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Last Updated : बुधवार, 31 जुलाई 2024 (12:36 IST)

सीआईए और मोसाद के जाल में फंस गए हमास के प्रमुख हानिया

लेखक विदेशी मामलों के जानकार है

ismail haniyah
जर्मनी के सेनानायक तथा मशहूर सैन्य रणनीतिकार कार्ल वॉन क्लॉजविट्ज़ ने अपनी किताब,ऑन वॉर में लिखा है कि शत्रु को अपनी इच्छा पूर्ति हेतु बाध्य कर देना युद्ध का प्रमुख उद्देश्य है,इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए शक्ति एवं हिंसा एक साधन है तथा शत्रु को शस्त्र विहीन कर देना ही इस शक्ति एवं हिंसा का एक मात्र लक्ष्य होता है। दरअसल हमास के प्रमुख इस्माइल हानिया की तेहरान में हत्या कर मोसाद और सीआईए ने ईरान को यह संदेश दिया है की ईरान इजराइल और अमेरिका के सैन्य लक्ष्यों में से एक है और इस देश की संप्रभुता और सुरक्षा कभी भी संकट में पड़ सकती है।
 
 इजराइल और फिलिस्तीन संघर्ष में हिजबुल्ला की आक्रामकता और ईरान की धमकी से मध्यपूर्व का तनाव चरम पर जाने की आशंकाओं के बीच हानिया का मारा जाना निर्णायक साबित हो सकता है। लेकिन ईरान ने अपने ही देश में हानिया की सुरक्षा में नाकाम रहकर अपने कई प्राक्सी समूहों को भी आशंकित कर दिया है। वहीं हानिया को निशाना बनाने में अमेरिका की वह नीति काम आई है जिसके अनुसार वह ईरान से लगे देशों में दीर्घकालीन संबंधों को बढ़ावा देता रहा है। उसकी यहीं नीति इजराइल की ख़ुफ़िया एजेंसी मोसाद और अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी सीआईए के लिए संजीवनी साबित हो रही है।
 
ईरान उत्तर में अज़रबैजान,आर्मेनिया,तुर्कमेनिस्तान और कैस्पियन सागर से घिरा है। इसके पूर्व में पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान  है। दक्षिण में फ़ारस की खाड़ी और ओमान की खाड़ी है जबकि पश्चिम में तुर्की और इराक  है। अज़रबैजानी को यूँ तो रूस का करीबी माना जाता है लेकिन वह इजराइल का सामरिक सहयोगी है। अमेरिका और अज़रबैजान के सुरक्षा कितने मजबूत रहे है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है की कोसोवो,अफगानिस्तान और इराक में अमेरिका के नेतृत्व वाले मिशनों में अज़रबैजान की सक्रिय भागीदारी  रही है।
 
अमेरिकी विदेश विभाग ने अज़रबैजान को कैस्पियन सागर में अपनी सुरक्षा संरचनाओं को बढ़ाने के लिए 10 मिलियन डॉलर की पेशकश भी की थी। ईरान की सीमा से लगते हुए एक और देश आर्मेनिया के साथ तो 2023 में अमेरिका ने पहली बार संयुक्त सैन्य अभ्यास किया था। ईगल पार्टनर 2023 नामक यह  अभ्यास आर्मेनिया के सशस्त्र बलों को अंतर्राष्ट्रीय शांति अभियानों में भाग लेने के लिए तैयार करने पर केंद्रित था। इसी प्रकार तुर्कमेनिस्तान अमेरिका के कैस्पियन बेसिन ऊर्जा पहल में एक प्रमुख सहयोगी रहा है जिसे तथाकथित ट्रांस कैस्पियन गैस पाइपलाइन भी कहा जाता है।
 
 मध्य पूर्व में लगभग  तिस हजार अमेरिकी सैनिक मौजूद हैं। इसके अलावा, इज़राइल हमास युद्ध शुरू होने के बाद से,अमेरिका ने अस्थायी रूप से इस क्षेत्र में हज़ारों अतिरिक्त सैनिक भेजे हैं,जिनमें युद्धपोत भी शामिल हैं। अमेरिकी सैन्य ठिकाना जॉर्डन की सीरिया के साथ लगती सीमा के क़रीब है। सीरियाई सीमा के पास उत्तर पूर्वी जॉर्डन के रुकबान नामक जगह पर स्थित अमेरिकी सैन्य अड्डे है।
 
मध्य पूर्व में सबसे बड़ा अमेरिकी बेस कतर में स्थित है,जिसे अल उदीद एयर बेस के रूप में जाना जाता है और इसका निर्माण 1996 में हुआ था। अन्य देश जहां अमेरिका की उपस्थिति है,उनमें बहरीन,कुवैत, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। सीरिया में अमेरिका के करीब  नौ सौ सैनिक हैं, जो अल उमर ऑयल फील्ड और अल-शद्दादी जैसे छोटे ठिकानों पर तैनात हैं, जो ज़्यादातर देश के उत्तर-पूर्व में हैं। इराक और जॉर्डन के साथ काउंटी की सीमा के पास एक छोटी चौकी है, जिसे अल तन्फ़ गैरीसन के नाम से जाना जाता है। इराक में  ढाई सैनिक हैं, जो यूनियन III और ऐन अल असद एयर बेस जैसे ठिकानों पर तैनात हैं।
 
अमेरिका के प्रमुख सहयोगी जॉर्डन में सैकड़ों अमेरिकी प्रशिक्षक हैं और वे पूरे वर्ष व्यापक अभ्यास करते हैं। कतर और संयुक्त अरब अमीरात में अमेरिकी सैनिकों की उपस्थिति सहयोगियों को आश्वस्त करने,प्रशिक्षण देने तथा क्षेत्र में संचालनों में आवश्यकतानुसार उपयोग करने के लिए है।
 
इराक और पूरे क्षेत्र में ईरान का राजनीतिक प्रभाव और मिलिशिया की ताकत पिछले कई सालों से अमेरिका के लिए सुरक्षा संबंधी चिंता का विषय रही है। इराक में अमेरिकी सेना की मौजूदगी ईरान के लिए इराक और सीरिया से लेबनान में हथियार ले जाना और भी मुश्किल बना देती है। हिजबुल्लाह पर नियन्त्रण रखने में इससे मदद मिलती है।
 
दक्षिण पूर्वी सीरिया में अल तन्फ़ गैरीसन के आसपास अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी है।  यह स्थान एक महत्वपूर्ण सड़क पर स्थित है जो तेहरान से ईरानी समर्थित बलों को दक्षिणी लेबनान तक और इज़राइल के दरवाज़े तक जोड़ सकती है। इराक और सीरिया दोनों में,अमेरिकी सैनिक उस रास्ते को बाधित करते हैं जो ईरान के लिए पूर्वी भूमध्य सागर तक एक निर्विवाद भूमि पुल हो सकता था।
 
 ईरान से आने जाने वाले प्रमुख व्यक्तियों और महत्वपूर्ण घटनाओं पर सीआईए की पैनी निगाहें होती है। ईरान पर जमीन,आसमान और समुद्र से नजर रखने में अमेरिकी सैन्य अड्डे मददगार बने हुए है। 2020 में ईरान के परमाणु कार्यक्रम का प्रमुख वैज्ञानिक फ़ख़रीज़ादेह की ईरान की राजधानी तेहरान के पास अज्ञात बंदूकधारियों ने हत्या कर दी। ईरान में जहां फ़ख़रीज़ादेह की हत्या की गई है,वहां से परमाणु और मिलिट्री साइट्स पास ही हैं। फ़ख़रीज़ादेह बेहद कड़ी सुरक्षा घेरे में रहते थे। फ़ख़रीज़ादेह कि हत्या बेहद गोपनीय मिशन के तहत सुनियोजित रणनीति से की गई और ऐसे सनसनीखेज काम करने के लिए मोसाद कुख्यात रही है।  2020 में ही बगदाद में एक अमेरिकी ड्रोन हमलें में ईरान के टॉप मिलिटरी कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी मारे गए थे। सुलेमानी ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड की कुद्स फोर्स के प्रमुख थे जो दुनिया भर में ईरान विरोधी ताकतों को निशाना बनाती रही है। सुलेमानी को पश्चिम एशिया में ईरानी गतिविधियों को चलाने का प्रमुख रणनीतिकार माना जाता रहा था,वे 1998 से ईरान की क़ुद्स फ़ोर्स का नेतृत्व कर रहे  थे। अब हमास प्रमुख इस्माइल हानिया को तेहरान में निशाना बना कर मोसाद और सीआईए ने ईरान को तो सकते में डाल ही दिया है। इसके साथ ही चीन की फिलिस्तीन चरम पंथी समूहों में एकता कायम करने की कोशिशें भी धराशाई हो गई है।
 
अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में यह विश्वास किया जाता है की किसी दूसरे देश में सैन्य आधारित नीतियों से गहरी राजनीतिक समस्याएं पैदा होती हैं। लेकिन इसराएल और अमेरिका के लिए स्थापित मान्यताएं कभी बाधा नहीं समझी जाती और वह अपने राजनीतिक और सामरिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कोई भी कदम उठाने से परहेज नहीं  करते है।  हानिया की मौत के ठीक पहले ईरानी संसद में नये राष्ट्रपति की शपथ के दौरान अमेरिका और इजराइल मुर्दाबाद के नारे लगाएं गए थे। वहीं तेहरान में  नये राष्ट्रपति का शपथ समारोह को मोसाद और सीआईए ने बढिया मौका बना दिया तथा हमास के मुखिया इस्माइल हानिया की हत्या कर गजा संघर्ष को निर्णायक स्थिति में पहुंचा दिया।
नोट :  आलेख में व्‍यक्‍त विचार लेखक के निजी अनुभव हैंवेबदुनिया का आलेख में व्‍यक्‍त विचारों से सरोकार नहीं है। 
 
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