Jammu-Kashmir में कब होंगे चुनाव, मोदी सरकार ने Supreme Court में दिया जवाब
Jammu-Kashmir election : जम्मू-कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म करने के फैसले को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुपीम कोर्ट में लंबे समय से सुनवाई जारी है। इसी दौरान केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वह जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए समय सीमा बताने में फिलहाल असमर्थ है।
यह स्थायी व्यवस्था नहीं : केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा स्थायी व्यवस्था नहीं है। केंद्र का कहना है कि इसे पूर्ण राज्य बनाने के लिए विकास हो रहा है। केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव के लिए केंद्र सरकार तैयार है। यह भी बताया कि केंद्र सरकार ने कहा कि मतदाता लिस्ट भी करीब करीब तैयार की जा चुकी है। जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा कब बहाल होगा? इस सवाल पर केंद्र सरकार ने कहा कि इसमें अभी व्यक्त लग सकता है। हालांकि 31 अगस्त को न्यायालय में इस जटिल राजनीतिक मुद्दे पर एक विस्तृत बयान देगा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार से जम्मू-कश्मीर को लेकर सवाल पूछे थे।
सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय को केंद्र सरकार के जवाब से अवगत कराया। इससे पहले प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र से पूर्ववर्ती राज्य में चुनावी लोकतंत्र बहाल करने के लिए एक विशेष समय-सीमा तय करने को कहा था। मेहता ने कहा कि जम्मू- कश्मीर का केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा कोई स्थायी व्यवस्था नहीं है। जहां तक लद्दाख की बात है, इसका केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा कुछ समय के लिए बरकरार रहने वाला है।
कौन शामिल हैं पीठ में : सरकार के शीर्ष विधि अधिकारी ने कहा कि वह जम्मू कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश के दर्जे के भविष्य पर पीठ के समक्ष 31 अगस्त को एक विस्तृत बयान देंगे। पीठ में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत भी शामिल हैं। न्यायालय मेहता की दलीलें सुन रहा है, जो पूर्ववर्ती राज्य का विशेष दर्जा खत्म करने के केंद्र के फैसले का बचाव कर रहे हैं।
पीठ ने कहा कि लोकतंत्र महत्वपूर्ण है, लेकिन हम सहमत हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा परिदृश्य के आलोक में राज्य का पुनर्गठन किया जा सकता है। न्यायालय ने कहा कि चुनावी लोकतंत्र के अभाव को अनिश्चित काल तक नहीं रहने दिया जा सकता। पीठ ने कहा-
इसे समाप्त होना होगा... हमें विशेष समय सीमा बताइए कि आप कब वास्तविक लोकतंत्र बहाल करेंगे। हम इसे रिकॉर्ड करना चाहते हैं।
पीठ ने मेहता और अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी से सरकार से निर्देश प्राप्त करने तथा न्यायालय में वापस आने को कहा।
Edited by navin rangiyal