म्यांमार में इसलिए जरूरी थी सेना की सर्जिकल स्ट्राइक
नई दिल्ली। भारतीय सेना ने बुधवार तड़के दूसरी बार म्यांमार की सीमा पर बड़े रूप में सर्जिकल स्ट्राइक की है। इस कार्रवाई को अंजाम दिया था पैरा कमांडोज की टीम ने। सेना ने यहां छिपे एनएससीएन-के के आतंकियों पर निशाना साधा और कई आतंकवादियों को मार गिराया। इस कार्रवाई में भारतीय सेना के किसी भी जवान को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचा।
अब सवाल यह उठता है कि यह ऑपरेशन क्यों जरूरी था तो इसका जवाब है कि सीमा पर एनएससीएन-के के 100 आतंकी छिपे हुए थे, इन आतंकियों ने पिछले कुछ महीनों में यहां अपना ठिकाना बना लिया था और ये सभी आतंकवादी सीमा को पार कर कभी भी किसी भी बड़े हमले को अंजाम दे सकते थे। आतंकवादियों ने ऐसे समय का उपयोग किया जबकि सीमा पर रोहिंग्या मुस्लिमों की अवैध घुसपैठ बड़ रही है। ऐसे में सेना का ध्यान उस ओर अधिक है। इस मौके का फायदा उठकर नाग उग्रवादियों ने सीमा पर अपने ठिकाने बना लिए थे।
कुछ दिन पहले ही भारतीय सेना को इन आतंकियों के यहां छिपे होने के पुख्ता सबूत मिले थे। अधिकारियों का कहना है कि ये आतंकी धीरे-धीरे यहां बढ़ रहे थे, ये लोग भारत पर हमले की तैयारी में थे, भारतीय सेना इन पर नजीदीकी से नजर रख रही थी और इनकी हर गतिविधि को मॉनीटर कर रही थी।
सेना के अधिकारियों का कहना है कि भारतीय सेना ने इन आतंकियों के ठिकानों पर एकदम से हमला किया और तकरीबन 30 ठिकानों को तबाह कर दिया, जिसमें कई आतंकी मारे गए थे।
सुबह 4.45 पर हुआ ऑपरेशन भारतीय सेना की पैरा कमांडों टीम ने इस स्ट्राइक को अंजाम दिया है। यह ऑपरेशन लंगखू गांव के करीब किया गया है, जोकि म्यांमार सीमा के पास है। हालांकि सेना ने इस बात को दोहराया है कि यह सर्जिकल स्ट्राइक नहीं है। इससे पहले भारतीय सेना ने जून 2015 में ऐसा ही ऑपरेशन किया था, यह ऑपरेशन भी उसी जगह पर किया गया है, जहां पहला ऑपरेशन किया गया था। सेना ने 2015 में यह ऑपरेशन ठीक उसके बाद किया था जब आतंकियों ने 18 जवानों को मणिपुर में मार गिराया था।