बर्फ में लापता और दो जवानों के शव मिले, दो की तलाश जारी
श्रीनगर। कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के साथ सटे गुरेज और नौगाम सेक्टर में सरहद की हिफाजत करते हुए हिमस्खलन की चपेट में आए पांच जवानों में से दो और सैन्यकर्मियों के पार्थिव शरीर लगभग आठ दिन बाद सोमवार को मिल गए। एक जवान का पार्थिव शरीर पहले ही मिल चुका है। अभी भी लापता दो अन्य जवानों की तलाश जारी है।
गौरतलब है कि 10 दिसंबर को गुरेज सेक्टर के अंतर्गत बगतूर इलाके में भारी हिमपात और हिमस्खलन में सेना की 36 आरआर (राष्ट्रीय राइफल्स) के तीन जवान लापता हो गए थे। जवानों की तलाश हिमस्खलन के थमते ही शुरू की गई थी। अधिकारियों ने बताया कि प्रभावित इलाके में सेना के बचाव दल ने अत्याधुनिक सेंसरों और खोजी कुत्तों की मदद से अपना अभियान विपरीत परिस्थितियों के बावजूद जारी रखा हुआ था। बचावकर्मियों को सोमवार को दोपहर बाद करीब तीन बजे लापता तीन सैन्यकर्मियों में से दो के पार्थिव शरीर एक जगह बर्फ के नीचे दबे मिले। इन जवानों के साथ उनके हथियार भी मिले हैं।
फिलहाल, तीसरे जवान राइफलमैन मूर्थी एन की तलाश जारी है। जिन जवानों के पार्थिव शरीर सोमवार को मिले हैं, उनकी पहचान राइफलमैन शिव सिंह और लांस नायक एमएन प्रमाणिक के रूप में हुई है। दोनों शहीदों के पार्थिव शरीर पोस्टमार्टम और श्रद्धांजलि समारोह के बाद पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनके परिजनों के पास मंगलवार को भेजने का प्रयास किया जा रहा है। उधर, नौगाम में लापता दो अन्य जवानों में से सांबा जिले के कौशल सिंह का पार्थिव शरीर दो दिन पहले मिल गया था, जबकि हिमाचल प्रदेश के नूरपुर के शम्मी का अभी कोई सुराग नहीं मिला है।
बता दें कि जम्मू एवं कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पास गुरेज सेक्टर में 12 दिसंबर को हुए हिमस्खलन के बाद तीन जवान लापता हो गए थे, जबकि दो जवान नौगाम सेक्टर में गहरी खाई में गिर गए थे। इस क्षेत्र में लगातार हो रही बर्फबारी से बचाव अभियान में बाधा आ रही थी।
सेना ने लापता सैनिकों की खोज के लिए हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल (एचएडब्ल्यूएस) की विशेष प्रशिक्षित टीमों को तैनात किया है। एचएडब्ल्यूएस सेना का प्रशिक्षण संस्थान है जो बहुत ही ऊंचाई और बर्फ से घिरे क्षेत्रों में विशेष संचालन और खोज अभियान चलाती है।
गौरतलब है कि पिछले साल फरवरी में जम्मू कश्मीर में सियाचिन के उत्तरी ग्लैशियर में हिमस्खलन के कारण सेना के 10 जवान लापता हो गए थे। ये जवान 5800 मीटर की ऊंचाई पर गश्ती कर रहे थे। इसके अलावा जनवरी, 2016 में हिमस्खलन के कारण चार जवानों की मौत हो गई थी।