प्याज निर्यात पर रोक लगाने के आदेश से महाराष्ट्र सरकार नाराज, केंद्र से आदेश वापस लेने की मांग
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के प्याज निर्यात पर पूरी तरह रोक लगाने को लेकर महाराष्ट्र में बुधवार को विरोध जताया गया। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने निर्यात पर पाबंदी हटाने को लेकर केंद्र को पत्र लिखने की बात कही है। वहीं महाराष्ट्र सरकार में सहयोगी कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने केंद्र के इस कदम को 'किसान-विरोधी' 'महापाप' और 'अन्याय' भरा कदम बताया।
महाराष्ट्र मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक आधिकारिक बयान में बुधवार को कहा कि राज्य के मंत्रियों द्वारा केंद्र सरकार के प्याज निर्यात पर रोक लगाने को लेकर रोष जताने के बाद मुख्यमंत्री ठाकरे ने मंत्रिमंडल की बैठक में इसे लेकर केंद्र सरकार को पत्र लिखने की बात कही।
राज्य की गठबंधन सरकार में सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता राज्य के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने केंद्र के इस निर्णय को किसानविरोधी और उन पर दबाव बढ़ाने वाला 'महापाप' बताया। राकांपा मुख्यालय पर एक बैठक में पवार ने कहा कि केंद्र सरकार ने ऐसे समय पर प्याज के निर्यात पर रोक लगाई है, जब किसानों को अच्छी कीमत मिल रही थी। यह पूरी तरह गलत है। यह बात साफ है कि केंद्र सरकार किसानविरोधी रवैया अपना रही है।
उन्होंने कहा कि प्याज उत्पादक पहले से कोविड-19 की मार झेल रहे हैं और अब केंद्र सरकार ने प्याज निर्यात पर पाबंदी लगाकर उन पर और दबाव बनाने का महापाप किया है। राज्य में गठबंधन सरकार की एक और सहयोगी दल कांग्रेस ने केंद्र के इस फैसले को लेकर राज्यभर में विरोध प्रदर्शन किया। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री बालासाहब थोराट ने कहा कि निर्यात पर प्रतिबंध के चलते प्याज के दाम गिर गए हैं। पार्टी इस 'अन्याय' से किसानों को बाहर निकालने के लिए लड़ाई लड़ेगी। उसका प्रदर्शन केंद्र सरकार के इस फैसले को वापस लेने तक जारी रहेगा।
थोराट ने कहा कि केंद्र सरकार के इस निर्णय से प्याज के दाम 700 से 800 रुपए प्रति क्विंटल गिर गए हैं। राज्य में किसान बाढ़ और चक्रवात के चलते भारी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। राज्य सरकार उनकी जितनी मदद कर सकती है, कर रही है लेकिन केंद्र सरकार सहयोग नहीं कर रही।
महाराष्ट्र प्याज का एक प्रमुख उत्पादक राज्य है। केंद्र सरकार के इस फैसले से यहां के किसान बड़े स्तर पर प्रभावित होंगे। राज्य के प्रधान सचिव अनूप कुमार ने मंत्रिमंडल को सूचित किया कि 2018-19 में राज्य से 21.83 लाख टन प्याज का निर्यात किया गया जबकि 2019-20 में यह आंकड़ा 18.50 लाख टन रहा।
राज्य के शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि केंद्र के इस फैसले से निर्यात के लिए जाने वाला 4 लाख टन प्याज मुंबई के जवाहर लाल नेहरू बंदरगाह पर अटक गया है जबकि राज्य के प्याज लदे 500 से अधिक ट्रक नेपाल और बांग्लादेश सीमा पर अटके हैं।
इस बीच कोलकाता से मिली खबर के मुताबिक निर्यातकों के संगठन 'फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन' (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि हमें उम्मीद है कि जो ऑर्डर पहले से बुक किए गए हैं, सरकार उनके मामले के लिए थोड़ी राहत देगी। सरकार बैंगलोर रोज किस्म के प्याज निर्यात की अनुमति दे सकती है। बेंगलोर रोज किस्म भारत में उतनी प्रचलित नहीं है।
इस बीच पश्चिम बंगाल के महादीपुर क्लीयरिंग एंड फॉरवर्डिेग एजेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव भूपति मंडल ने कहा कि बांग्लादेश जाने वाले 400 से अधिक प्याज से लदे ट्रक मालदा जिले में सीमा के पास खड़े हैं,
वहीं एक बांग्लादेशी प्याज आयातक ने बताया कि अचानक लगाए गए प्रतिबंध से हमारी कई परेशानियां बढ़ गई हैं। भारत हमें प्याज का निर्यात करने वाला सबसे बड़ा देश है। 1 ही दिन में प्याज की खुदरा कीमत 50 टका से बढ़कर 70 टका हो गई है। इसके आगे और बढ़ने की आशंका है। (भाषा)