NRC में छूटे 40 लाख लोगों का बायोमेट्रिक डाटा लेगी सरकार, नहीं जा सकेंगे अन्य राज्य
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि वह उन 40 लाख लोगों के बायोमीट्रिक्स का ब्योरा लेने पर विचार कर रहा है जिनके नाम असम में एनआरसी के अंतिम मसौदा में शामिल नहीं हैं, ताकि गलत पहचान के आधार पर अन्य राज्यों में उनके प्रवेश को रोका जा सके।
केंद्र की ओर से उपस्थित अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की पीठ से कहा कि पश्चिम बंगाल समेत कुछ राज्यों ने आशंका जताई है कि वैसे लोग जिनके नाम एनआरसी के दूसरे और अंतिम मसौदे में शामिल नहीं हैं, वे अन्य राज्यों में पलायन कर सकते हैं।
वेणुगोपाल ने कहा, 'उन राज्यों की आशंकाओं को दूर करने के लिए सरकार 40 लाख से अधिक लोगों का बायोमीट्रिक डाटा एकत्र करने पर विचार कर रही है, ताकि अगर उन्हें विदेशी घोषित किया जाता है और वे गलत पहचान के आधार पर दूसरे राज्यों में चले जाते हैं तो संबंधित अधिकारी उनका पता लगा सकें।'
इस पर पीठ ने कहा कि सरकार जो भी करना चाहती है वो कर सकती है और न्यायालय इसकी जांच करेगा।
हमारी चुप्पी सहमति या आश्वासन का प्रतीक नहीं है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि जिन 40 लाख से अधिक लोगों के नाम एनआरसी के अंतिम मसौदे में शामिल नहीं हैं, उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी क्योंकि यह सिर्फ मसौदा है।
पीठ ने केंद्र को दावों और मसौदा एनआरसी के प्रकाशन से उपजी आपत्तियों पर फैसला करने के लिए समय-सीमा तय करने समेत इसका स्वरूप और मानक संचालन प्रक्रिया(एसओपी) तैयार करने को कहा। पीठ ने केंद्र से इसके तौर-तरीके और एसओपी 16 अगस्त तक मंजूरी के लिये उसे सौंपने को कहा।
सुनवाई के अंत में ट्रांसजेंडरों के एक संगठन ने पीठ से अनुरोध किया कि वह 20 हजार ट्रांसजेंडरों को एनआरसी फॉर्म भरने का दूसरा मौका दे। पीठ ने कहा, 'आपने मौका गंवा दिया। हम समूची कवायद को अब दोबारा शुरू नहीं कर सकते।’'
न्यायालय ने हालांकि कहा कि वह मुख्य मामले पर सुनवाई की अगली तारीख 16 अगस्त को सभी वादकालीन आवेदनों (इंटरलोक्यूटरी ऐप्लिकेशन) पर सुनवाई करेगा। (भाषा)
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