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Last Updated : शनिवार, 11 जनवरी 2025 (17:18 IST)

भारत में ज्यादातर लोग आर्थिक असमानता से परेशान, धार्मिक भेदभाव भी बड़ा मुद्दा, तेजी से बढ़ेगी मुस्लिमों की आबादी

प्यू रिसर्च सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में आर्थिक असमानता और धार्मिक तथा जातीय भेदभाव बड़ा मुद्दा है

भारत में ज्यादातर लोग आर्थिक असमानता से परेशान, धार्मिक भेदभाव भी बड़ा मुद्दा, तेजी से बढ़ेगी मुस्लिमों की आबादी - Most people in India are troubled by economic inequality, religious discrimination is also a big issue, population of Muslims will increase rapidly
Pew Research Survey Report: अमेरिका की एक रिसर्च एजेंसी के सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि 81 प्रतिशत भारतीय आर्थिक असमानता से परेशान हैं। ज्यादातर लोगों का मानना है कि भारत में आर्थिक भारत में अमीर और गरीब लोगों के बीच की खाई बहुत ज्यादा है। 71 फीसदी लोग धार्मिक और जातिगत भेदभाव को बड़ा मुद्दा मानते हैं। इस सर्वेक्षण में 57 फीसदी लोगों ने धार्मिक भेदभाव को बहुत बड़ा और 14 प्रतिशत ने इसे मध्यम बड़ा मुद्दा माना। कुछ समय पहले एक अन्य रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि देश की एक फीसदी आबादी के पास 40 फीसदी से ज्यादा संपत्ति है। इसी रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में मुस्लिमों की आबादी तेजी से बढ़ने वाली है। 
 
गुरुवार को प्रकाशित इस रिपोर्ट का शीर्षक है ‘आर्थिक असमानता को दुनिया भर में एक बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है’। प्यू रिसर्च के सर्वेक्षण के मुताबिक भारत में ज्यादा लोग मानते हैं कि अमीर और गरीब के बीच की खाई बहुत ज्यादा है। यह बात मानने वाले 81 फीसदी लोगों में से 64 प्रतिशत इसे बहुत बड़ी समस्या मानते हैं। प्यू रिसर्च की हाल ही में जारी यह रिपोर्ट एशिया-प्रशांत क्षेत्र, यूरोप, लैटिन अमेरिका, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका और उप-सहारा अफ्रीका में किए गए एक सर्वेक्षण पर आधारित है। 
 
आर्थिक व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता : भारत को लेकर 39 फीसदी लोगों का इस बात पर जोर था कि आर्थिक व्यवस्था में पूर्ण सुधार की आवश्यकता है। वहीं, 34 फीसदी का लोगों का मानना था कि इसमें बड़े बदलाव की जरूरत है। असमानता का कारण पूछे जाने पर दुनिया भर के लोगों ने इसके लिए धन और राजनीति के बीच संबंधों को इसका कारण बताया। 
 
राजनीतिक प्रभाव को जिम्मेदार मानते हैं लोग : आर्थिक असमानता को भारतीयों ने अलग-अलग कारकों को जिम्मेदार माना। इस मामले में 79 फीसदी ने माना कि इसके लिए राजनीतिक प्रभाव जिम्मेदार है, जबकि 72 फीसदी लोग इसके लिए शिक्षा प्रणाली को जिम्मेदार मानते हैं। 65 प्रतिशत लोगों का यह भी मानना था कि जन्म के समय अलग-अलग अवसर भी व्यक्ति को आर्थिक असमानता की ओर ले जाते हैं। हालांकि औसतन 60 प्रतिशत लोगों का मानना था कि अमीर लोगों का राजनीतिक प्रभाव आर्थिक असमानता में बहुत बड़ा योगदान देता है।
 
तेजी से बढ़ेगी मुस्लिमों की आबादी : प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले 25 सालों में मिडिल ईस्ट और अफ्रीकी क्षेत्रों में मुस्लिमों की आबादी काफी तेजी से बढ़ने वाली है, जो 93 फीसदी से ज्यादा हो सकती है। एक जानकारी के मुताबिक दुनिया में कुल 57 मुस्लिम देश है, जिनकी कुल आबादी 200 करोड़ से ज्यादा है। मुस्लिमों की जनसंख्या ईसाइयों के बाद दूसरे नंबर पर है, जबकि हिन्दू आबादी तीसरे स्थान पर है। इस्लाम को मानने वालों की सबसे ज्यादा जनसंख्या मिडिल ईस्ट के देशों में है। इनमें इराक, ईरान, कतर, सऊदी अरब आदि देश शामिल हैं।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala