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Last Updated : गुरुवार, 31 जनवरी 2019 (19:51 IST)

हिन्दी, हिन्दू और हिन्दुत्व देश को बांट रहे हैं..., शशि थरूर का विवादित बयान

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नई दिल्ली/प्रयागराज अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले कांग्रेस नेता शशि थरूर ने गुरुवार को हिन्दी को लेकर भी विवादित बयान दिया और कहा कि ‘हिन्दी, हिन्दू और हिन्दुत्व’ की विचारधारा देश को बांट रही है।
 
थरूर ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा कि “हिन्दी, हिन्दू और हिन्दुत्व’ की विचारधारा हमारे देश को बांट रही है। हमें एकरूपता नहीं बल्कि एकता चाहिए।
 
इसके साथ ही उन्होंने एक व्यक्ति के ट्वीट भी पोस्ट किया है जिसमें कहा गया है कि मुंबई के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हिन्दी नहीं बोलने के कारण पीएचडी के एक छात्र को आव्रजन अधिकारी ने क्लियरेंस देने से इंकार कर दिया।
 
कांग्रेस नेता ने एक दिन पहले प्रयागराज में चल रहे कुंभ को लेकर यह कहते हुए विवाद खड़ा कर दिया था कि आपको पाप भी यहीं धोने हैं और गंगा को भी स्वच्छ रखना है। इस संगम में हम सब नंगे हैं।

उधर धर्मसंसद में बोले भागवत- हिन्दुओं को ठेस पहुंचाने के लिए चल रही हैं योजनाएं :राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हिन्दू समाज की भावना को ठेस पहुंचाने के लिए नई-नई योजनाएं चल रही हैं।
प्रयागराज कुंभ में जगद्गुरू स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती की अध्यक्षता में शुरू हुई विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) की धर्मसंसद को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि केरल की वामपंथी सरकार, न्यायपालिका के आदेशों के परे जा रही है। अयप्पा के भक्तों का दमन किया जा रहा है जिससे हिन्दू समाज उद्वेलित है। 
 
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि हम हिन्दू समाज के इस आंदोलन का समर्थन करते हैं। आज हिन्दू समाज के विघटन के कई प्रयास चल रहे हैं, इसलिए धर्म जागरण के माध्यम से बिछुड़े हुए हिंदू बंधुओं को वापस लाने की आवश्यकता है। योग गुरू स्वामी रामदेव ने कहा कि देश में समान नागरिक संहिता और समान जनसंख्या का कानून लाया जाना चाहिए।
 
इस धर्म संसद में स्वामी परमानंद ने सबरीमला में परंपरा और आस्था की रक्षा करने को लेकर जारी संघर्ष को अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन के समकक्ष बताते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों में देखने में आया है कि हिंदू परंपराओं के प्रति अविश्वास निर्माण का कुप्रयास किया जा रहा है।
 
उन्होंने कहा कि सबरीमाला मंदिर इसका ताजा उदाहरण है जिसमें कभी पर्यावरण के नाम पर तो कभी आधुनिकता के नाम पर इस प्रकार के विवाद जान-बूझकर खड़े किए जाते हैं। 
 
उन्होंने कहा कि भारत का संत समाज अयप्पा भक्तों विशेषकर हिन्दू महिलाओं, एनएसएस, केपीएमएस, एसएनडीपी, आर्य समाज, पीपुल आफ धर्मा और अन्य कई हिन्दू संगठनों के इस पावन संघर्ष का अभिनंदन करता है।
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