जब केरल बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए गांधीजी ने जुटाए थे 6 हजार रुपए...
केरल इन दिनों भीषण बाढ़ की मार से जूझ रहा है। लगभग एक सदी पहले 1924 में केरल में इसी तरह की भयावह बाढ़ आई थी। तब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने केरल के लोगों की मदद के लिए 'अकल्पनीय' कदम उठाया और लोगों को एकजुट करके बाढ़ पीड़ितों के लिए 6,000 रुपए जुटाए थे।
अभी केरल में आई प्राकृतिक आपदा से अब तक करीब 290 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 10 लाख से ज्यादा लोग बेघर हो चुके हैं। जुलाई 1924 में केरल में आई भीषण बाढ़ से भी राज्य को काफी नुकसान हुआ था। उस समय भी ऐसे ही हालात थे। उस बाढ़ में भी बड़ी संख्या में लोगों की जानें गई थीं और चौतरफा तबाही मची थी।
महात्मा गांधी की अपील पर सिर्फ पुरुष ही नहीं महिलाएं, बच्चे भी आगे और उन्होंने दान दिया। सबसे बड़ी बात यह रही कि महिलाओं ने अपने सोने के जेवर तक बेच दिए और उन रुपयों को बाढ़ राहत के लिए दान दे दिया। महिलाओं और बच्चों ने अपनी छोटी-छोटी बचत भी बाढ़ प्रभावित लोगों को दान दे दी थी।
राष्ट्रपिता ने 'नवजीवन' में अपने एक लेख में एक लड़की का ज़िक्र करते हैं, जिसने राहत कोष में योगदान के लिए तीन पैसे चुराए थे। महात्मा गांधी की लिखी गई पत्रिकाओं के मुताबिक कई लोगों ने अपना एक समय का खाना छोड़ दिया तो किसी ने अपने हिस्से का दूध बेचकर बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद के लिए रुपए दान दिए थे। केरल के इतिहास में 1924 में आई उस बाढ़ को महाप्रलय के नाम से जाना जाता है। उस समय केरल तीन हिस्सों में बंटा हुआ था- त्रावणकोर, कोच्चि और मालाबार। (एजेंसियां)