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Last Updated : गुरुवार, 24 नवंबर 2022 (00:12 IST)

असम-मेघालय सीमा पर हिंसा: पुलिस पर बरसे CM हिमंत सरमा, कहा- फायरिंग की जरूरत नहीं थी

असम-मेघालय सीमा पर हिंसा: पुलिस पर बरसे CM हिमंत सरमा, कहा- फायरिंग की जरूरत नहीं थी - Himanta Biswa Sarma lashed out at the police
नई दिल्ली। असम-मेघालय सीमा पर हिंसा से निपटने के लिए असम पुलिस की आलोचना करते हुए मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने बुधवार को कहा कि उसने अकारण, अनियंत्रित और मनमाने तरीके से बलप्रयोग किया। सरमा के पास गृह विभाग भी है। उन्होंने यह भी कहा कि असम-मेघालय सीमा पर शांति है और हाल ही में अंतरराज्यीय सीमा पर स्थानीय लोगों एवं वन रक्षकों के बीच झड़पें हुई थीं।
 
सरमा ने यहां एक कार्यक्रम से इतर कहा कि मुझे महसूस होता है कि उस हद तक पुलिस को गोलियां चलाने की कोई जरूरत नहीं थी। कुछ हद तक गोलीबारी अकारण थी एवं पुलिस और नियंत्रित तरीके से काम कर सकती थी। सरमा ने कहा कि पुलिस के अनुसार झड़प के दौरान बचाव में बलप्रयोग किया गया था। हालांकि मेरे विचार से यह कुछ हद तक मनमाने ढंग से किया गया। ऐसा नहीं होना चाहिए था।
 
असम-मेघालय सीमा पर वेस्ट कार्बी आंगलोग जिले में कथित तौर पर अवैध लकड़ी ले जा रहे एक ट्रक को मंगलवार तड़के असम के वनकर्मियों द्वारा रोकने के बाद भड़की हिंसा में एक वनकर्मी सहित 6 लोगों की मौत हो गई।
 
सरमा ने कहा कि असम सरकार पूरी ईमानदारी से अपना काम करने की कोशिश कर रही है और पहले ही पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले के पुलिस अधीक्षक का तबादला कर दिया गया है, वहीं कुछ अन्य अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है।
 
उन्होंने कहा कि असम सरकार ने न्यायिक जांच का आदेश दिया है और केंद्र से केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) या राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) जांच कराने का आग्रह किया है। सरमा ने कहा कि हमने इसे प्रतिष्ठा के विषय के रूप में नहीं लिया है। अगर असम पुलिस के कर्मियों की गलती थी तो वे भी जांच के दायरे में आएंगे।
 
उन्होंने कहा कि यह घटना पूर्वोत्तर के दोनों राज्यों के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद से संबंधित नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं मेघालय के मुख्यमंत्री के संपर्क में हूं। असम-मेघालय सीमा शांतिपूर्ण है और हमेशा शांतिपूर्ण रही है।
 
सीबीआई को सौंपी जांच : मेघालय के मंत्रियों और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बीच होने वाली बैठक से पहले असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने बुधवार को दिल्ली में कहा कि उनके मंत्रिमंडल ने दोनों राज्यों की सीमा पर हुई हिंसा की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने का फैसला किया है।
 
असम के मंत्री मध्यकालीन असमी नायक लचित बोरफुकन के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में शिकरत करने के लिए दिल्ली आए थे, जहां मंत्रिमंडल की यह अभूतपूर्व बैठक हुई। मंत्रिमंडल ने मंगलवार को मेघालय के 5 आदिवासी ग्रामीणों को मार गिराने के आरोपी राज्य के पुलिस बल को भी नागरिकों से जुड़े मुद्दों या अशांति से निपटने के दौरान संयम बरतने का निर्देश दिया।
 
दिल्ली में आयोजित विशेष कैबिनेट बैठक के दौरान मंत्रिपरिषद ने नागरिकों से संबंधित विवाद से उत्पन्न होने वाली स्थितियों से निपटने के लिए पुलिस और वन कर्मियों के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी करने का फैसला किया।
 
सरमा ने ट्वीट किया कि हमने पुलिस को नागरिकों से निपटने के दौरान घातक हथियारों का उपयोग करने में संयम बरतने को कहा है। इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए पुलिस और वनकर्मियों के लिए एसओपी तैयार किया जाएगा। सभी पुलिस थाना प्रभारियों को इस तरह के विषयों के प्रति संवेदनशील बनाया जाएगा।
 
इससे पहले मंगलवार रात मेघालय कैबिनेट की बैठक हुई जिसमें 24 नवंबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलने के लिए मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा के नेतृत्व में मंत्रियों के एक प्रतिनिधिमंडल को दिल्ली भेजने का फैसला किया गया था।
 
मेघालय का प्रतिनिधिमंडल राज्य की पूर्वी सीमा पर हुई हिंसा की सीबीआई या एनआईए जांच की मांग करेगा। इस हिंसा में राज्य के 5 नागरिकों और असम सीमा रक्षक समेत 6 लोगों की मौत हो गई थी। मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने मंगलवार को ट्विटर के जरिए शिकायत की कि असम पुलिस और वनरक्षकों ने मेघालय में प्रवेश किया और राज्य के नागरिकों पर अकारण गोलीबारी की।
 
इस ट्वीट के साथ उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व सरमा को टैग किया था। असम कैबिनेट की बैठक में मंत्रियों ने पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले में दुर्भाग्यपूर्ण पुलिस-नागरिक संघर्ष में 6 लोगों की मौत और कई अन्य लोगों के घायल होने पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए शोक जताया।
 
असम के मुख्यमंत्री ने बैठक के बाद सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए लिखा कि हमारे मंत्रिमंडल ने संबंधित पुलिस जांच सीबीआई को सौंपने का भी फैसला किया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति रूमी फूकन को घटना के लिए जिम्मेदार रहीं परिस्थितियों की न्यायिक जांच का अनुरोध करने का भी फैसला किया है। सरमा ने कहा कि न्यायिक जांच 60 दिन के अंदर पूरी कर ली जाएगी।
 
इससे पहले मेघालय विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष मुकुल संगमा ने बुधवार को असम पुलिस द्वारा कथित रूप से निहत्थे ग्रामीणों की हत्या को नरसंहार का मामला बताया और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। तृणमूल कांग्रेस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री संगमा ने असम व मेघालय के बीच विवादित सीमा के पास मुकरोह का दौरा किया और पीड़ितों के परिवारों से मिले। इस जगह हुई हिंसा में 6 लोग मारे गए थे।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta