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Last Updated : गुरुवार, 10 अक्टूबर 2024 (12:57 IST)

Ratan Tata love story: लॉस एंजेलिस में लड़की से हुआ प्‍यार, इस वजह से अधूरी रह गई रतन टाटा की लव स्‍टोरी

ratan tata
Ratan Tata love story: उद्योगपति रतन टाटा के निधन से देशभर में शोक की लहर है। वे जितने कुशल बिजनेस टाइकून थे, उतने ही दरियादिल भी। बेजुबान जानवरों के प्रति उनके प्‍यार से लेकर मुंबई आतंकी हमले और कोरोना काल तक कई मौकों पर उन्होंने खुले दिल से लोगों की मदद की, परोपकार किया।

रतन टाटा ने 21 साल तक टाटा ग्रुप की कमान संभाली और टाटा को नई ऊंचाई पर पहुंचाया। रतन टाटा के विजन की वजह से ही देश को भी नई दिशा मिली। 9 अक्‍टूबर 2024 को उनका मुंबई में निधन हो गया। इतना सबकुछ हासिल करने के बाद भी खुद उनके प्‍यार की कहानी अधूरी रह गई। जानते हैं रतन टाटा की लव स्‍टोरी के बारे में जो उन्‍होंने खुद ह्मून ऑफ बांबे नाम के फेसबुक पेज पर शेयर की थी।

दरअसल, रतन टाटा ने फेसबुक पेज 'ह्यूमंस ऑफ बॉम्‍बे' पर अपनी प्रेम कहानी का दुनिया के सामने खुलासा किया है। उन्‍होंने अपनी पढ़ाई, कॉलेज डेज, माता-पिता के अलग होने और अपने स्‍ट्रगल के दिनों को बेहद ही मार्मिक अंदाज में बयां किया है। आइए जानते हैं रतन टाटा की जुबानी, उनके प्‍यार की अधूरी कहानी।

माता-पिता के तलाक से टूट गए : 82 साल के हो चुके रतन टाटा ने तीन सीरीज की अपनी कहानी की पहली सीरीज में शेयर किया कि उनका बचपन काफी खुशहाल था, वे बेहद खुश थे और मस्‍ती करते थे, लेकिन माता-पिता के तलाक की वजह से उनकी जिंदगी में थोड़ी निराशा आ गई। इसी वजह से उनके भाई को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा था। दरअसल, जब रतन टाटा सिर्फ 10 साल के थे, उसी छोटी उम्र में रतन टाटा के पिता नवल और मां सोनी टाटा का तलाक हो गया था। यह घटना उन्‍हें बेहद निराश करने वाली थी।

रतन टाटा की प्रेम कहानी फेसबुक पर आने के बाद पूरे सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी है। हजारों लोगों ने रिएक्‍शन दिए और हजारों लाखों बार शेयर की गई। इस कहानी पर लाखों लोग लगातार कमेंट कर रहे हैं।

जिंदगी पर दादी का प्रभाव :  रतन टाटा ने इस पोस्‍ट में अपनी दादी को याद करते हुए बताया कि किस तरह उन्‍होंने यह अहसास दिलाया कि वैल्‍यूज यानी मूल्‍य क्‍या होते हैं। उन्‍होंने कहा, ‘मुझे आज भी याद है कि किस तरह दूसरे विश्‍वयुद्ध के बाद वह मुझे और मेरे भाई को गर्मियों की छुट्टियों के लिए लंदन लेकर चली गईं थीं। वास्‍तव में वहीं से उन्‍होंने मेरे भीतर मूल्‍य के बीत बोए। दादी ही हमें बताती थीं कि यह नहीं करना चाहिए, वैसा नहीं करना चाहिए। किस बारे में रिएक्‍ट करना है, किस बारे में शांत रहना है। उन्‍होंने कहा- मुझे लगता है यही वो दिन थे, जब हमें समझ आ गया या हमारे दिमाग में यह बात डाल दी गई कि प्रतिष्‍ठा सबसे ऊपर की चीज है।

वायलिन सीखना चाहते थे टाटा : उन्‍होंने अपने पिता के साथ मतभेद के बारे में भी बात की।  उन्‍होंने कहा— ‘मैं वॉयलिन सीखना चाहता था और मेरे पिता मुझे पियानो सीखने के लिए कहते थे। मैं पढ़ाई के लिए अमेरिका के कॉलेज में जाना चाहता था, जबकि पिता चाहते थे कि मैं लंदन जाऊं। मैं आर्किटेक्‍ट बनना चाहता था और वो कहते थे इंजीनियर बनो’ इससे मेरे और पिता के बीच मतभेद जैसा था। लेकिन फायनली अपनी दादी की मदद से वे पढ़ने के लिए अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी गए। लेकिन पिता उनके आर्किटेक्‍ट से ग्रेजुएशन करने पर नाराज हो गए। हालांकि पिता की बात न सुनते हुए उन्‍होंने लॉस एंजेलिस में करीब दो साल तक नौकरी की।

लॉस एंजेलिस की लड़की से हुआ प्‍यार : लॉस एंजेलिस के दिनों को याद करते हुए टाटा भावुक हो जाते हैं, वे कहते हैं। वे बेहद अच्‍छे दिन थे। काफी अच्‍छा समय था, मौसम बहुत खूबसूरत था, मेरे पास अपनी गाड़ी थी और मुझे अपनी नौकरी से प्‍यार था। जवानी के उन्‍हीं दिनों में टाटा प्‍यार में पड़ गए। जिससे टाटा प्‍यार करते थे वो लड़की लॉस एंजेलिस की थी। कुछ दिन गुजारने के बाद वे उसी लड़की से शादी करने वाले थे। लेकिन दादी की तबियत अचानक खराब हो जाने के कारण उन्‍हें भारत वापस आना पड़ा। तब टाटा ने सोचा था कि वे घर जाकर बात करेंगे और जिस लड़की से वे मुहब्‍बत करते हैं, उसे भी अपने देश, अपने घर ले आएंगे, लेकिन किस्‍मत को यह मंजूर नहीं था शायद।

उन्‍होंने बताया कि उन दिनों 1962 का साल था और भारत और चीन के बीच लड़ाई चल रही थी। इसी युध्‍द के चलते उनके माता पिता नहीं चाहते थे कि वो लड़की भारत आए। बस सिर्फ इसी वजह से रतन टाटा का प्‍यार अधूरा रह गया, हमेशा के लिए। आज भारत के रतन टाटा नहीं रहे। लेकिन भारत में वे हजारों लाखों लोगों के आदर्श हो गए हैं। उन्‍हें और उनके योगदान को याद कर के भारत के हर नागरिक की आंखें आज नम हो गई हैं
Edited by Navin Rangiyal
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जब अचानक हजारों लोग गरबा करते हुए रुक गए, कुछ रोने लगे, फिर यूं दी सर रतन टाटा को श्रद्धांजलि