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Last Updated :नई‍ दिल्ली , बुधवार, 20 नवंबर 2019 (12:53 IST)

मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि, GST बिल राज्यसभा में पास

मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि, GST बिल राज्यसभा में पास - GST Bill in Rajya Sabha
नई दिल्ली। देश में एक समान वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू करने वाला एवं भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण माना जा रहा ऐतिहासिक, बहुप्रतीक्ष्रित और बहुचर्चित 'संविधान (122वां संशोधन) विधेयक 2014 आज राज्यसभा में सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। हालांकि अन्नाद्रमुक के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया।
 








 वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस केन्द्रीय जीएसटी और अंतर राज्यीय जीएसटी विधेयको को धन विधेयक के रूप में सदन में पेश नहीं करने की मांग को अस्वीकार कर दिया लेकिन आश्वासन दिया कि वह इन विधेयकों के मसौदा तैयार होने पर उसे अंतिम रूप देने से पहले सभी राजनीतिक दलों से बातचीत करेंगे और इन विधेयकों को संविधान के दायरे में ही पेश किया जाएगा। 
                  
जीएसटी दर को 18 फीसदी पर सीमित करने के कांग्रेस की मांग पर उन्होंने कहा कि अभी केन्द्रीय उत्पाद शुल्क 12.5 प्रतिशत है और करीब 55 प्रतिशत उत्पादों पर वैट 14.5 प्रतिशत है। इस तरह कुल मिलाकर कर 30 फीसदी से अधिक है। राज्यों के वित्त मंत्रियों के उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने भी कर का बोझ आम लोगों पर कम डालने की वकालत की है और जीएसटी लागू होने पर कर की दरों में कमी आएगी। 

लोकसभा से पारित जीएसटी से जुडे इस संविधान संशोधन विधेयक में कुल सात सरकारी संशोधन किए गए हैं। इस विधेयक के विरोध में किसी भी सदस्य ने मतदान नहीं किया और इसे सर्वसम्मति से आवश्यक बहुमत के साथ पारित कर दिया गया। अधिकांश संशोधन कांग्रेस के टी सुब्बारामी रेड्डी के थे जिन्हें सदन ने ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया। इसके अलावा अन्नाद्रमुक के ए नवनीतकृष्णन ने भी कुछ संशोधन दिए थे लेकिन वह मत विभाजन से पहले ही वाकआउट कर गए।      
                 
विधेयक के पारित होने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सभी राजनीतिक दलों को इसके लिए बधाई दी और कहा कि यह देश में सहकारी संघवाद का बेहतरीन उदाहरण साबित होगा।
               
जेटली ने कहा कि जीएसटी से राज्यों को होने वाले संभावित नुकसान की भरपाई केंद्र करेगा। इस विधेयक से राज्यों के राजस्व में वृद्धि होगी। उनके कुल राजस्व में 17 प्रतिशत से लेकर 19 प्रतिशत तक इजाफा होगा। जीएसटी से महंगाई बढने की आशंका का खारिज करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि  उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में शामिल उत्पादों में से 60 प्रतिशत वस्तुओं पर कर नहीं है और 32 प्रतिशत पर कर कम हैं तथा 15 प्रतिशत उत्पादों पर ही मानक कर दर लागू है।
                  
सरकार ने लंबे विचार विमर्श के बाद जीएसटी विधेयक पर सहमति बनाने में सफलता प्राप्त की है और वह विवादास्पद एक प्रतिशत अतिरिक्त कर के प्रावधान को हटाने पर राजी हुई है। इसके अलावा सरकार ने जीएसटी से राज्यों को होने वाले संभावित नुकसान की पांच वर्ष तक भरपाई करने का भी प्रावधान किया है।
                    
जीएसटी पर पिछले 15 वर्षों से चर्चा चल रही थी। पिछले दशक में इसको लेकर केलकर समिति गठित की गयी थी तथा वर्ष 2006 में इस पर आम लोगों के सुझाव मांगे गए थे जिसमें इसे वर्ष 2010 में लागू करने की उम्मीद जतायी गयी थी। नवंबर 2009 में इस पर परिचर्चा पत्र जारी किया गया और वर्ष 2011 में बजट पेश किए जाने के बाद जीएसटी से जुडा संविधान संशोधन विधेयक पेश किया गया।
 
इसके बाद राज्यों के वित्त मंत्रियों की उच्चाधिकार प्राप्त समिति बनायी गयी और उस समिति ने समय समय पर महत्वपूर्ण सुझाव दिए  हैं। इसके साथ ही इस विधेयक को वित्त मंत्रालय से जुडी स्थायी समिति को भेजा गया और समिति ने अगस्त 2013 में अपनी रिपोर्ट दी थी, लेकिन वर्ष 2014 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के सत्ता से बाहर होने पर यह विधेयक समाप्त हो गया था। 
 
इसके बाद मोदी सरकार ने दिसंबर 2014 में इस विधेयक को अनुमोदित किया जिससे देश के अधिकांश राज्य सहमत थे। वर्ष 2015 में लोकसभा ने इस विधेयक को पारित किया लेकिन राज्यसभा में इसे प्रवर समिति को भेजा गया। सरकार ने इस विधेयक पर सभी बड़े दलों के साथ चर्चा की जिनमें क्षेत्रीय दल भी शामिल है।
                      
जीएसटी से संबंधित विवादों के निपटान के लिए जीएसटी परिषद सर्वोच्च संगठन होगा और जिन विवादों का निपटान जीएसटी परिषद में नहीं हो सकेगा उसके लिए यह परिषद ही एक तंत्र बनाएगा और वह उस विवाद का समाधान करेगा। जीएसटी परिषद में दो तिहाई वोटिंग अधिकार राज्यों के पास होगे जबकि केन्द्र के पास एक तिहाई अधिकार होगा। किसी विवाद के समाधान के लिए तीन चौथाई वोटिंग की जरूरत होगी।
                 
इस विधेयक के संसद से पारित होने के बाद राज्य विधानसभाओं को अनुमोदित करना होगा। इसके बाद केन्द्रीय जीएसटी और अंतरराज्यीय जीएसटी को लेकर केन्द्र सरकार कानून बनाए गी जबकि राज्य जीएसटी को लेकर राज्य कानून बनाएंगे। (भाषा) 
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