में स्वतंत्र चिंतन की वकालत करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि छात्रों को अशांति और हिंसा के भंवर में फंसा देखना दुखद है। उन्होंने कहा कि देश में असहिष्णु भारतीय के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए
 
उनकी टिप्पणी दिल्ली विश्वविद्यालय में आरएसएस से संबद्ध एबीवीपी और वाम समर्थित आइसा के बीच जारी गतिरोध तथा छात्रा गुरमेहर कौर के हालिया ट्वीटों के बाद राष्ट्रवाद तथा स्वतंत्र अभिव्यक्ति को लेकर हो रही बहस की पृष्ठभूमि में आई है।
 
मुखर्जी ने कहा, 'यह देखना दुखद है कि वे (छात्र) हिंसा और अशांति के भंवर में फंसे हुए हैं।' देश में विश्वविद्यालयों की प्राचीन गौरवशाली संस्कृति को रेखांकित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे प्रमुख उच्चतर शिक्षण संस्थान ऐसे यान हैं जिससे भारत अपने को ज्ञान समाज में स्थापित कर सकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के ऐसे मंदिरों में सृजनात्मकता और स्वतंत्र चिंतन की गूंज होनी चाहिए।
 
राष्ट्रपति मुखर्जी ने महिलाओं पर हमले, असहिष्णुता और समाज में गलत चलनों को लेकर भी आगाह किया। उन्होंने कहा कि देश में असहिष्णु भारतीय के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह राष्ट्र प्राचीन काल से ही स्वतंत्र विचार, अभिव्यक्ति और भाषण का गढ रहा है।
 
मुखर्जी ने कहा कि अभिव्यक्ति और बोलने की स्वतंत्रता का अधिकार हमारे संविधान द्वारा प्रदत्त सर्वाधिक महत्वपूर्ण मौलिक अधिकारों में से एक है। वैध आलोचना और असहमति के लिए हमेशा स्थान होना चाहिए।
 
उन्होंने कहा कि हमारी महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा राष्ट्रीय स्तर पर प्राथमिकता में होनी चाहिए। किसी भी समाज की कसौटी महिलाओं और बच्चों के प्रति उसका रूख होती है। उन्होंने कहा कि भारत को इस कसौटी पर नाकाम नहीं रहना चाहिए।
 
मुखर्जी ने कहा कि वह ऐसी किसी समाज या राज्य को स5य नहीं मानते, अगर उसके नागरिकों का आचरण महिलाओं के प्रति असभ्य हो।
 
उन्होंने कहा कि जब हम किसी महिला के साथ बर्बर आचरण करते हैं तो हम अपनी सभ्यता की आत्मा को घायल करते हैं। न सिर्फ हमारा संविधान महिलाओं का समान अधिकार प्रदान करता है बल्कि हमारी संस्कृति और परंपरा में भी नारियों को देवी माना जाता है। उन्होंने कहा कि देश को इस तथ्य के प्रति सजग रहना चाहिए कि लोकतंत्र के लिए लगातार पोषण की जरूरत होती है।
 
मुखर्जी ने कहा कि जो लोग हिंसा फैलाते हैं, उन्हें याद रखना चाहिए कि बुद्ध, अशोक और अकबर इतिहास में नायकों के रूप में याद किए जाते हैं न कि हिटलर और चंगेज खान। (भाषा) 
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