NRC लागू करने को लेकर केंद्र सरकार ने नहीं लिया कोई फैसला, मोबाइल ऐप से होगी देश की जनगणना
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने देशभर में अभी तक राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) लागू करने पर कोई फैसला नहीं लिया है।
यह जानकारी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में पूछे एक सवाल के जवाब में कहा कि अभी जनसंख्या रजिस्टर (NPR) अपडेट करने का काम चल रहा है। एनआरसी को लागू करने के फैसले के खिलाफ दिल्ली के शाहीनबाग व जामिया नगर में धरना प्रदर्शन हुए थे।
जनगणना 2021 पर पूछे गए एक सवाल पर गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि जाति के आंकड़े जारी करने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है। आगामी जनगणना पहली डिजिटल जनगणना होगी। आंकड़ों के संग्रह के लिए मोबाइल एप और एक जनगणना पोर्टल डेवलप किया गया है।
एक अन्य सवाल के लिखित जवाब में गृह राज्य मंत्री ने कहा कि अगस्त 2019 से जम्मू-कश्मीर के बाहर के केवल दो लोगों ने अब तक संपत्तियां खरीदी हैं।
जम्मू-कश्मीर में अब जमीन खरीदने में बाहरी लोगों या सरकार को किसी तरह की कठिन प्रक्रियाओं का सामना नहीं करना पड़ रहा है। जम्मू-कश्मीर में 2 साल पहले अनुच्छेद 370 और 35-a को खत्म कर दिया गया था। इसके बाद देश का कोई भी नागरिक वहां संपत्ति खरीद सकता है।
सिर्फ असम में किया गया अपडेट : अभी तक सिर्फ असम में एनआरसी अपडेट किया गया है। वर्ष 2019 में एनआरसी की अंतिम सूची जारी की गई थी और 3.3 करोड़ आवेदनों में से 19.06 लाख को इस सूची से बाहर कर दिया गया था। इसके बाद पूरे राज्य में राजनीतिक हंगामा मच गया था। एक अन्य सवाल के जवाब में राय ने कहा कि असम में एनआरसी तैयार करने की प्रक्रिया के दौरान यदि कोई व्यक्ति निर्णय से संतुष्ट नहीं है तो वह इस आदेश के 120 दिनों के भीतर प्राधिकृत विदेशियों के अधिकरण में अपील कर सकता है।
उन्होंने कहा कि असम में एनआरसी से बाहर किए गए लोगों को अभी हरसंभव कानूनी उपाय उपलब्ध हैं लिहाजा इस स्थिति में उनकी राष्ट्रीयता का प्रमाणीकरण करने का सवाल ही नहीं उठता। एनपीआर का उल्लेख करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार ने जनगणना, 2021 के पहले चरण के साथ इसे अपडेट करने का निर्णय जरूर लिया
उन्होंने कहा कि एनपीआर के अपडेशन का प्रक्रिया के दौरान प्रत्येक परिवार और व्यक्ति के जनसांख्यिकीय और अन्य विवरणों को एकत्र किया जाना था। इस प्रक्रिया के दौरान कोई दस्तावेज एकत्र नहीं किया जाना है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के प्रकोप के कारण, एनपीआर के अपडेशन और अन्य संबंधित गतिविधियों को स्थगित कर दिया गया था।
नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश, और अफगानिस्तान के उन हिंदू, सिख, जैन, पारसी, अथवा ईसाई समुदाय के प्रवासियों को नागरिकता देने की सुविधा प्रदान करना है, जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 को अथवा उससे पहले भारत में प्रवेश किया है और जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा पासपोर्ट अधिनियम 1920 की धारा तीन की उपधारा दो के खंड (ग) के द्वारा अथवा उसके अंतर्गत विदेशियों विषयक अधिनियम 1946 अथवा उसके अंतर्गत बनाए गए किसी नियम या आदेश के प्रावधानों के प्रयोग से छूट प्रदान की गई है।