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Last Updated :नई दिल्ली , गुरुवार, 24 मई 2018 (15:40 IST)

घर खरीदने वालों के हित में मोदी सरकार का बड़ा फैसला, कंपनी डूबी तो भी मिलेगा पैसा वापस

घर खरीदने वालों के हित में मोदी सरकार का बड़ा फैसला, कंपनी डूबी तो भी मिलेगा पैसा वापस - Home buyers will be treated as financial creditors
नई दिल्ली। मोदी सरकार ने 16 माह पुराने इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) में एक बड़ा बदलाव करते हुए खरीदारों को बड़ी राहत दी है। अब किसी रियल एस्टेट कंपनी के डूबने पर घर खरीदारों को बैंकों के बराबर ‘फाइनेंशियल क्रेडिटर’ का दर्जा मिलेगा।
 
इसके दायरे में वे सभी लोग आएंगे जिन्होंने पैसे दिए हैं। इससे डेवलपर के डिफॉल्ट करने पर खरीदारों को जल्दी रिफंड मिल सकेगा। कैबिनेट ने बुधवार को इससे जुड़े संशोधन पर अपनी मुहर लगा दी। इसे अध्यादेश के जरिए लागू किया जाएगा।
 
उल्लेखनीय है कि दिवालिया कानून में संशोधन के लिए सरकार ने 14 सदस्यों की समिति बनाई थी, जिसने पिछले महीने रिपोर्ट दी थी। समिति ने घर खरीदने वालों की परेशानियां दूर करने और बैंकों के लिए रिकवरी आसान करने संबंधी सुझाव दिए थे। कैबिनेट का फैसला इन्हीं पर आधारित है। कैबिनेट मीटिंग के बाद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इसकी जानकारी दी। 
 
अभी है ये नियम : अभी खरीदारों को ‘ऑपरेशनल क्रेडिटर’ का दर्जा हासिल है। डेवलपर के डिफॉल्ट करने पर कंपनी की नीलामी से जो पैसे मिलेंगे, उसमें खरीदार का हक सबसे अंत में आता है। 
 
क्या बदलेगा : घर खरीदारों को बैंकों के बराबर ‘फाइनेंशियल क्रेडिटर’ का दर्जा मिलेगा। कंपनी डूबने की स्थिति में अगल संपत्ति निलाम होती थी तो केवल बैंकों को ही पैसा मिल पाता था। अब इस स्थिति में घर खरीदने वालों को भी पैसा मिलेगा।
 
क्या होगा फायदा : बैंकों की तरह खरीदार भी अपने पैसे की वापसी के लिए डेवलपर के खिलाफ दिवालिया कार्रवाई शुरू कर सकेंगे। इससे उन्हें घर खरीदने के लिए दिए गए पैसे जल्दी मिल सकेंगे। इस फैसले से उन सभी लोगों को फायदा होगा जिनके पैसे अंडर कंस्ट्रक्शन रियल्टी प्रोजेक्ट में फंसे हुए हैं। 
 
क्यों जरूरी था यह फैसला : हाल ही में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिसमें कई रियल एस्टेट कंपनियों ने 
आवासीय योजना के लिए प्राप्त धन को किसी अन्य कंपनी में लगा दिया। इससे प्रोजेक्ट में देरी हो गई और 
उसके पास धन की कमी हो गई। इससे घर खरीदने वालों को पजेशन के लिए लंबे समय तक इंतजार करना पड़ा।