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Last Updated : मंगलवार, 26 मार्च 2024 (19:28 IST)

समाचार छापने पर सुनवाई पूर्व निषेधाज्ञा का अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गंभीर प्रभाव : सुप्रीम कोर्ट

एकपक्षीय निषेधाज्ञा नहीं जारी करें अदालतें

समाचार छापने पर सुनवाई पूर्व निषेधाज्ञा का अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गंभीर प्रभाव : सुप्रीम कोर्ट - Important decision of Supreme Court regarding publishing news
Supreme Court regarding : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने नई दिल्ली में कहा है कि अदालतों (courts) को अपवाद वाले मामलों को छोड़कर किसी समाचार के प्रकाशन (publication) के खिलाफ एकपक्षीय निषेधाज्ञा जारी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इसका अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जानकारी प्राप्त करने के लोगों के अधिकार पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
 
अंतरराष्ट्रीय मीडिया समूह 'ब्लूमबर्ग' को 'जी एन्टरटेनमेंट' के खिलाफ कथित अपमानजनक समाचार हटाने का निर्देश देने संबंधी निचली अदालत के आदेश को निरस्त करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि सामग्री के प्रकाशन के खिलाफ निषेधाज्ञा पूर्ण सुनवाई के बाद ही जारी की जानी चाहिए।

 
यह कहा 3 न्यायाधीशों की पीठ ने : प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 3 न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि समाचार के खिलाफ सुनवाई पूर्व निषेधाज्ञा प्रदान करने से इसे लिखने वाले की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जानकारी प्राप्त करने के लोगों के अधिकार पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। पीठ में न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं।
 
एकपक्षीय निषेधाज्ञा नहीं जारी करें : न्यायालय ने कहा कि यह तय किए बिना एकपक्षीय निषेधाज्ञा जारी नहीं की जानी चाहिए कि जिस सामग्री को निषिद्ध करने का अनुरोध किया गया है, वह दुर्भावनापूर्ण एवं झूठी है। पीठ ने कहा कि सुनवाई शुरू होने से पहले अंतरिम निषेधाज्ञा जारी करने का परिणाम सार्वजनिक चर्चा को रोकना है। दूसरे शब्दों में अदालतों को अपवाद वाले मामलों को छोड़कर एकपक्षीय निषेधाज्ञा नहीं जारी करनी चाहिए।

 
न्यायालय ने कहा कि सुनवाई शुरू होने से पहले अंतरिम निषेधाज्ञा प्रदान करना, आरोप साबित होने से पहले सामग्री प्रकाशित करने पर रोक लगा देता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि मानहानि के मामलों में अंतरिम निषेधाज्ञा प्रदान करने से वाक् स्वतंत्रता एवं जनभागीदारी को रोकने के लिए वाद का उपयोग किए जाने की संभावना पर भी अदालतों को ध्यान में रखना चाहिए।
 
ब्लूमबर्ग द्वारा निचली अदालत के आदेश के खिलाफ याचिका दायर : न्यायालय दिल्ली उच्च न्यायालय के 14 मार्च के एक आदेश के खिलाफ याचिका पर सुनवाई कर रहा है। उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के आदेश के खिलाफ ब्लूमबर्ग द्वारा दायर अपील खारिज कर दी थी। पीठ ने कहा कि यह मामला एक मीडिया संस्थान के खिलाफ मानहानि कार्यवाही में निषेधाज्ञा प्रदान करने का है। न्यायालय ने कहा कि संवैधानिक रूप से संरक्षित वाक् स्वतंत्रता के अधिकार पर निषेधाज्ञा, हस्तक्षेप की मांग करता है।
 
न्यायालय ने 'जी एन्टरटेनमेंट' को निषेधाज्ञा के अपने अनुरोध के साथ निचली अदालत का फिर से रुख करने की छूट प्रदान की। शीर्ष न्यायालय के आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए 'ब्लूमबर्ग न्यूज' के प्रवक्ता ने कहा कि हम भारत के उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं,और हम इस खबर पर कायम हैं। (भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta