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Last Updated : शनिवार, 6 अक्टूबर 2018 (16:41 IST)

भारत-रूस एस-400 समझौते में रिलायंस भी है शामिल, बढ़ सकती है सरकार की मुसीबत

भारत-रूस एस-400 समझौते में रिलायंस भी है शामिल, बढ़ सकती है सरकार की मुसीबत - India-Russia S-400 Missile Defense System Agreement
भारत और रूस के बीच शुक्रवार को लंबी दूरी तक सतह से हवा में मार करने वाली एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम समझौता हुआ है। इस डील में अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस का नाम भी शामिल बताया जा रहा है, जिसको लेकर भारत में राजनीति गरमा सकती है। रिलायंस का नाम मोदी सरकार के लिए समस्या खड़ी कर सकता है।


अमेरिका द्वारा प्रतिबंध लगाने की धमकी को दरकिनार करते हुए भारत और रूस ने लंबी दूरी तक सतह से हवा में मार करने वाली एस-400 ट्रियंफ की आपूर्ति के सौदे को अंतिम रूप दे दिया है। इससे भारतीय वायुसेना की हवाई रक्षा क्षमता को पर्याप्त बढ़ावा मिलेगा। दोनों देशों के बीच साल 2015 से एस-400 को लेकर बातचीत चल रही थी। भारत ने रूस के साथ ये समझौता पांच अरब डॉलर में किया है। हालांकि दोनों देशों के नेताओं ने एस-400 डील को लेकर कोई बयान नहीं दिया।

रूसी कंपनी अल्माज-एंटी रोसोबोरोनक्सपोर्ट एस-400 की प्रमुख निर्माता कंपनी है, जिसका अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस के साथ भारत में रक्षा उपकरणों के व्यापार को लेकर समझौता है। साल 2015 में पीएम मोदी की मास्को यात्रा के दौरान रिलायंस ने अल्माज-एंटी के साथ समझौता किया था।

रिलायंस के चेयरमैन अनिल अंबानी के मुताबिक, इससे दोनों देशों के रणनीतिक संबंधों को मजबूती मिलेगी। वहीं अल्माज-एंटी की तरफ से कहा गया था कि रिलायंस के साथ मिलकर हम भारत के सुरक्षाबलों की जरूरतों को पूरा कर नई दिशा देंगे। लेकिन एस-400 में रिलायंस का नाम आने से मोदी सरकार के लिए समस्या खड़ी हो सकती है, क्‍योंकि फ्रांस के साथ हुए राफेल समझौते में रिलायंस के नाम को लेकर पहले से ही राजनीति गरमाई हुई है। कांग्रेस सहित विपक्षी दल इस सौदे को लेकर पहले ही मोदी सरकार पर हमलावर हैं।

एस-400 मिसाइल सिस्टम पाने वाला भारत अब तक का तीसरा देश है। चीन और तुर्की के साथ रूस यह डील पहले ही कर चुका है। वहीं इस डील के बाद अमेरिका भारत पर प्रतिबंध लगा सकता है, क्योंकि रूस से किसी भी तरह की रक्षा खरीद करने पर अमेरिका लगातार बैन लगाने की धमकी देता रहा है।
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