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  4. Manipur violence : CBI probe reveals strip-parade victims did not get help from police
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Last Modified: नई दिल्ली , बुधवार, 1 मई 2024 (00:24 IST)

CBI की चार्जशीट में चौंकाने वाला खुलासा, पुलिसवाले ने ही 2 कूकी महिलाओं को 1000 दंगाइयों के हवाले किया

कूकी-जोमी समुदाय की 2 महिलाओं ने मांगी थी मदद

Manipur
Manipur violence :  मणिपुर में कूकी-जोमी समुदाय की 2 महिलाओं को पुलिसकर्मियों ने ही कथित तौर पर उस भीड़ के हवाले कर दिया था जिसने उन्हें निर्वस्त्र कर घुमाया था। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के आरोपपत्र में यह जानकारी दी गई है।
सीबीआई के आरोपपत्र में कहा गया है कि कांगपोकपी जिले में इन महिलाओं ने पुलिसकर्मियों के सरकारी वाहन (जिप्सी) में शरण मांगी थी, लेकिन उन्होंने दोनों महिलाओं को करीब 1000 मेइती दंगाइयों की भीड़ को सौंप दिया। इसमें कहा गया है कि इसके बाद दोनों महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया गया था। यह घटना राज्य में जातीय हिंसा के दौरान की है।
आरोप पत्र का विस्तृत ब्योरा देते हुए अधिकारियों ने कहा कि पीड़ित महिलाओं में से एक, करगिल युद्ध में शामिल सैनिक की पत्नी थी। अधिकारियों ने बताया कि महिलाओं ने पुलिसकर्मियों से उन्हें वाहन से सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए कहा था, लेकिन पुलिसकर्मियों ने कथित तौर पर उनसे कहा कि उनके पास वाहन की चाबी नहीं है और उन्होंने कोई मदद नहीं की।
 
मणिपुर में पिछले साल 4 मई की घटना के लगभग 2 महीने बाद जुलाई में एक वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हुआ था जिसमें देखा जा सकता था कि 2 महिलाएं पुरुषों की भीड़ से घिरी हैं और उन्हें निर्वस्त्र घुमाया जा रहा है। सीबीआई ने पिछले साल 16 अक्टूबर को गुवाहाटी में विशेष न्यायाधीश, सीबीआई अदालत के समक्ष 6 आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया।
इसमें कहा गया है कि एके राइफल, एसएलआर, इंसास और .303 राइफल जैसे अत्याधुनिक हथियार से लैस लगभग 900-1,000 लोगों की भीड़ से बचने के लिए दोनों महिलाएं भाग रही थीं। इसमें कहा गया है कि एक भीड़ सैकुल थाने से लगभग 68 किमी दक्षिण में कांगपोकपी जिले में उनके गांव में जबरदस्ती घुस गई थी।
 
भीड़ से बचने के लिए महिलाएं अन्य पीड़ितों के साथ जंगल में भाग गईं, लेकिन दंगाइयों ने उन्हें देख लिया। अधिकारियों ने बताया कि भीड़ में शामिल कुछ लोगों ने महिलाओं को मदद मांगने के लिए सड़क किनारे खड़े पुलिस वाहन के पास जाने के लिए कहा। दोनों महिलाएं पुलिस वाहन में घुसने में कामयाब हो गईं जिसमें 2 पुलिसकर्मी और चालक पहले से बैठे थे जबकि 3-4र पुलिसकर्मी वाहन के बाहर थे।
 
पीड़ितों में शामिल एक पुरुष भी वाहन के अंदर जाने में कामयाब रहा और वह चालक से उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए विनती करता रहा लेकिन उसे भी बताया गया कि 'चाबी' नहीं है। पीड़ितों में से एक के पति ने असम रेजिमेंट के सूबेदार के रूप में भारतीय सेना में काम किया था। सीबीआई का आरोप है कि पुलिस ने वाहन में बैठे व्यक्ति के पिता को भी भीड़ के हमले से बचाने में मदद नहीं की।
बाद में चालक ने वाहन को ले जाकर करीब 1,000 लोगों की भीड़ के सामने रोक दिया। पीड़ितों ने पुलिसकर्मियों से उन्हें सुरक्षित निकालने की गुहार लगाई, लेकिन उन्होंने कोई मदद नहीं की। जांच एजेंसी ने कहा कि भीड़ ने उस व्यक्ति के पिता की पहले ही हत्या कर दी थी, जो 2 महिलाओं के साथ गाड़ी में बैठा था।
 
पुलिसकर्मी पीड़ितों को हिंसक भीड़ के हवाले कर वहां से चले गए। आरोप पत्र में कहा गया है कि दंगाइयों ने महिलाओं को बाहर खींच लिया और उनका यौन उत्पीड़न करने से पहले उन्हें निर्वस्त्र कर घुमाया। सीबीआई ने हुइरेम हेरोदास मेइती और पांच अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है और एक किशोर के खिलाफ भी रिपोर्ट दर्ज की है। मणिपुर पुलिस ने हेरोदास को जुलाई में गिरफ्तार किया था।
सीबीआई ने कहा है कि आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं, जिनमें सामूहिक बलात्कार, हत्या, एक महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना और आपराधिक साजिश से संबंधित धाराएं शामिल हैं। भाषा Edited by: Sudhir sharma