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Written By सुरेश डुग्गर
Last Modified: शनिवार, 27 जुलाई 2019 (16:45 IST)

कश्मीर में तैनात होंगे 10000 अतिरिक्त जवान, 35A खत्म करने की तैयारी तो नहीं

कश्मीर में तैनात होंगे 10000 अतिरिक्त जवान, 35A खत्म करने की तैयारी तो नहीं - Modi government Moves 10,000 Troops in Jammu & Kashmir
जम्मू। अभी राज्यपाल सत्यपाल मलिक के उस बयान को लेकर, जिसमें उन्होंने आतंकियों से आह्वान किया था कि वे भ्रष्ट नेताओं को मार डालें, बवाल थमा नहीं था कि अब कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती का मुद्दा बवाल का कारण बन गया है। इस पर कई राजनीतिक दलों ने बवाल खड़ा कर दिया है। हालांकि पुलिस महानिदेशक सफाई देते हुए कहा कि ये तैनाती पहले से तैनात सुरक्षाकर्मियों के स्थान पर होनी है, जिन्हें वापस भेजा जाता है।
 
दरअसल, केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में केंद्रीय अर्धसैनिकबलों की 100 अतिरिक्त कंपनियां (10000 जवान व अधिकारी) भेजने का फैसला किया है। इन कंपनियों का आगमन अगले चंद दिनों में शुरू हो जाएगा। केंद्र के इस फैसले ने कश्मीर घाटी में राजनीतिक दलों व अलगाववादियों में हलचल तेज कर दी है।
 
नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी तथा पैंथर्स पार्टी ने कश्मीर में 100 अतिरिक्त कंपनियां भेजने के केंद्र के फैसले पर सवाल उठाया है। दो दिन पहले नेकां उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने भी केंद्र व राज्य प्रशासन पर अनुच्छेद 35ए को भंग किए जाने की आशंका को लेकर लोगों में भय पैदा करने का आरोप लगाया था।
 
नेकां महासचिव अली मोहम्मद सागर ने कहा कि एक तरफ केंद्र सरकार और राज्यपाल सत्यपाल मलिक अक्सर दावा करते हैं कि कश्मीर में हालात सुधर गए हैं। जब हालात में सुधार है तो फिर यहां सुरक्षाबलों की संख्या क्यों बढ़ाई जा रही है। आम लोगों में इससे डर पैदा होगा। कहीं ऐसा तो नहीं कि केंद्र सरकार राज्य के संविधान के साथ कोई छेड़खानी करने के मूड में है।
 
वहीं, पैंथर्स पार्टी के चेयरमैन हर्ष देव ने कहा कि यह अजीब बात है, एक तरफ राज्यपाल कहते हैं कि यहां कानून व्यवस्था में सुधार हो रहा है तो दूसरी तरफ आतंकियों के खिलाफ अभियान तेज करने, कानून व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए केंद्रीय अर्धसैनिकबलों की 100 और कंपनियों को तैनात किया जा रहा है। यह परस्पर विरोधाभासी है। सरकार को राज्य के हालात पर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
  
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी घाटी में अतिरिक्त 10 हजार सैनिकों की तैनाती के केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उठाया है। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के इस फैसले ने जम्मू-कश्मीर के लोगों में भय जैसा माहौल पैदा कर दिया है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में सुरक्षा बलों की कोई कमी नहीं है। जम्मू-कश्मीर एक राजनीतिक समस्या है जो सैन्य साधनों से हल नहीं होगी। भारत सरकार को अपनी नीति पर पुनर्विचार और सुधार करने की आवश्यकता है।
 
चूंकि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी कश्मीर का तीन दिन का दौरा पूरा कर शुक्रवार को लौटे हैं। कुछ लोग कश्मीर में 100 अतिरिक्त कंपनियां भेजने को अनुच्छेद 35ए को भंग करने से पहले केंद्र की तैयारी के रूप में देख रहे हैं तो कई कश्मीर में आतंकरोधी अभियानों में तेजी लाने के लिए।
 
अलबत्ता, प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार, पिछले दिनों गृहमंत्री अमित शाह के जम्मू-कश्मीर दौरे के दौरान राज्य प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनजर 100 अतिरिक्त कंपनियां भेजने की मांग की थी, जिसे अब मंजूरी मिली है। उन्होंने इसे स्वतंत्रता दिवस व राज्य में विधानसभा चुनावों की जमीन तैयार करने के लिए सामान्य प्रक्रिया बताया।
 
सूत्रों के अनुसार, गृह मंत्रालय ने केंद्रीय अर्धसैनिकबलों की 100 नई कंपनियों को भेजने का फैसला गत 25 जुलाई को लिया है। इनमें 50 कंपनियां सीआरपीएफ की होंगी, जबकि बीएसएफ और आइटीबीपी की 10-10 कंपनियां होंगी। इनके अलावा एसएसबी की 30 कंपनियां होंगी।
 
कश्मीर भेजी जा रही सीआरपीएफ की 50 नई कंपनियों में से अधिकांश दिल्ली में ही तैनात हैं। इनमें से नौ कपंनियां संसदीय चुनावों के लिए तैनात थीं, जिन्हें बाद में कावड़ यात्रा के मद्देनजर सुरक्षा प्रबंधों में लगाया गया है। अब इन 9 कंपनियों को फिर कश्मीर रवाना किया जा रहा है। गृह मंत्रालय ने राज्य में भेजी जा रही 100 अतिरिक्त कंपनियों के बारे में राज्य के मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रह्मण्यम को पत्र भी भेज दिया है।
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