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Last Updated : शुक्रवार, 3 सितम्बर 2021 (00:39 IST)

जाति प्रमाण पत्र के सत्यापन के लिए बार-बार पूछताछ एससी/ एसटी के लिए हानिकारक होगी : सुप्रीम कोर्ट

जाति प्रमाण पत्र के सत्यापन के लिए बार-बार पूछताछ एससी/ एसटी के लिए हानिकारक होगी : सुप्रीम कोर्ट - In the case of verification of caste certificate, the Supreme Court said
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि जाति प्रमाण पत्र के सत्यापन के लिए बार-बार पूछताछ करना अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के सदस्यों के लिए हानिकारक होगा।

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने एक व्यक्ति के समुदाय प्रमाण पत्र को रद्द करने के चेन्नई जिला सतर्कता समिति के आदेश को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।

पीठ ने कहा, जांच समितियों द्वारा जाति प्रमाण पत्रों के सत्यापन का उद्देश्य झूठे और फर्जी दावों से बचना है। जाति प्रमाण पत्र के सत्यापन के लिए बार-बार पूछताछ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के लिए हानिकारक होगी।
 
शीर्ष अदालत ने कहा कि जाति प्रमाण पत्रों की जांच तभी पुन: शुरू की जा सकती है, जब उन्हें जारी करने में कोई धोखाधड़ी की गई हो या जब उन्हें उचित जांच के बिना जारी किया गया हो।
 
शीर्ष अदालत ने अपने पहले के फैसलों का जिक्र करते हुए कहा कि जांच समिति एक प्रशासनिक निकाय है जो जाति की स्थिति के तथ्यों की पुष्टि करता है और दावों की जांच करता है और इसके आदेश को संविधान के अनुच्छेद 226 (न्यायिक समीक्षा की शक्ति) के तहत चुनौती दी जा सकती है।
 
पीठ ने कहा कि पूर्व जांच किए बिना जारी जाति प्रमाण पत्रों का सत्यापन जांच समितियां करेंगी और जो जाति प्रमाण पत्र पर्याप्त और उचित जांच के बाद जारी किए गए हैं, उन्हें जांच समितियों द्वारा सत्यापित किए जाने की आवश्यकता नहीं है।(भाषा)