उत्तर भारत कांपा, कई इलाकों में तापमान माइनस में, श्रीनगर में 11 साल का रिकॉर्ड टूटा...
पूरा उत्तर भारत इस समय शीत लहर की ठंड की चपेट में है। जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में गुरुवार को 28 साल में दिसंबर की सबसे सर्द सुबह रही। श्रीनगर की डल झील आंशिक रूप से जम गई। सुबह पारा माइनस 7.6 डिग्री पर पहुंच गया। उल्लेखनीय है कि इससे पहले 1990 में दिसंबर में यहां तापमान माइनस 8.8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था।
पर्वतीय क्षेत्रों में भी हिमाचल के मनाली और उत्तराखंड के बद्रीनाथ, औली और चोपटा में गुरुवार को बर्फबारी हुई। यहां भारी बर्फबारी और हवाओं के कारण हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में पारे ने गोता मारा और दिल्ली में भी गुरुवार को सीजन का दूसरा सबसे सर्द दिन रहा। यहां न्यूनतम तापमान 3.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। बुधवार को यह 3.6 तक पहुंच गया था। मौसम विभाग के अनुसार अगले 10 दिन तक ठंड से राहत के आसार नहीं है।
सर्दी ने तोड़ा 11 साल का रिकॉर्ड : जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में सर्दी ने गुरुवार को पिछले 11 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। यहां न्यूनतम तापमान शून्य से 7.6 डिग्री सेल्सियस कम दर्ज किया गया, जो सामान्य से 5.6 डिग्री सेल्सियस कम है।
पारा गिरने के कारण विश्व प्रसिद्ध डल झील सहित जलाशयों और नलों में बर्फ जम गई। ठंडी हवाओं के कारण सूर्य की रोशनी में गर्माहट नहीं है, जिसके कारण जनजीवन प्रभावित हुआ है। श्रीनगर में बुधवार की रात सबसे सर्द रात रही। इससे पहले 21 दिसंबर को यहां पर न्यूनतम तापमान शून्य से 6.8 डिग्री सेल्सियस कम दर्ज किया गया था।
जलाशयों और नलों में जमी बर्फ : नलों में भी बर्फ जम गई है। तापमान में गिरावट के कारण श्रीनगर तथा उसके बाहरी क्षेत्र में अधिकतर जलाशयों में बर्फ जम गया है। खाली मैदानों, सड़कों तथा अन्य जगहों पर जमा पानी भी बर्फ बन गया है।
जल आपूर्ति योजनाओं से जुड़े सूत्रों ने बताया कि ऊपरी हिस्से में हिमपात होने से जलस्रोतों में पानी जम गया है जिससे पानी की आपूर्ति भी प्रभावित हुई है। कुछ क्षेत्रों में लोग नलों के पानी को पिघलाने की कोशिश करते देखे जा रहे हैं।
कुछ लोगों ने हालांकि अपने नलों को कपड़ों, विशेष तौर पर निर्मित नायलॉन कवर से ढंका हुआ है। मौसम विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि अगले 24 घंटों के दौरान शहर का मौसम शुष्क और सर्द बना रहेगा। घाटी के अधिकतर हिस्सों और लद्दाख क्षेत्र में पारा जमाव बिन्दु से नीचे रहा जिसके चलते जलाशयों तथा जलापूर्ति लाइनों में पानी जम गया।