• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Hanumanji yogi aditynath chandrashakhar cast of hanumanji
Written By
Last Modified: सोमवार, 3 दिसंबर 2018 (14:11 IST)

हनुमानजी की जाति का विस्तार जारी, अब मंदिरों पर कब्जे की तैयारी...

हनुमानजी की जाति का विस्तार जारी, अब मंदिरों पर कब्जे की तैयारी... - Hanumanji yogi aditynath chandrashakhar cast of hanumanji
उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा हनुमान जी को दलित बताए जाने के बाद अब रामभक्त हनुमान की जाति बताने की होड़-सी मच गई है। कोई उन्हें आदिवासी बता रहा तो कोई उन्हें ब्राह्मण और क्षत्रिय। इस बीच, भीम सेना ने कहा है कि दलितों को देशभर के हनुमान मंदिरों पर कब्जा कर लेना चाहिए। 
 
सबसे पहले तो यह समझ लेना चाहिए कि हनुमानजी त्रेतायुग में हुए थे और उस युग में जाति व्यवस्था न होकर वर्ण व्यवस्था थी, अर्थात व्यक्ति का वर्ण उसके कर्म के आधार पर तय होता था। इस मामले में योग गुरु रामदेव का कहना कुछ हद तक सही है कि गुणों के आधार पर बात करें तो हनुमान ब्राह्मण थे, जबकि योद्धा होने के कारण वे क्षत्रिय थे। 
 
जैन मुनि ने बताया जैन : इस बीच, जैन मुनि निर्भय सागरजी ने कहा कि हनुमान जैन थे। उन्होंने कहा कि जैन दर्शन के कई ग्रंथों में हनुमान जी जैन होने की बात कही है। उन्होंने कहा कि जैन धर्म में 24 कामदेव होते हैं, उनमें से एक हनुमानजी भी हैं।
 
आदिवासी नेता साय का तर्क : राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंद कुमार साय ने कहा था कि भगवान हनुमान आदिवासी हैं। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि लोग मानते हैं कि भगवान राम की सेना में वानर, भालू और गिद्ध थे।
 
उन्होंने कहा कि उरांव जनजाति की ओर से बोली जाने वाली ‘कुरुख’ भाषा में ‘टिग्गा’ का मतलब ‘वानर’ होता है। वहीं ‘कनवार’ जाति में जिसका मैं भी सदस्य हूं, इस गोत्र के लोगों को हनुमान कहा जाता है।
 
... और 'रावण' ने कहा : भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर उर्फ रावण कहा है कि दलितों को देशभर के सभी हनुमान मंदिरों पर कब्जा करना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि मंदिरों के पुजारी भी दलित ही होने चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर वे (योगी) कह रहे हैं कि हनुमान जी दलित हैं तो फिर देश के दलित समाज को चाहिए कि जितने भी हनुमान जी के मंदिर हैं उन पर कब्जा कर लें। वहां के पुजारी स्वयं बन जाएं और वहां जो चंदा आता है उसे अपने पास रखें।
 
यहां से शुरू हुआ था विवाद : राजस्थान के अलवर में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि भगवान हनुमान वनवासी, वंचित और दलित थे। हनुमान ने भारत के सभी समुदायों को जोड़ने का काम किया था। इस पर एक संस्था ने उन्हें नोटिस भी भेजा था।
 
हनुमान जी ने कभी श्रेय नहीं लिया : आज जब जाति-धर्म के आधार पर राजनीति का बोलबाला है और श्रेय लेने की होड़-सी मची हुई है। ऐसे में हनुमान जी को राजनीति में घसीटना बहुत ही दुखद है क्योंकि हनुमानजी ने तो कभी अपने-अपने बड़े-बड़े कामों का श्रेय नहीं लिया।
 
हनुमानजी जब सीता की खोज कर लौटे थे तब जामवंत ने कहा था- नाथ पवनसुत कीन्हि जो करनी। सहसहुँ मुख न जाइ सो बरनी॥ अर्थात हे प्रभु राम! हनुमान जो कार्य किया किया उसका हजारों मुखों से भी वर्णन नहीं किया जा सकता। जवाब में हनुमान जी कहते हैं, जो कि विनम्रता का अद्भुत और अनुकरणीय उदाहरण है। हनुमानजी कहते हैं- प्रभु की कृपा भयउ सबु काजू। जन्म हमार सुफल भा आजू॥ अर्थात प्रभु यानी राम की कृपा से ही सब काम पूरे हुए हैं।
ये भी पढ़ें
आभूषण निर्माताओं की मांग से सोना चमका, चांदी भी उछली