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Last Updated : सोमवार, 6 मार्च 2023 (20:56 IST)

जोशीमठ की तरह इन इलाकों में भी भूस्खलन का सबसे ज्यादा खतरा, ISRO ने जारी की लिस्ट

जोशीमठ की तरह इन इलाकों में भी भूस्खलन का सबसे ज्यादा खतरा, ISRO ने जारी की लिस्ट - Like Joshimath, these areas also have the highest risk of landslides
देहरादून। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर द्वारा जारी की गई 'लैंडस्लाइड एटलस ऑफ इंडिया 2023' रिपोर्ट बताती है कि उत्तराखंड के 2 जिले रुद्रप्रयाग, टिहरी गढ़वाल भूस्खलन-संवेदनशील क्षेत्रों में सबसे ऊपर हैं। इस रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि देश के 147 भूस्खलन प्रभावित जिलों में से 64 जिले पूर्वोत्तर के हैं।

देश में रुद्रप्रयाग, टिहरी गढ़वाल, राजौरी, त्रिशूर, पुलवामा, पलक्कड़, मलप्पुरम, दक्षिण सिक्किम, पूर्वी सिक्किम और कोझिकोड में भूस्खलन का खतरा सबसे ज्यादा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर की 'लैंडस्लाइड एटलस ऑफ इंडिया 2023' नामक रिपोर्ट 1988 से 2022 के बीच रिकॉर्ड किए गए 80,933 भूस्खलनों के आधार पर तैयार की गई है।

ऐसे समय में जबकि जोशीमठ सहित उत्तराखंड के अलग-अलग इलाकों में जमीन दरकने के कई मामले सामने आते रहे हैं। सबसे ज्यादा भूस्खलन का खतरा जिन चार प्रमुख देशों में मंडराता है जिसमें भारत भी शामिल है। भारत में करीब 4.2 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा है, जो भारत के कुल भू-क्षेत्र का 12.6 फीसदी हिस्सा है।इसमें से 1.8 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र दार्जिलिंग और सिक्किम हिमालय के उत्तर पूर्व हिमालय में पड़ता है।

करीब 1.4 लाख वर्ग किलोमीटर हिस्सा उत्तर पश्चिम हिमालय (उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर) में पड़ता है। लगभग 90 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पश्चिमी घाट और कोंकण पहाड़ियों (तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, गोवा और महाराष्ट्र) में पड़ता है।आंध्र प्रदेश के अरुकु क्षेत्र के पूर्वी घाट में 10000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र भी भूस्खलन संभावित माना जाता है।

क्लाइमेट चेंज के चलते अकस्मात होती भारी बारिश भी भूस्खलन को बढ़ाने में भूमिका निभाती है। जलवायु परिवर्तन के कारण भारी वर्षा हो रही है जो ढीली मिट्टी के साथ खड़ी ढलानों को नष्ट कर रही है। हिमालय क्षेत्र में भूस्खलन की 73 फीसदी घटनाओं के लिए भारी बारिश और जमीन की पानी को सोखने की घटती क्षमता जिम्मेवार है।

1988 से 2022 के बीच भूस्खलन की सबसे ज्यादा 12,385 घटनाएं मिजोरम में दर्ज की गई हैं। इसके बाद उत्तराखंड में 11,219, त्रिपुरा में 8,070, अरुणाचल प्रदेश में 7,689, जम्मू और कश्मीर में 7,280, केरल में 6,039 और मणिपुर में 5,494, जबकि महाराष्ट्र में भूस्खलन की 5,112 घटनाएं दर्ज की गई थीं।

प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली मौतों के मामले में भूस्खलन तीसरे स्थान पर है। विभिन्न आंकड़ों के अनुसार दुनिया में साल 2006 में करीब 40 लाख लोग भूस्खलन से प्रभावित हुए थे, जिसमें बड़ी संख्या में भारतीय भी शामिल थे।
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