नई दिल्ली। गुजरात चुनाव का राजनीतिक दबाव कहें या लोगों का विरोध सरकार ने होटल और रेस्टोरेंट पर जीएसटी 18 से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया। लेकिन, सरकार ने कभी यह जहमत उठाने की कोशिश नहीं की कि वाकई में लोगों को इसका फायदा मिल भी रहा है या नहीं।
दरअसल, छाफलकर नामक एक व्यक्ति ने ट्वीट कर मैकडोनल्ड के दो बिल लगाए हैं। एक बिल 7 नवंबर का है, जबकि दूसरा 15 नवंबर का है। इस बिल की खासियत यह है कि बिल में टैक्स तो घटाया गया है, लेकिन उत्पाद पर दाम बढ़ा दिए गए हैं।
बिल के मुताबिक ग्राहक को उतने ही पैसे चुकाने पड़े, जितने जीएसटी की दर कम होने से पहले चुकाए गए। अमोल ने अपने ट्वीट में इस घटना को शर्मनाक बताते हुए लिखा कि लोगों को जीएसटी दरें घटने का लाभ नहीं मिल रहा है।
कब चेतेगी सरकार : सोचने वाली बात यह है कि अमोघ का ट्वीट एक उदाहरण मात्र है। देश में ऐसे करोड़ों लोग होंगे, जिन्हें जीएसटी की घटी दरों का फायदा नहीं मिल रहा है। सीधे शब्दों में कहें तो सरकार की इस नीति का फायदा व्यापारी और दुकानदार ही उठा रहे हैं, पिस रहा है तो आम आदमी। ऐसे में सरकार को अपनी पीठ ठोंकने का ढोंग छोड़ देना चाहिए।
यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि सरकार करीब 177 उत्पादों पर जीएसटी की दरें कम की हैं, इनमें से कुछ तो ऐसे हैं जो 28 से 12 या 5 पर आ गए हैं, जबकि कुछ 12 से शून्य पर है। ऐसे सोचने वाली बात है कि इस पूरी कवायद का फायदा किसे हो रहा है। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।