कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा, 'कौशल वाले खेलों' की पेशकश पर गेमिंग मंच को कर नोटिस का मतलब नहीं
बेंगलुरु। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा है कि अगर अदालतों की तरफ से पहले ही 'कौशल के खेल' घोषित किए जा चुके गेम किसी ऑनलाइन गेमिंग मंच पर उपलब्ध हैं तो उस कंपनी को 21000 करोड़ रुपए के कर नोटिस देने का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।
माल एवं सेवाकर (जीएसटी) के आसूचना महानिदेशालय (डीजीजीआई) ने कर्नाटक के ऑनलाइन गेमिंग मंच 'गेम्सक्राफ्ट' को 21000 करोड़ रुपए का नोटिस भेजा है जिसे कंपनी ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी हुई है। यह नोटिस 8 सितंबर को भेजा गया था जिसमें कंपनी के कुल लेनदेन पर 28 फीसदी की दर से जीएसटी लगाने की बात कही गई है।
न्यायमूर्ति एसआर कृष्ण कुमार की पीठ को कंपनी की तरफ से यह बताया गया कि यह मंच केवल 'कौशल वाले खेलों' का परिचालन करती है, 'किस्मत वाले खेलों' का नहीं।
कंपनी की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि रमी के खेल को कई उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय ने 'कौशल का खेल' बताया है और इस मंच पर खेले जाने वाले खेलों में से 96 फीसदी खेल इसी तरह के हैं। जीएसटी आसूचना महानिदेशालय ने दावा किया था कि इस मंच पर जुआ खेलने से जुड़ीं गतिविधियां संचालित की जाती हैं।(भाषा)
Edited by : Chetan Gour