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Last Modified: नई दिल्ली , शनिवार, 27 जुलाई 2024 (00:11 IST)

भारत-अमेरिका के बीच हुआ पहला सांस्कृतिक संपदा समझौता

India-America Agreement
India and US sign first cultural property agreement : भारत और अमेरिका ने शुक्रवार को सांस्कृतिक संपदा की अवैध तस्करी को रोकने और पुरातन वस्तुओं को उनके मूल स्थान पर लौटाने के लिए अपना पहला समझौता किया। समझौते का उद्देश्य सांस्कृतिक संपदा की अवैध तस्करी को रोकना और पुरावशेषों को उनके मूल स्थान पर वापस लाना है।

अमेरिकी दूतावास ने एक बयान में कहा कि इस समझौते के साथ भारत 29 मौजूदा अमेरिकी द्विपक्षीय सांस्कृतिक संपदा समझौता भागीदारों की श्रेणी में शामिल हो गया है। यह जानकारी संस्कृति मंत्रालय ने दी। यहां भारत मंडपम में जारी विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र के दौरान केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की उपस्थिति में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के सचिव गोविंद मोहन और अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने अमेरिका-भारत सांस्कृतिक संपदा समझौते पर हस्ताक्षर किए।
शेखावत ने बाद में मीडिया से बातचीत में कहा कि यह एक सामान्य समझौता है जो ऐतिहासिक कलाकृतियों को अमेरिका से भारत वापस लाने की अनुमति देगा। उन्होंने कहा कि 297 वस्तुएं ऐसी हैं जो अमेरिका में पड़ी हैं और वापस भेजे जाने के लिए तैयार हैं। मंत्री ने कहा कि भारत ने 1976 से अब तक 358 पुरावशेषों को वापस देश में लाए गए हैं, इनमें से 345 को 2014 से वापस लाया गया है।
 
संस्कृति मंत्रालय ने एक बयान में कहा, समझौते का उद्देश्य सांस्कृतिक संपदा की अवैध तस्करी को रोकना और पुरावशेषों को उनके मूल स्थान पर वापस लाना है। अमेरिकी दूतावास ने एक बयान में कहा कि इस समझौते के साथ भारत 29 मौजूदा अमेरिकी द्विपक्षीय सांस्कृतिक संपदा समझौता भागीदारों की श्रेणी में शामिल हो गया है।
अमेरिकी राजदूत ने कहा, यह सांस्कृतिक संपदा समझौता दो चीजों के बारे में है। सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, यह न्याय के बारे में है- भारत और भारतीयों को वह लौटाना जो उनका अधिकार है। दूसरा, यह भारत को दुनिया से जोड़ने के बारे में है। हर अमेरिकी और हर वैश्विक नागरिक उस संस्कृति को जानने, देखने और अनुभव करने का हकदार है जिसकी हम आज यहां प्रशंसा करते हैं। भारतीय संस्कृति को जानना मानव संस्कृति को जानना है।
 
बयान में कहा गया कि अमेरिका-भारत सांस्कृतिक संपदा समझौते पर विदेश विभाग द्वारा 1970 के यूनेस्को संधि को लागू करने वाले अमेरिकी कानून के तहत बातचीत की गई थी, जो सांस्कृतिक संपदा के अवैध आयात, निर्यात और स्वामित्व के हस्तांतरण को रोकने के साधनों पर है।
गार्सेटी ने यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र की मेजबानी के लिए भी भारत सरकार को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह न केवल अपनी सांस्कृतिक संपदा की रक्षा करने के लिए देश की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि दूसरों को ऐसा करने में मदद भी करता है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour