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Last Updated : सोमवार, 19 दिसंबर 2016 (15:10 IST)

तो इसलिए बनाया है बिपिन रावत को सेना प्रमुख, जानिए पाकिस्तान कनेक्शन...

तो इसलिए बनाया है बिपिन रावत को सेना प्रमुख, जानिए पाकिस्तान कनेक्शन... - New Indian Army Chief Bipin Rawat and pakistan connection
इस बार जैसे ही मोदी सरकार ने लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को भारतीय सेना का अगला प्रमुख बनाए जाने की घोषणा की है वैसे ही इस मामले पर राजनीतिक हलचलें बढ़ गई हैं। एक तरफ तो विपक्ष इसे मुद्दा बनाते हुए सरकार को घेरने में लगा है, वहीं, सरकार की इस पसंद को लेकर कुछ रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि रावत का चयन पाक आर्मी चीफ कमर बाजवा को ध्‍यान में रखकर किया गया है।
वैसे देखा जाए तो रावत में और पाकिसतन सेना के प्रमुख बाजवा में कई समानताएं नजर आती हैं। तेज तर्रात रावत को सैन्य अभियानों का खासा तजुर्बा है। रावत को जानने वालों का मानना है कि रावत ऐसे सेना प्रमुख होंगे जो बाजवा को टक्‍कर देने का दम रखते हैं।
उपसेनाध्यक्ष के पद पर कार्यरत रावत भारतीय सेना की खूंखार गोरखा बटालियन से आते हैं। उन्हें कश्मीर और अशांत क्षेत्रों में काम करने का अच्छा-खासा अनुभव है। 
 

आइए जानते हैं बिपिन रावत और पाकिस्तान कमर बाजवा में ऐसी क्या समानताएं हैं जिनसे यह कहा जा सकता है कि दोनों को ही अपने देशों में सब्जेक्ट मैटर एक्स्पर्ट माना जाता है। 
जनरल बाजवा जहां डिफेंस यूनिवर्सिटी, पाकिस्‍तान और पाकिस्तान मिलिट्री अकादमी से पास आउट हैं, वहीं जनरल रावत इंडियन मिलिट्री अकादमी से पास आउट हैं। भारत के अगले सेना अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत इंडियन मिलिट्री अकादमी, देहरादून से ट्रेनिंग ले चुके हैं। पाकिस्तान के सेना अध्यक्ष जनरल बाजवा भी पाकिस्तान मिलिट्री अकादमी, काकुल से ट्रेनिंग ले चुके हैं।
 
दोनों ही अधिकारियों को आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन में महारत हासिल है। रावत को कश्मीर और बाजवा को बलूचिस्तान और अन्य कबाइली क्षेत्रों में सैन्य कार्रवाई का अनुभव है। 
 
जनरल बाजवा को भी करीब चार वरिष्‍ठ अधिकारियों को दरकिनार कर सेना नायक बनाया गया था। वहीं जनरल रावत को दो अधिकारियों की वरिष्‍ठता को ताक पर रखकर सेना प्रमुख बनाया गया है।
 
दोनों की ही नियुक्ति में एक-दूसरे की सेना और उनकी रणनीति के साथ-साथ जम्‍मू-कश्‍मीर को भी ध्‍यान में रखा गया। सबसे महत्वपूर्ण पक्ष यही बताया जा रहा है। 
 
हालांकि कुछ लोग इसे अगले साल उत्तराख़ंड में होने वाले चुनावों से भी जोड़ कर देख रहे हैं। जहां के काफी सारे लोग सेना में हैं। आगे जानें और भी है समानताएं... 

फ्टिनेंट जनरल रावत संतुलित तरीके से सैन्य संचालन के लिए जाने जाते हैं। वहीं एक सैन्‍य अधिकारी के तौर पर जनरल बाजवा का रिकॉर्ड भी बेहद शानदार रहा है।
 
एक सैन्‍य अधिकारी के रूप में जनरल बाजवा और जनरल रावत के पास लाइन ऑफ कंट्रोल पर पोस्टिंग का अच्‍छा खास अनुभव है। इसके अलावा यहां के इलाके की बेहतर जानकारी भी इन दोनों ही अधिकारियों के पास हैं।
 
जनरल रावत पूर्वोत्तर क्षेत्र में कई अहम जिम्मेदारियां निभा चुके हैं। उन्‍होंने म्‍यांमार में उग्रवादियों के खिलाफ की गई सर्जिकल स्‍ट्राइक को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया था। वहीं जनरल बाजवा उत्तरी पाकिस्तान की सुरक्षा टुकडि़यों को बतौर ब्रिगेडियर कमांड कर चुके हैं। इस दौरान उन्होंने बलूचिस्तान में पाक सेना द्वारा चलाए गए ऑपरेशन पीस मिशन का नेतृत्व किया था।
 
लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत और पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल बाजवा के पिता सेना में पूर्व अधिकारी के तौर पर रह चुके हैं। जनरल बाजवा के पिता सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल थे, जबकि जनरल रावत के पिता पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल रह चुके हैं। वह डिप्‍टी चीफ ऑफ आर्मी स्‍टाफ भी रह चुके हैं।
 
लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत और पाकिस्तान के मौजूदा आर्मी चीफ जनरल बाजवा संयुक्‍त राष्‍ट्र में कांगो मिशन के तहत शांतिदूत के रूप में काम कर चुके हैं। जनरल बाजवा ने भारत के पूर्व आर्मी चीफ जनरल विक्रम सिंह के साथ संरा मिशन के तहत काम किया था। इस मिशन में जनरल सिंह वहां डिवीजन कमांडर थे, जबकि जनरल बाजवा ब्रिगेड कमांडर थे। लेफ्टिनेंट जनरल रावत भी कांगो में संरा चैप्टर सात मिशन के तहत शांति दूत के रूप में काम कर चुके हैं।
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